वो सामने होगी ,मन में उमंगें , धड़कनें बेताब होंगी।
नजरें उनसे टकरायेंगीं ,धड़कनें कुछ और जवाँ होगीं ।
'लब 'तो ख़ामोश ही रहेंगे ,नजरों ही नजरों में बातें होगीं।
कैसे कटीं,तुम बिन रतियाँ ?कुछ शिक़वे ,शिक़ायतें होंगी।
तुम बिन काटे नहीं कटती थीं रातें ,आज कुछ और बात होगी।
इन दूरियों में ,कुछ अज़नबी से हो गए फिर से मुलाकात होगी।
हमारे पुनर्मिलन में ,फिर से सितारों भरी वही चांदनी रात होगी।
आज फिर से वही गज़रे के फूलों की महक, तेरे गेसुओं में होगी।
नयन मूंद ,वो सोचता रहा ,अपने' पुनर्मिलन'के पल ख़ास होंगे।
एक- दूजे की बांहों में ,मुस्कुराते आज कुछ नए अंदाज़ होंगे।
हमारे पुनर्मिलन को सोचकर, कपोल उसके कैसे लाल होंगे ?
कब सोचा था ?उस बेवफ़ा से मिल टुकड़े उसके तमाम होंगे।