अब दामिनी को लग रहा था, कि समीर ने उसे धोखा दिया है। वह उसके भाई से मिलती है, और उससे समीर के घर का पता भी मांगती है। उसके घर जाने से पहले, एक बार वह फिर से समीर से बात करना चाहती है और उसे फोन करती है ,किंतु समीर पहले की तरह ही उससे झूठ बोल देता है, जब वह पूछती है - समीर ! तुम कहां हो ?
तब वह कहता है -मैं अपनी कंपनी में हूं ,
उसके झूठ को सुनकर, दामिनी को क्रोध आता है और उससे कहती है -उसी 'फ्रॉड' कंपनी में,जहाँ तुम जैसे धोखेबाज़ भरे हैं , क्या वहॉँ हल्दी की रस्म भी होने लगी ? दामिनी ने स्पष्ट रूप से पूछा।
तुम वहीं रुको ! मैं अभी आता हूं, मिलकर बात करते हैं।
नहीं, मैं तुमसे ही मिलने तुम्हारे घर आ रही हूं, तुम्हारी मम्मी को, उनके होने वाले पोते या पोती से भी तो मिलवाना है और तुम्हें विवाह की बधाई भी तो देनी है।
मैं तुम्हारे कमरे पर पहुंच रहा हूं, कहते हुए समीर ने फोन काट दिया।
समीर के फोन कट जाने के पश्चात, परेशान दामिनी सोच रही थी-इस इंसान ने मुझे कितना बड़ा धोखा दिया ? यह कितना धोखेबाज निकला ?मैंने इस पर विश्वास किया और वह मुझे परेशानी में डालकर, अब भाग रहा है। मैं इसे छोडूंगी नहीं, अपनी हालत को सोच कर रोने लगी। वह कॉलेज के प्रांगण में ही बैठी थी। आते- जाते लड़के- लड़की उसे देख रहे थे, उसने अपने चेहरे को अपने दुपट्टे से ढांप लिया। तभी तन्वी भी वहां से होकर गुजरी, तन्वी को देखकर,दामिनी भावुक हो गई, उसकी आंखों से आंसू बह निकले।
हालांकि इससे पहले, जब भी वह तन्वी को देखती थी, तो दामिनी ही, उससे मुंह फेर लेती थी। तन्वी ने दामिनी की तरफ देखा, उसे लगा -दामिनी, ठीक नहीं है,वह उसके करीब गई और उससे पूछा-क्या कुछ हुआ है ? तुम ठीक तो हो न...... हाँ में, दामिनी ने अपनी गर्दन हिलाई, और उसकी रुलाई फूट गई और जोर-जोर से रोने लगी। तन्वी को लगा, इसे बहुत बड़ा आघात पहुंचा है। वह उसे वहां से, एकांत में ले गई और बोली -अब मुझे बताओ ! क्यों परेशान हो ? क्या हुआ है ?
तब घबराई हुई ,दामिनी ने तन्वी को अपनी सम्पूर्ण कहानी सुनाई जिसे सुनकर तन्वी बोली -मैंने , तुमसे पहले ही कहा था, यह ठीक इंसान नहीं है किंतु तुमने मेरी एक भी बात नहीं मानी।
क्योंकि उसने, तुम्हारे विरुद्ध मेरे '' कान जो भर दिए थे।''सुबकते हुए दामिनी बोली।
अब तुमने क्या सोचा है ? क्या अभी भी कोई उम्मीद बाकी है ? वह तुम्हें धोखा दे चुका है, अब उससे क्या उम्मीद रखती हो ?
तन्वी के सवालों का जवाब दामिनी के पास नहीं था, वह कुछ नहीं बोली -चुपचाप उठकर जाने लगी।
तब तन्वी बोली-मेरी बात मानो ! अपना'गर्भपात ' करा लो !अभी भी ज्यादा देर नहीं हुई है, अभी भी हम बिगड़ी बात को संभाल सकते हैं,तुम फिर से हॉस्टल में आकर अपनी, पढ़ाई शुरू करना और मेरे साथ ही रहना। अब यही उचित होगा, यदि वह आ भी जाता है, तो क्या होगा ? अब वह तुमसे विवाह तो नहीं करेगा। तुम्हें समझाने का प्रयास करेगा।
दामिनी उसकी बातों से, सहमत थी किंतु फिर भी एक बार मैं ,समीर से मिलना चाहती हूं ,उससे बात करना चाहती हूँ इसलिए बोली-मुझे सोचने के लिए थोड़ा समय चाहिए। कहकर वह अपने कमरे में वापस आ गई।उसे लग रहा था ,शायद वह अभी भी समीर को समझा सकती है ?
समीर 1 घंटे के अंदर ही, उस कमरे पर पहुंच गया,जहाँ उसने प्यार की आड़ में, वासना का खेल खेला था।
क्या हुआ? इतनी परेशान क्यों हो ?
क्या तुम्हें दिख नहीं रहा ? क्या मुझे ऐसे में परेशान नहीं होना चाहिए ? तुमने चार दिनों से मेरा फोन भी नहीं उठाया और मुझे जिस कंपनी का नाम बताया , वह कंपनी तुम्हारी तरह ही झूठी थी।
अब तुम क्या चाहती हो ?चुपचाप यह बताओ !
विवाह करने जा रहे हो और पूछ रहे हो-' कि मैं क्या चाहती हूं ?'क्या तुमने मुझसे विवाह का वायदा नहीं किया था।
तुम ही कहती रहती थी, मैंने ऐसा कोई वादा नहीं किया। तुम तो ऐसे कह रही हो ,जैसे मैंने तुमसे कोई जबरदस्ती की हो। इस रिश्ते में कोई मजबूरी या जबरदस्ती नहीं होती ,सब अपनी इच्छा से होता है। अब मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना, बात खत्म !
बात कैसे ख़त्म हो गयी ? मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ ,लगभग चीखते हुए दामिनी बोली -उसकी घबराहट और उसकी ऐसी स्थिति उस पर हावी हो चुकी थी, उसे लगता था -यदि घरवालों को पता चल गया तो क्या होगा ?समीर ने विवाह नहीं किया तो इस बच्चे को लेकर कहाँ जाउंगी ?असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही थी।वह लगभग चीखते हुए समीर के मुँह पर थप्पड़ मारती है ,तुमने मुझे इतना बड़ा धोखा दिया। अब तुम ही बताओ !ऐसी हालत में मैं ,कहाँ जाउंगी ?
तुम्हें, जहां जाना है वहां चली जाओ ! मेरे पीछे मत आना।
लगभग उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुए वह बोली -इतने दिनों से तुम मेरे साथ थे, तब क्यों नहीं कहा ?
क्या तुम अंधी हो? तुम्हें दिखलाई नहीं देता। क्या मैंने तुम्हें जबरदस्ती रोका था ? अभी भी कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा हूं। वापस अपने गांव चली जाओ ! तुम उसी गांव में रहने लायक हो।
दामिनी को फिर उस पर क्रोध आता है, और वह उसके थप्पड़ लगाती है।
तन्वी तीन दिनों से, दामिनी की प्रतीक्षा कर रही थी , अब तो दामिनी कॉलेज भी नहीं आई। न जाने उसके साथ क्या हुआ है ? जब वह आए, तब पता चले किंतु तीसरे दिन, तन्वी ने अध्यापिका से बात की। मैडम ! दामिनी तीन दिनों रही है।
क्यों , नहीं आ रही क्या तुमने यह जानने का प्रयास किया।
मुझे लगता है ,दामिनी किसी बात को लेकर, बहुत परेशान थी। तीन दिन पहले आई थी तो रो रही थी , और जब से अब तक आई ही नहीं है।
वह तो तुम्हारी अच्छी दोस्त रही है, तुम्हें पता लगाना चाहिए।
उसको बार-बार फोन कर रही हूं, किंतु उसका फोन भी नहीं उठ रहा।
तुम्हें उसे देखने जाना चाहिए, अनजान शहर में, अपने दोस्त ही, काम आते हैं। क्या तुम्हें मालूम है ? कि वह कहां रहती है ? पहले तो उसने नहीं बताया था किंतु परसों जब रो रही थी, तब उसने बताया था कि वह कहां रह रही थी ?
तब तो तुम्हें उससे मिलने जाना चाहिए।
मैडम ! मैं एक बात और आपसे कहना चाहती हूं , यह बात किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए।
ऐसी क्या बात है ?
दरअसल दामिनी गर्भवती थी।
क्या ???? आश्चर्य से अध्यापिका की आंखें फैल गई और बोली -यह सब कैसे हुआ ? कौन है ? वो !
समीर, हमारी क्लास में जो लड़का पढ़ता है, उसका बड़ा भाई है, वो अक्सर कॉलिज में आता था ,वहीं उसकी मुलाक़ात दामिनी से हुई। मैंने दामिनी से मना किया था कि उससे दोस्ती न करें किंतु वह बहक गई। क्या आप भी मेरे साथ चल सकती हैं ? मेरी अकेले जाने की हिम्मत नहीं हो रही।
ठीक है, तुम उसे फोन करती रहो ! मैं अभी एक जरूरी कार्य करके वापस आती हूं।