Mysterious nights [part 5]

 एक लड़की, अत्याधुनिक वस्त्रों  में एक होटल में प्रवेश करती है, देखने में बहुत ही सुंदर लग रही थी,उसके सुनहरे बाल , उसकी कंचन सी काया ,श्याम वस्त्रों में वह बहुत ही निखर कर आ रही थी। उसके साथ उसकी सहेलियाँ भी थीं,उनमें वह विशिष्ट ही नजर आ रही थी। उसके चेहरे पर प्रसन्नता किसी चांदनी की तरह खिली थी जो उसके रूप को बढ़ा रही थी। वेटर तुरंत ही ,उन सबके लिए जल लेकर गया। सहेलियों से बातें करते हुए उसने ,खाने की सूचि देखी और उसने सहेलियों से बातचीत करते हुए खाना ऑर्डर कर दिया ,वो अपनी सहेलियों से कह रही थी -ये होटल मुझे बहुत पसंद है ,अक्सर पापा के साथ मैं इसी होटल में आती हूँ। 

एक लड़का जो दूर से उन्हें देख रहा था ,जिसकी दृष्टि उसी लड़की पर ही टिकी हुई थी ,उसने वेटर से पूछा -यह लड़की कौन है ?

जी ये अक्सर यहाँ, अपने परिवार के साथ आती रहती है। 


जाकर पता लगाओ ! आज क्या कोई विशिष्ट बात है ,जो ये पार्टी चल रही है।

 वेटर ने जाकर पूछा - मैडम !आज क्या कोई विशेष बात है ?आज आपके पापा........ आपके साथ नहीं आये 

आज ये हमारे साथ आई है ,आज इसका' जन्मदिन' है ,तुम्हें कोई आपत्ति है ,दूसरी लड़की ने जबाब दिया।

 उस दिन, उस लड़की का जन्मदिन था और वो अपनी सहेलियों को जन्मदिन की पार्टी देने आई थी। तब उस लड़के ने वेटर के कान में कुछ कहा और अपने कमरे में चला गया। अभी लड़कियों का भोजन समाप्त भी नहीं हुआ था। तभी वेटर एक केक लेकर वहां आ गया ,'केक' देखकर वो लड़की हैरत में पड़ गयी और बोली - केक !!! तो मैंने आर्डर भी नहीं किया , तब तुम यह केक कैसे लेकर आए हो ?

मैं जानता हूं, आपने केक ऑर्डर नहीं किया है किंतु आज आपका जन्मदिन है। 

हां वह तो मुझे मालूम है, किंतु मैंने केक ऑर्डर नहीं किया था , यह केक किसने भेजा ?

अरे जिसने भी भेजा हो , तुझे इससे क्या ? उसकी सहेली पलक में जवाब दिया। 

नहीं, मुझे पता तो होना चाहिए, हो सकता है, यह केक किसी और के लिए हो और ये गलती से हमारे लिए ले आया।  

नहीं मैडम ! यह केक आपके लिए ही है, आपका नाम मुझे मालूम नहीं था इसलिए नाम की जगह 'अनाम' लिखा हुआ है। 

पर मुझे पता तो चलना चाहिए यह केक किसने भेजा है ? मैं ऐसे ही यह केक नहीं ले सकती , न ही, मैं इतने पैसे लेकर आई हूं। 

आप इसकी फिक्र मत कीजिए ! यह जिस सर में भिजवाया है, उन्होंने ही इसके पैसे भी दे दिए हैं। 

वह कौन से सर हैं, जरा मैं भी तो मिल लूं , वह मुझ पर इतने  मेहरबान क्यों हो रहे हैं ?

यह तो मैं नहीं जानता, किंतु इतना जानता हूं उन्होंने आपके लिए यह केक भिजवाया है और इसके पैसे लेने के लिए भी मना किया है यह समझ लीजिए, यह कि उनकी तरफ से उपहार है। 

जिसको मैं जानती नहीं, जिसको मैंने देखा नहीं उसने भला मेरे लिए, केक क्यों आर्डर किया ?

अरे यार ! होगा कोई सरफिरा ! तुम्हारा आशिक ! हमें तो केक खाने से मतलब है, तुम केक काटो !

चल ,भुक्खड़ कहीं की ,नहीं, पहले मुझे पता तो चलना चाहिए , यह केक किसने आर्डर किया है ?वह व्यक्ति कहां है ? इधर-उधर देखते हुए उसने पूछा। 

वह कोई छोटा-मोटा आदमी नहीं है, वह इस होटल के मालिक के बेटे हैं। हो सकता है उन्होंने आपके जन्मदिन की खुशी में,अपनी तरफ से आपको यह केक उपहार में भिजवाया  हो। 

मैं भी तो मालिक के बेटे को देखूं, जो मुझ पर इस तरह मेहरबान है , क्या यहां पर जो भी जन्मदिन मनाने आता है ? वह हर किसी को इसी तरह उपहार  देते हैं। 

ऐसा तो नहीं है, किंतु वे ही यहां पहली बार आए हैं, इससे पहले कभी नहीं आए थे, तो उपहार देने का प्रश्न ही नहीं बनता। 

अरे वाह ! यह तो अच्छा ही हुआ , तेरे जन्मदिन पर होटल के मालिक का लड़का आया, और उपहार में तुझे केक भिजवाया , तुझे उसे कम से कम धन्यवाद तो कहना चाहिए और तू लड़ रही है। हो सकता है, वह पहली बार इस होटल में आया है और उसी दिन तेरा जन्मदिन भी है इसलिए उसने शालीनता दिखलाते हुए, हो सकता है ,वह तुझे 'इंप्रेस' करना चाहता हो। उसकी सहेलियां अलग-अलग अटकलें लगा रही थीं और उसे केक काटने के लिए, बाध्य  कर रही थीं। तब दमयंती मैं वेटर से कहा -मैं उनसे मिलना चाहूंगी , तभी मैं यह केक काट सकती हूं उन्हें भी हमारी पार्टी में शामिल होना होगा। 

 उसकी बात सुनकर वेटर कुछ देर के लिए वहां से हट गया जब वह अंदर से आया तो बोला -साहब !कह रहे हैं -वह मिलने के लिए तैयार हैं किंतु आप पहले केक काट लीजिए यह उनकी तरफ से आपके जन्मदिन का उपहार ही है। 

बहुत बढ़िया कहते हुए, शिवानी ने ताली बजाई और बोली -''बिल्ली के भागों छीका टूटा।''अब फ़टाफ़ट केक काट ,मुझे बड़े जोरों से केक भी भूख लगी है।  

इसका क्या मतलब हुआ ?न समझते हुए उस लड़की ने प्रश्न किया। 

 इसका मतलब यह हुआ, आज ही तेरा जन्मदिन है और आज ही इस होटल के मालिक के बेटे ने यहां प्रवेश किया है और हो सकता है , वह जवान और सुंदर भी हो। 

तू कहना क्या चाहती है ?

वही जो तू समझना नहीं चाहती , मुझे लगता है, उसका दिल तुझ पर आ गया है इसलिए उसने ये तेरे लिए ये केक भेजा होगा। 

अब तक दमयंती भी सहज हो चुकी थी ,बोली -वही तो..... मैं भी तो अपने उस आशिक को देखना चाहती हूँ ,हो सकता है मुझे पसंद आ जाये और मैं उसे तेरा जीजा ही बना लूँ ,कहते हुए सभी हंसने लगीं। दूर से एक नजर उस पर टिकी हुई थी जो लगातार उसे देखे जा रही थी ,दमयंती ने केक काटा और उस अनजान व्यक्ति के लिए भी भिजवाया और वेटर से बोली -क्या मैं, उनसे मिल सकती हूँ ?

अभी पूछकर बताता हूँ ,कहते हुए वो अंदर गया और फोन करने लगा -कुछ देर पश्चात आकर कहने लगा -वो अभी बाहर किसी काम से निकल गए। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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