चांदनी बेहद खूबसूरत थी, उसका सौंदर्य चांदनी की तरह ही खिलता नजर आता था। उसके पापा ,उसके लिए लड़के की तलाश में थे किन्तु कहीं भी बात नहीं बन रही थी। जब भी वे लड़का देखते तो अपनी चांदनी से उसकी जोड़ी मन ही मन बनाकर देखते और उन्हें अच्छा नहीं लगता या फिर कहीं बात बनती भी तो न जाने क्या होता ?चांदनी मना कर देती। ऐसा नहीं है कि चांदनी विवाह करना नहीं चाहती थी फिर भी न जाने क्या हो रहा था ? कहीं ना कहीं बात अटक ही जाती थी। रात- दिन उसकी मम्मी को चिंता सताती रहती थी - लड़की की उम्र बढ़ती जा रही है और लड़का कहीं मिल नहीं रहा है।इन बाप -बेटी के चक्कर में तो विवाह होगा ही नहीं।
शायद ,चौरसिया जी की भगवान ने सुन ली या फिर चांदनी के विवाह का समय आ गया। एक दिन उन्हें , उनके बहुत पुराने मित्र मिले। दोनों ही एक दूसरे को देखकर प्रसन्न हुए, पहले से ही दोनों की बहुत बनती थी। जब चांदनी के विवाह की बात चली तो चांदनी के पिता ने उनसे अपनी चिंता व्यक्त की। तब वह बोले -यह तो बहुत ही अच्छा हुआ हम दोनों मित्र भी हैं, और एक दूसरे के परिवार को जानते भी हैं। तेरा बेटा है तो, कोई कमी होने की बात ही नहीं है। फिर भी उन्होंने बताया -कि मेरा बेटा बहुत बड़ा इंजीनियर है और रिसर्च भी कर रहा है। चांदनी के पिता, नौकरी में लगा हुआ लड़का तो देख ही रहे थे और उनके मित्र की धन संपत्ति के विषय में पहले से ही जानते थे। वह बहुत, बड़े रईस खानदान में से आते थे। मन ही मन अंदाजा लगाया, कि लड़का बेहद संस्कारी भी होगा।
कुछ दिनों पश्चात, मिलने की बात कह कर वे लोग चले गए, उनके मित्र राम प्रकाश जी ने बताया -कि जब भी बेटा, घर पर आएगा तो मैं आपको सूचित कर दूंगा। लगभग 2 महीने ही बीते थे, किसी त्योहार पर पुनीत अपने घर आया था। तब पुनीत के पापा ने अपने मित्र को सूचित किया कि बेटा घर आया हुआ है।
यह बात चांदनी को भी मालूम थी, मन ही मन वह भी प्रसन्न थी और उसके पिता भी खुशी-खुशी पुनीत को देखने के लिए चले गए। अब तो यह लग रहा था कि यह बात हो ही जाएगी। वे तो इसी प्रतीक्षा में थे कि विवाह तय होते ही, तुरंत विवाह कर दिया जाएगा। उन्हें अपनी चांदनी का पूर्ण भरोसा था कि वह तो उन्हें पसंद आ ही जाएगी। यही सोच कर जब वे लोग राम प्रकाश जी के घर पहुंचे और लड़के को देखा तो कुछ कह नहीं सके क्योंकि लड़का उनकी सोच से परे था। उनकी चांदनी के सामने, तो वह कुछ भी नहीं था। उन्होंने तो अपनी चांदनी के लिए इससे भी बेहतर लड़के नकार दिए थे। अपने मित्र के सामने तो कुछ नहीं कह सके, किंतु मन ही मन सोच रहे थे -कि अब मुझे क्या करना चाहिए ? इस रिश्ते से कैसे इंकार करें ?
घर आकर सारी बात बताई, तो उनकी वह खुशी पल भर में ही छू हो गई। तब उन्होंने, यह बात चांदनी पर छोड़ दी कि चांदनी, इस रिश्ते से इंकार कर देगी। उन्हें यह विवाह संभव ही नहीं लग रहा था। यह जोड़ी असंभव है और चांदनी से कहा -बेटा ! अब सारी बात तुम पर निर्भर है ,वह मेरा मित्र है ,मैं उसे कुछ कह भी नहीं सकता। जब वो लोग चांदनी को देखने आए ,चांदनी ने भी लड़के को देखा। राम प्रकाश जी ने भी ,जब चांदनी को देखा तो उन्हें लग रहा था, कि शायद लड़की इस रिश्ते से इनकार कर देगी।उन्हें भी यह विवाह इंपॉसिबल लग रहा था मन ही मन सभी घबराए हुए थे। लड़के- लड़की को बातचीत करने का समय दिया गया दोनों ने एक दूसरे से बात की। राम प्रकाश जी मन ही मन घबराए हुए थे और चांदनी के पिता खुश हो रहे थे कि बेटी इस रिश्ते से इनकार कर देंगी।
जब वो लोग आये तो सभी लड़के और लड़की की तरफ देख रहे थे, दोनों का जवाब आया ,हमें यह विवाह मंजूर है।
यह तुम क्या कह रही हो ? चांदनी के पिता ने पूछा -तुमने लड़का देखा है , कैसा है ? तुम्हारी बराबरी का नहीं है फिर तुमने क्या सोचकर इस रिश्ते के लिए हां की है।
पापा ! मैंने उसे नहीं देखा, उसके व्यवहार उसकी आदतें, उसकी सोच सबको देखा है ,वो महिलाओं की इज्जत करना जानता है।
ऐसे समय में लोग, ऐसा दिखावा करते ही हैं ,उसके पिता ने चांदनी को समझाया।
आप ठीक कह रहे हैं ,क्या आप जानते हैं ?मैंने अब तक जिस भी रिश्ते से इंकार किया उन लड़कों में एक अकड़ थी ,उनमें अपनी शिक्षा का अहंकार था ,कइयों की तो 'गर्ल फ्रेंड ' थीं, वे औरत की इज्जत करना जानते ही नहीं थे। वे भी तो दिखावा कर रहे थे किन्तु सच्चाई और दिखावा दिख जाता है। यदि उसका ये दिखावा है ,तो अभी मैं उससे विवाह नहीं कर रही हूँ ,हम दोनों मिलेंगे ,बात करेंगे तब आपको अपना निर्णय सुनाएंगे।
हुआ भी ऐसा ही ,जो विवाह दोनों परिवारों को ''असम्भव'' लग रहा था ,कुछ महीनों पश्चात वो एक प्रगाढ़ बंधन में बंध गया था। उनके प्रेम को जो भी देखता ,'असम्भव' ही कहता किन्तु चांदनी और पुनीत की यही ''इम्पॉसिबल लव स्टोरी ''उन्होंने सम्भव करके दिखलाई थी।