Punarmilan

वो  सामने होगी ,मन में उमंगें , धड़कनें  बेताब होंगी। 

नजरें उनसे टकरायेंगीं  ,धड़कनें कुछ और जवाँ होगीं ।

'लब 'तो ख़ामोश ही रहेंगे ,नजरों ही नजरों में बातें होगीं।

कैसे कटीं,तुम बिन रतियाँ ?कुछ शिक़वे ,शिक़ायतें होंगी।

तुम बिन काटे नहीं कटती थीं रातें ,आज कुछ और बात होगी।  

इन दूरियों में ,कुछ अज़नबी से हो गए फिर से मुलाकात होगी।

हमारे पुनर्मिलन में ,फिर से  सितारों भरी वही चांदनी रात होगी।

आज फिर से वही गज़रे के फूलों की महक, तेरे गेसुओं में होगी।


नयन मूंद ,वो सोचता रहा ,अपने' पुनर्मिलन'के पल ख़ास होंगे। 

 एक- दूजे की बांहों में ,मुस्कुराते आज कुछ नए अंदाज़ होंगे। 

 हमारे पुनर्मिलन को सोचकर, कपोल उसके कैसे लाल होंगे ?

कब सोचा था ?उस बेवफ़ा से मिल टुकड़े उसके तमाम होंगे।  


 



 

 

 

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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