Meri pahachan

 कौन ? मैं !

प्रश्न पूछता ,'मैं' अपने आप से। 

'मैं' अहंकार या स्वाभिमान !

देखता, आईने में..... 


क्या? ये तन ,मेरी पहचान है। 

विलीन हो जाना, पंचतत्व में। 

मेरे शब्द,मेरी सोच ,व्यवहार !

जो बदल जाएँ ,समयानुकूल !

एक जीवात्मा!सत्य जानती है ,

भटकती है ,विकल क्यों है ?

न जाने, किसकी तलाश है ? 

पूर्ण होकर भी ,''अपूर्ण'' है। 

पूछती है -' मैं ''कौन ?

मेरी पहचान क्या है ?


नई शुरुआत -

आओ !नई शुरुआत करते हैं।

बहुत हुए ,गिले -शिक़वे !

दिल को आबाद करने की बात करते हैं। 

जीवन का हर दिन नया ,

तो क्यों न ,जीवन के नए पन्नों की बात करते हैं। 

बहुत से स्वप्न टूटे ,कुछ बिखर गए। 

इक नई उम्मीद ,नयी आशाओं की बात करते हैं। 

आओ !इक नई शुरुआत करते हैं। 

जीवन के नवीन पन्नों पर लिखने की बात करते हैं। 

जीवन के अंधेरों में बहुत भटक चुके ,

अब तो नवीन उजालों की ओर बढ़ने की बात करते हैं।

ठहर न जाना ,जीवन की पुस्तक अभी पूर्ण नहीं हुई। 

 पुस्तक में कुछ रंगीन सुनहरे पन्ने जोड़ने की बात करते हैं। 

आओ !इक नई शुरुआत करते हैं।   


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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