कौन ? मैं !
प्रश्न पूछता ,'मैं' अपने आप से।
'मैं' अहंकार या स्वाभिमान !
देखता, आईने में.....
क्या? ये तन ,मेरी पहचान है।
विलीन हो जाना, पंचतत्व में।
मेरे शब्द,मेरी सोच ,व्यवहार !
जो बदल जाएँ ,समयानुकूल !
एक जीवात्मा!सत्य जानती है ,
भटकती है ,विकल क्यों है ?
न जाने, किसकी तलाश है ?
पूर्ण होकर भी ,''अपूर्ण'' है।
पूछती है -' मैं ''कौन ?
मेरी पहचान क्या है ?
नई शुरुआत -
आओ !नई शुरुआत करते हैं।
बहुत हुए ,गिले -शिक़वे !
दिल को आबाद करने की बात करते हैं।
जीवन का हर दिन नया ,
तो क्यों न ,जीवन के नए पन्नों की बात करते हैं।
बहुत से स्वप्न टूटे ,कुछ बिखर गए।
इक नई उम्मीद ,नयी आशाओं की बात करते हैं।
आओ !इक नई शुरुआत करते हैं।
जीवन के नवीन पन्नों पर लिखने की बात करते हैं।
जीवन के अंधेरों में बहुत भटक चुके ,
अब तो नवीन उजालों की ओर बढ़ने की बात करते हैं।
ठहर न जाना ,जीवन की पुस्तक अभी पूर्ण नहीं हुई।
पुस्तक में कुछ रंगीन सुनहरे पन्ने जोड़ने की बात करते हैं।
आओ !इक नई शुरुआत करते हैं।