Mysterious nights [ part 10]

ठाकुर  अमर प्रताप सिंह जी, मन ही मन बहुत प्रसन्न थे ,श्याम लाल के कारण उनके बड़े बेटे का विवाह तो हो ही गया था। उनकी यह प्रसन्नता, छुपाये नहीं छुप रही थी। तब वे वहां बैठे ,अपने गांव के लोगों से बोले -जब आप लोग आ ही  गए हैं, तो चाय- नाश्ता करके जाइएगा ठाकुर साहब ने उनसे कहा।जब आदमी का मन प्रसन्न होता है ,उसके अंदर कोमल भाव स्वयं ही उत्पन्न होने लगते हैं ,और वह अपने को और अच्छा  दर्शाने के लिए ,व्यवहार और बातें भी अच्छी करने लगता है। 

हां हां क्यों नहीं ? बहुत दिनों में यह शुभ मुहूर्त आया है , बिना मुंह मीठा किये कैसे जाएंगे ? नारियल की बर्फी मंगवाइये, हुक्का गुड़गुड़ाते हुए तेतर सिंह जी बोले। 



ताऊ ! इतना मीठा खाना ठीक नहीं, आजकल इतने मीठे से एक बहुत बड़ी बीमारी हो जाती है। 

बीमारी लगे, हमारे दुश्मनों को, अब ऐसे अच्छे मौके पर भी मिठाई न खाएंगे तो और क्या खायेंगे ? हवा में धुआं उड़ाते हुए तेतर सिंह जी बोले। 

ठाकुर अमर प्रताप सिंह जी बोले -सही तो कह रहे हैं, अपने बेटे का विवाह है उसमें भी मिठाई ना खाएंगे तो कैसे चलेगा ? रामखिलावन जा, अंदर से मिठाई और चाय लेकर आ !

रामखिलावन अंदर जाता है और थोड़ी देर में ही आकर, ठाकुर साहब के कान में कुछ कहता है , जिसे सुनकर ठाकुर साहब का चेहरा गंभीर हो गया और बोले -आप लोग बैठिये ! हम अभी आते हैं। 

क्या कुछ हुआ है ? एक ने शंका भाव से पूछा। 

पता नहीं ,कान में क्या बोल रहा है? कुछ समझ नहीं आ रहा, इसके साथ जाकर देखता हूं, क्या हुआ है ?

मुझे लगता है, ठाकुर साहब !कुछ छुपा गए , घर में अवश्य ही कुछ बात हुई होगी, शंका से एक व्यक्ति बोला।

तुझे तो दूसरों के घरों में झाँकने की आदत है ,अरे, विवाह वाला घर है ,घर में पचास बातें होती हैं ,तो क्या सभी तुझको बताई जायेंगीं। घर का मामला है, शादी- विवाह में तो ऐसी बातें होती ही रहती हैं , हमें क्या करना है ?हमें तो मिठाई और चाय से मतलब होना चाहिए । 

ठाकुर साहब !जब अंदर पहुंचे, सभी लोगों को एकसाथ खड़े देखकर, बोले - यहां क्या हो रहा है? इस तरह क्यों खड़े हो ? क्या तुम लोग नहीं जानते? कि गांव के लोग यहां आए हुए हैं। उनके लिए चाय -नाश्ता मंगवाया था और तुम लोग यहां खड़े हो। क्या हुआ ?रामखिलावन कह रहा था -कुछ हुआ है। 

ठाकुर साहब !आपको क्या बताएं ?हमें ही पता नहीं, क्या हुआ है ? बहु अंदर बंद है और रो रही है, पता नहीं बेटा भी वहां पर है या नहीं। 

उससे कहकर दरवाजा तो खुलवाइए, तभी तो सच्चाई का मालूम होगा ,उनका इतना ही कहना था तभी किसी ने दरवाजा खोला सभी की दृष्टि दरवाजे पर थी। अंदर से 'जगत' ही बाहर निकला था ; जगत सिंह उनका बड़ा बेटा है, जिसका विवाह दमयंती से हुआ है। सभी  प्रश्नात्मक दृष्टि से, जगत की तरफ देख रहे थे। वह चुपचाप खड़ा था, तब ठाकुर साहब बोले -क्या बुत बना हुआ खड़ा है ? बताता क्यों नहीं, क्या हुआ है ?

मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा, वह अंदर चिल्ला रही है और कह रही है -तुम मेरे पति नहीं हो सकते। 

भला ! यह क्या बात हुई ? क्या वह नहीं जानती,तुमसे ही उसका विवाह हुआ है , तुम ही उसके पति हो ?

 वही तो समझ में नहीं आ रहा है, क्या हो रहा है ? रोए जा रही है, कुछ भी नहीं बता रही है। 

अपने बेटे का उदास चेहरा देखकर सुनयना जी बोलीं -तू बाहर जा ! मैं इससे बात करती हूं। पार्वती से बोलीं  -तू एक गिलास पानी लेकर आ ! और सबसे बोली -तुम सभी अपने- अपने कार्य पूर्ण करो ! गांव वाली औरतें आनी शुरू हो जाएगी, जिसको जो काम दिया गया है वह अपना कार्य पूर्ण करें। इतनी देर में पार्वती पानी लेकर आ गई थी। वे पार्वती से बोलीं -तू थोड़े से पकोड़े तल लेना, और ठाकुर साहब के लिए मिठाई और चाय का प्रबंध भी कर देना मैं अभी आती हूं कहते हुए उन्होंने बहू के कमरे में प्रवेश किया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। लो बहू !पानी पी लो ! 

दमयंती ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी, और रोती रही। तब वह बोली -हमें पता भी तो चलना चाहिए , तुम रो क्यों रही हो ? क्या तुम्हें जगत ने कुछ कहा है। 

मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है ,रात मेरे पति के स्थान पर कोई और था। 

कौन था ? उन्होंने आश्चर्य से पूछा। 

वही जो बाहर गया है , उन्हें दमयंती की बात कुछ अटपटी  सी लगी, उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था यह कहना क्या चाहती है ? तब वह बोलीं  -इसमें धोखा कैसा ? वही तो तुम्हारा पति है। 

 नहीं, मेरा विवाह तो किसी और से हुआ है ? सुनैना जी को लगा कि यह लड़की कुछ दिमाग से हिली हुई है। वह बोलीं  -तुम्हारा विवाह किससे हुआ है ?

 मेरे कमरे से जो गया वह कौन था ?

वही तो तुम्हारा पति 'जगत' था , उसी से तो तुम्हारा विवाह हुआ है। 

नहीं, अब मैं यहां एक पल भी नहीं रुकूंगी , मुझे अपने घर जाना है।आप लोगों ने मेरे साथ ये अच्छा  नहीं किया।  

हमने क्या किया ? तुम इस तरह यहां से नहीं जा सकतीं ,अभी तो कई रस्में निभानी बाक़ी हैं। 

यह विवाह एक धोखा है, जब विवाह ही ठीक से नहीं हुआ तो रस्में निभाने का क्या अर्थ है ?

मेरा इंतजाम कर दीजिए, मैं अपने घर चली जाऊंगी। 

ऐसा कैसे हो सकता है ? तुम्हारे साथ किसने धोखा किया है ?वे दमयंती की बातें सुनकर घबरा गयीं। 

आप लोगों ने, दमयंती ने स्पष्ट जवाब दिया। 

यह हमारी इज्जत का सवाल है, चार लोग पूछेंगे ! आपकी बहू विवाह से अगले दिन ही कहां और क्यों चली गई ? हम क्या जवाब देंगे ?

मैं आप लोगों की बहू नहीं हूं , आप लोगों ने मेरे साथ विश्वासघात किया है। 

क्या तुम्हारा हमारे' जगत' से विवाह नहीं हुआ है ?

मैं इस आदमी को नहीं जानती ,यह मेरे कमरे में घुस आया और मेरे साथ..... कहते हुए फिर से रोने लगी। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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