नितिन पुलिस वालों को विश्वास दिला देना चाहता था कि वह निर्दोष है और इसी योजना के तहत, उसने पुलिस वालों को अपने पीछे लगाया, और पुलिस वालों ने पहले ही, 'डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी' कहां रह रहे हैं , इसकी जानकारी ले ली थी नितिन उनके मुंह से'' सच्चाई उगलवाना चाहता था'' इसलिए उसने ऐसा दिखाया कि वह जेल से भाग कर आया है किंतु यहां तो ''पासा उल्टा ही पड़ गया।'' डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी ने, नितिन की सारी सच्चाई बयां कर दी। इससे यह तो साबित हो ही गया था कि नितिन ने ही ये सब हत्याएं की हैं किंतु प्रश्न यह उठता है, कि इन सभी हत्याओं के लिए नितिन को उकसाने वाले स्वयं 'डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी' थे जो कि वे अपने को सही ठहरा रहे थे।
हालांकि दोनों मामा -भांजे ने, यह षड्यंत्र रचाया था, किंतु मिले प्रमाणों के आधार पर देखा जाए तो, नितिन ही इन हत्याओं का जिम्मेदार था। किसी के उकसाने से, आदमी अपनी प्रकृति नहीं छोड़ता , किंतु यहां तो डॉ चंद्रकांत त्रिपाठी का दावा था- कि उन्होंने इसके अंदर की शैतान को बाहर किया है इसीलिए नितिन ही इन सब का जिम्मेदार है। पुलिस को आगे और कुछ जानने और समझने की आवश्यकता ही नहीं थी।
तब उन्होंने आगे बढ़कर,' डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी' के साथ-साथ, नितिन और रचित को भी गिरफ्तार कर लिया। इंस्पेक्टर सुधांशु जानना चाहते थे, कि नितिन ने किस तरह से कविता की हत्या की? यह हत्या उसने अपने पूरे होशो हवास में ही की थी, क्योंकि डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया -बहुत दिनों से उन्होंने उस पर कोई प्रयोग नहीं किया है और न ही उसे वश में करने का प्रयास किया था। वह जान गया था, कि जितनी भी हत्याएं आस -पास हो रही हैं, इन सब का जिम्मेदार वही है क्योंकि उसने स्वयं को वहीं या आस -पास पाया। उसे एहसास होने लगा था ,इन हत्याओं से अवश्य ही उसका ही कोई संबंध रहा है।
इस बात को वह झुठला देना चाहता था, इसलिए उसने जानबूझकर कविता को पार्टी में बुलाया और कविता का उसी तरह बलात्कार किया और उसे मार डाला ताकि पुलिस भर्मित हो जाये कि कॉलिज में भी ऐसी दो हत्याएं हुई हैं ,जिनका ज़िम्मेदार प्रकाश था किन्तु इंस्पेक्टर सुधांशु तहकीकात के पश्चात समझ गए थे ,दोनों हत्याएं अलग -अलग ढंग से हुई हैं ,इस दोनों को मारने वाले भी दो ही व्यक्ति हैं।
नितिन जानता था, कि ऋचा की हत्या' प्रकाश' ने की है इसलिए उसका दिमाग सोचने लगा, कि किस तरह इसे दूसरे केस में भी फँसाया जाए ,उसने यह योजना बनाई थी कि इन दोनों हत्याओं का जिम्मेदार प्रकाश को ही ठहराया जाएगा और पुलिस प्रकाश के पीछे पड़ जाएगी। अन्य हत्याएं जो बाहर हुई हैं ,पुलिस अन्य स्थान पर , किसी अन्य हत्यारे को ढूंढती रहेंगी।
इस केस के विषय में, इंस्पेक्टर कपिल को भी पता चल गया था , उसने भी समाचार पत्र में पढ़ा था और इस केस को सुलझाने और सहायता करने, के लिए उसने इंस्पेक्टर सुधांशु को,' धन्यवाद 'कहा था।
प्रकाश अपना गुनाह कबूल नहीं करना चाहता था क्योंकि उसके वकील ने उससे मना किया था किंतु, दोबारा छानबीन करने के पश्चात और ऋचा की दोस्त सुनंदा को विश्वास में लिया गया ,उसने यह सब होते हुए देखा था। सुनंदा बेहद डरी हुई थी ,वह जानती थी ,प्रकाश के पिता बहुत पैसे वाले हैं ,जब उन लोगों को पता चलेगा कि मैंने गवाही दी है, तो मेरे या मेरे परिवार का अहित कर सकते हैं। तब पुलिस टीम ने उसको समझाया और उसे आश्वस्त किया- कि उसका नाम नहीं आएगा,आ भी गया तो उन सभी को सुरक्षा प्रदान की जाएगी , तब वह गवाही देने के लिए तैयार हुई ,तब उसने जो कुछ भी बताया ,उससे, उन्हें पता चल गया कि प्रकाश ही ऋचा के क़त्ल का जिम्मेदार है।
ऐसे समय में सबूत मिलने पर, उसके पिता की पहुंच भी कुछ नहीं कर पाई। पुलिस अपना कार्य बड़ी ईमानदारी और दृढ़ता से कर रही थी और नितिन की योजना भी फेल हो गई उसने कविता की हत्या को स्वीकार तो कर लिया किन्तु न्यायधीश के सामने मुक़र गया और कहा -पुलिस ने मुझसे जबरन ही ,इस अपराध को स्वीकार करने के लिए कहा है अन्य हत्याओं से उसका कोई लेना-देना नहीं था।
इतना सब होने पर भी, पुलिस की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रहीं थीं। अब नितिन अपना जुर्म कबूल नहीं कर रहा था बल्कि वह कह रहा था -'कि मुझे इस विषय में कुछ भी मालूम नहीं है।'
तब पुलिस ने उसके विरुद्ध सबूत कोर्ट में पेश किये ,तब उसका कथन था -मुझे सम्मोहित करके इन सब हत्याओं के लिए प्रेरित किया गया था ,इसमें मेरा कोई दोष नहीं है, मुझे फँसाया गया था मेरे विरुद्ध षड्यंत्र हुआ था। महीनों अदालत में केस चलता रहता है।
नितिन के वकील का कहना था - इसमें मेरे मुवक्किल का कोई दोष नहीं है ,अच्छाई और बुराई हर इंसान के अंदर होती है किन्तु यदि उसको ऐसे समय में उकसाया जाता है ,जब वो मानसिक रूप से कमजोर पड़ रहा था ,ऐसी स्थिति में उसको किसी ने मानसिक तौर सहारा देने की बजाय, उसकी स्थिति का लाभ उठाया और उसको गलत राह पर जाने के लिए उकसाया ,उसको वश में किया गया ताकि वो इन हत्याओं को अंजाम दे सके उसे अपने षड्यंत्र का शिकार बनाया गया।
ऐसे में कोई भी व्यक्ति, यदि किसी के वश में होगा ,तो वो कभी भी कुछ भी कर सकता है। यदि जानबूझकर मेरा मुवक्क़िल कोई योजना बनाता, उन लड़कियों को फंसाता ,उनका बलात्कार करता और उन्हें मार डालता ,तब वो इन सबका ज़िम्मेदार ठहराया जाता ,सबूतों के आधार पर यदि इसने उनका क़त्ल किया है ,मेरे मुवक्क़िल नितिन ने यह सब किया है,तो इसका ज़िम्मेदार ये नहीं ,बल्कि वो डॉक्टर है ,जो इस पर अपने प्रयोग कर रहा था जिसने उसकी मानसिक अवस्था का भरपूर लाभ उठाया। ये चाहता तो अपने पेशे के आधार पर ,उसे सही राह दिखा सकता था ,उसके भटके हुए मन को उचित मार्ग पर ला सकता था।
बल्कि मैं तो ये कहता हूँ ,''शैतानी मन ''मेरे मुवक्क़िल का नहीं ,इस डॉक्टर का है ,जो अपने भांजे के लिए प्रयोग के नाम पर षड्यंत्र रच रहा था। मुझे तो लगता है ,ये स्वयं मानसिक रूप से बीमार हैं ,यदि नितिन अनजाने ही किसी हत्या को अंजाम दे रहा था ,तब इसने उसे रोका क्यों नहीं ?क्यों इसने उन मासूमों की हत्या होने दी ,ये तो सब जानता था फिर भी ये उसके विरुद्ध सबूत इकट्ठा करता रहा और हत्याओं को नहीं रोका। यदि मेरा मुवक्क़िल'' बलात्कारी'' और'' हत्यारा'' है तो डॉक्टर का अपराध कम नहीं हो जाता है मुझे तो लगता है ,असली हत्यारा यही डॉक्टर है ,इतना ही नहीं ,इसने अपने पेशे का दुरूपयोग किया है इसने इन्हीं के कॉलिज के एक प्रोफ़ेसर के द्वारा ,उससे उसकी अपनी पत्नी की हत्या करवा दी,जज साहब !आप इसी से पूछ लीजिये।
वकील की बात सुनकर डॉक्टर हंसने लगा और बोला - मेरे पास वो अपनी बीमारी का इलाज़ करवाने आया था ,उसकी बीमारी उसकी अपनी पत्नी थी ,मैंने तो बस उसकी बीमारी का इलाज़ किया, इसमें मैं कहाँ से अपराधी हो गया ? मैंने तो उससे बस इतना ही कहा -तुम्हारी बीमारी का क्या कारण है ?उसकी जड़ को ही समाप्त कर दो !अब उसने अपनी पत्नी को ही मार डाला ,इसमें मेरा क्या कुसूर है ?
इतना ही नहीं ,जज साहब !जब इस बात की जानकारी प्रोफ़ेसर को हुई ,तब उसे अपने ऊपर बड़ी आत्मग्लानि महसूस हुई और उसने स्वयं भी' आत्महत्या' कर ली।
ये आप क्या कह रहे हैं ?क्या इन पर कोई केस नहीं चला ?जज साहब ने पूछा।
कैसे, केस चलता ?जब इस बात की किसी को जानकारी ही नहीं थी ,न ही किसी ने इनके विरुद्ध कोई रिपोर्ट दर्ज़ कराई ,प्रोफेसर का केस तो आत्महत्या का केस हुआ और उसने स्वयं अपनी पत्नी की हत्या की और उसके टुकड़े कहाँ छुपाये ?ये राज़ भी उनके साथ ही चला गया।
जज साहब !डॉक्टर को लोग भगवान का दर्ज़ा देते हैं ,उससे अपनी सम्पूर्ण बातें बांटते हैं ताकि डॉक्टर को इलाज में आसानी हो सके किन्तु डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी जैसे लोग, अपने पेशे पर एक बदनुमा धब्बा हैं , जिन्होंने अपने पेशे का दुरुपयोग किया और उसका गलत कार्यों में इस्तेमाल किया। मेरा तो कहना यह है, कि इनसे डॉक्टरी की वह डिग्री वापस ले ली जाए जिसके माध्यम से यह लोगों की जान से खेल रहे हैं। अपने षडयंत्रों को अंजाम दे रहे हैं। कहने को यह कुछ भी नहीं कर रहे हैं, किंतु मानवता के लिए ये बहुत ही खतरनाक हैं , मुझे तो लगता है, इन्हें स्वयं इलाज की आवश्यकता है। वरना कोई अपने पेशे को छोड़कर, भागता है और उसका दुरुपयोग करता है। इन्हें इतना भी मालूम नहीं है कि इनके परिवार के लोग कितने परेशान हो रहे हैं ?मैं मानता हूँ नितिन के विरुद्ध सभी सबूत हैं किन्तु ये सब उसने किया नहीं बल्कि उससे करवाया गया है ,उसको फंसाने के लिए ,इससे पहले मेरे मुवक्क़िल के दामन पर कोई दाग़ नहीं था इसीलिए मैं दरख़्वास्त करता हूँ कि सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर,मेरे मुवक्किल की उम्र ,उसके भविष्य को ध्यान में रखकर फ़ैसला सुनाया जाये ताकि वो जीवन में सुंदर भविष्य के साथ आगे बढ़ सके।
कोर्ट से बाहर, मीडिया भी गरमाई हुई थी, बाहर एक रिपोर्टर लोगों को सूचना दे रही थी-आखिरकार ''सीरियल किलर'' पकड़ा ही गया किंतु उनके वकील का कहना है -' वह कोई अपराधी नहीं है, जो भी अपराध हुए हैं उसके जिम्मेदार , मनोवैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी हैं।'' उनका अपना ही बचाव पक्ष है। अब देखते हैं, सजा किसको होती है ? या फिर जो भी इन हत्याओं के जिम्मेदार हैं ,उन सभी को सजा होती है। इतनी लड़कियों के मारे जाने के पश्चात, क्या नितिन को सजा होगी, क्या डॉक्टर भी, उतने ही कुसूरवार हैं ? उन लड़कियों को, न्याय मिलना चाहिए। मैं'' दिव्यंका त्रिपाठी'' , 'आज की खबर चैनल 'से, आपके निर्णय की प्रतीक्षा में, आपके जवाब की प्रतीक्षा में रहूंगी। हमारे साथ बने रहने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद !और शीघ्र से शीघ्र अपने जबाब हमें भेजिए !आपका निर्णय भी हमारा उचित मार्गदर्शन करता रहेगा।
अपनी कहानी का अब मैं यहीं पर अंत करती हूं , जज साहब का क्या निर्णय होगा ? यह तो समय बताएगा अभी तो केस ही चल रहा है किंतु पाठक वर्ग अवश्य ही कोई उचित निर्णय लेंगे और वे स्वयं अपनी समीक्षा द्वारा, निर्णय देंगे कि नितिन को सजा होनी चाहिए या नहीं, इस अपराध के लिए जितना जिम्मेदार नितिन है , क्या उतना ही, जिम्मेदार वह डॉक्टर भी है। क्या रचित को भी उसके षड्यंत्र के लिए सजा मिलनी चाहिए या नहीं। अदालत में तो एक जज होगा किंतु यहां, अनेक जज होंगे, जो यह निर्णय लेंगे, कि किसको सजा होनी चाहिए और कौन निर्दोष है ?अथवा सभी दोषी हैं , यहां तक मेरा साथ निभाने के लिए, आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद ! इसी प्रकार मेरी अन्य कहानी भी आरम्भ हो रही है, उसमें भी मेरा सहयोग दीजियेगा !🙏