इस दिल की दास्तान अब, बतलाएं क्या ?
टूटा हुआ ये दिल ,अब इसे समझाएं क्या ?
ये नन्हा सा दिल, क्या -क्या चाहता था ?
इसकी 'दास्तां ए मोहब्बत' सुनाएँ क्या ?
बेपरवाह ये ,इस जीवन की रुसवाइयों से ,
टूटकर रोया है ,ज़ार -ज़ार समझायें क्या ?
इस ज़माने की रुसवाइयों को हमने झेला बहुत ,
अब उस बेवफ़ा की नज़्म ,तुम्हें सुनाएँ क्या ?
नन्हा सा,नाजुक सा, दिल उन पर क्या आ गया ?
उसने जाने कितने सितम ढाये,अब बतलाएं क्या ?
अपने मौन से ही, उसने न जाने ,कितने वार किये ?
उसकी चुप्पी ने क्या कुछ नहीं कहा,अब बतलाएं क्या ?
बदलते मौसम -
'बदलते मौसम' अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं।
इंसानों पर ही नहीं,जीवों पर असर छोड़ जाते हैं।
पहनावे,से खानपान, रहन-सहन पर असर पड़ता है।
मजबूरी में ही सही ,उसी के अनुकूल जीना पड़ता है।
मौसम की तरह ही...... यदि इंसान बदलता है।
इसका असर भी, अपनों के जीवन पर पड़ता है।
यह असर कब तक और कितना गहरा होगा ?
यह समय बताएगा या फिर चोट खाया इंसान !