तीन दिनों से, दामिनी कॉलेज नहीं आई है, इस कारण, उसकी दोस्त तन्वी परेशान है, वह घबरा रही थी, न जाने, उसके साथ क्या हुआ होगा? वह जानना चाहती थी कि अब उसकी तबीयत कैसी है ? किंतु अकेले उससे मिलने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी तब उसने, यह बात अपनी अध्यापिका को बताइ, जिसे सुनकर, अध्यापिका ने उससे कहा- कि तुम्हें अपनी दोस्त का सहारा बनना चाहिए और उसके विषय में जानकारी लेनी चाहिए। तब वह अपनी अध्यापिका को विश्वास में लेकर, उन्हें सम्पूर्ण वास्तविकता से परिचित करा देती है और उनसे कहती है -कि आपको भी, मेरे साथ चलना चाहिए।
उसकी अध्यापिका कुछ कार्य करके आती है और उसके सहयोग के लिए दोनों ही, दामिनी के बताये पते पर रिक्शे में बैठ जाती हैं।रिक्शे में बैठे-बैठे भी, तन्वी घबरा रही थी- न जाने, उसके साथ क्या हुआ होगा ? समीर उससे मिलने आया होगा या नहीं। न जाने, उसने क्या कहा होगा ? हो सकता है, बेचारी ! उसके धोखे को बर्दाश्त कर पाई होगी या नहीं । कॉलेज जाने की हिम्मत ही न रही हो, तबीयत बिगड़ गई होगी । कुछ भी हो सकता है। तन्वी के हावभाव, उसकी बेचैनी देखकर, उसकी अध्यापिका उससे कहती है -तुम चिंता न करो !सब ठीक ही होगा।
वैसे तुम क्या सोच रही थीं ? अध्यापिका ने उसे गहन चिंतन में देखा तो पूछा।
कुछ नहीं मैंम ! मैं सोच रही थी कि हम लड़कियां कितनी भी चालाक या होशियार क्यों न बन जाए ? किंतु ये लड़के बहला- फुसला ही लेते हैं।
हाँ ये तो है ,लड़कियां कुछ ज्यादा ही भावुक होती हैं ,शीघ्र ही विश्वास भी कर लेती हैं और जब किसी से प्यार हो जाता है ,उसकी सच्चाई जानकर भी अनजान बनी रहती हैं ,वे तब तक उस रिश्ते को निभाकर चलती हैं ,जब तक सामने वाला, सामने से ही उसका अपमान नहीं कर देता। आजकल की लड़कियां फिर भी जागरूक हुई हैं किन्तु पहले समय में तो ,पति को परमेश्वर समझ उस रिश्ते को खींचती रहती थीं। पि टने के पश्चात भी ,पति तनिक भी प्यार से बोले ,उसके पहलू में आ सिमटती थीं।
हाँ, ये तो है किन्तु यही रिश्ते जीवनभर साथ रहे हैं ,वृद्धावस्था में ,सुख -दुःख में साथ देते रहे हैं। आज तो पति व लड़का दोस्त गरीब हो जाये तुरंत उससे दूर रहने का सोचने लगती हैं।दोनों शीघ्र ही अलग हो जाते हैं इसीलिए तो तलाक के केस बढ़ते जा रहे हैं।
नहीं ,इसका एक और कारण भी हो सकता है ,लड़के भी तो इधर -उधर मुँह मारते फिरेंगे,लड़कियां भी पहले से कुछ अधिक खुले विचारों की हो गयीं हैं इसीलिए रिश्तों में इतनी प्रगाढ़ता नहीं आती ,स्वार्थ से जुड़े रहते हैं ,जैसे ही स्वार्थ पूर्ण हुआ रिश्ता समाप्त !'रिश्ता बना तो लेते हैं ,निभाना नहीं चाहते।'अब दामिनी के रिश्ते को ही ले लीजिये !अब जैसे उसके हालात चल रहे हैं ,उससे तो लगता है ,समीर , उसे निश्चित ही धोखा देगा किन्तु शायद अभी भी ,दामिनी को एक उम्मीद बाक़ी है इसीलिए तो उससे मिलने गयी। पता नहीं ,समीर ने उसके सवालों का उसे क्या जबाब दिया होगा ?वह उससे विवाह करेगा या नहीं। धोखा खाकर या तो वह टूट जाएगी या फिर किसी पर विश्वास नहीं कर पायेगी। ज़िंदगी में आगे भी बढ़ सकती है वरना अपने को कोसते हुए वहीं ठहर जाएगी। मैम !मुझे तो इस बात का ड़र लग रहा है ,उसके घरवालों को पता चला तो क्या होगा ?
तुम ज्यादा परेशान मत हो ,हम उसे मिलकर समझायेंगे ,हो सका तो समीर से मिलकर उससे विवाह की बात करेंगे।
लो जी आपका' नया मार्केट' आ गया। दोनों रिक्शे से उतरकर, आसपास देखती हैं , तब अध्यापिका उससे पूछती है -क्या कोई मकान नंबर या गली बताई थी। गली नंबर 3 में, उसका आखिरी मकान है।
दोनों पूछते हुए आगे बढ़ रही थीं। गली नंबर 3 में पहुंचकर, किसी बच्चे से पूछती हैं , क्या यहां आखिरी मकान में, दामिनी ही रहती है।
मुझे नहीं मालूम! यह कहकर वह बच्चा भाग गया।
दोनों घूमते- घूमते आगे बढ़ रही थी, जब वह आखिरी मकान में पहुंची , तो वहां पर ताला लगा हुआ था। यह देखकर दोनों को आश्चर्य हुआ कि आख़िर दामिनी कहां गई ?क्या यही उसका सही पता है। अध्यापिका ने तन्वी से पूछा।
जी मैंम ! उसने यही एड्रेस बताया था , वह दामिनी को फोन करने लगती है, किंतु फोन नहीं लगता। तब वह आगे बढ़कर एक पड़ोस के घर से पूछती है यहां एक लड़की दामिनी रहती थी, उसके घर पर ताला लगा हुआ है ,अब वह कहां है ?
आप लोग कौन है ? उस महिला ने अपने घर से बाहर आकर उनकी तरफ देखकर पूछा।
जी मैं उसकी दोस्त हूं, और आप हमारी अध्यापिका हैं। क्या दामिनी को आप जानती हैं , हमें बता दीजिए हमें उससे कुछ बात करनी है।
अब आपको ''दामिनी'' नहीं मिलेगी। हमें तो पता ही नहीं था कि हमारे पड़ोस में एक दामिनी नाम की लड़की भी रहती है।
मतलब ,क्या वह घर छोड़कर चली गई ?
नहीं, वह इस दुनिया को ही छोड़ कर चली गई।
यह आप क्या कह रहीं हैं ?
तुम तो उसकी सहेली हो, तुम्हें ही नहीं मालूम !व्यंग्य से वो महिला बोली।
नहीं, हमारी तीन दिनों से कोई मुलाकात नहीं हुई।
वह अपने कमरे में मरी हुई मिली।
आपको यह कैसे पता चला ?
उसके पास चाय देने के लिए चाय वाले का लड़का आता था। जब वह आया, और उसने दरवाजा खटखटाया , तो वहां पर उसे,उस लड़की की लाश मिली ।
दुःखी मन से ,तन्वी वहीं उनके घर के सामने जमीन पर ही बैठ गयी ,तब वो महिला अपने लड़के से दो कुर्सी मंगवती है और पानी भी। तन्वी को तो जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि दामिनी नहीं रही। पानी पीकर वो बोली -वो तो ठीक -ठाक थी ,उसे क्या हुआ था ?
हमने तो सुना ,लोग कह रहे थे -लड़की ने आत्महत्या की है।
ऐसा कैसे हो सकता है ?वो आत्महत्या कैसे कर सकती है ?क्या समीर उससे मिलने आया था या नहीं उसके मन में प्रश्न गूंजे।अवश्य ही ,वह उससे मिलने गया होगा। मैंने जब उससे'' गर्भपात'' करवाने के लिए कहा,वह मुझसे कुछ कह तो न सकी किन्तु उसे लगता था ,वह एक बार समीर से मिलेगी तो सब ठीक हो जायेगा।