Batlayen kya ?

 इस दिल की दास्तान अब, बतलाएं क्या ?

 टूटा हुआ ये दिल ,अब इसे समझाएं क्या ?

 ये नन्हा सा दिल, क्या -क्या चाहता था ? 

 इसकी 'दास्तां ए मोहब्बत' सुनाएँ क्या ?



 बेपरवाह ये ,इस जीवन की रुसवाइयों से ,

 टूटकर रोया है ,ज़ार -ज़ार समझायें क्या ?

इस ज़माने की रुसवाइयों को हमने झेला बहुत ,

अब उस  बेवफ़ा की नज़्म ,तुम्हें सुनाएँ क्या ?

नन्हा सा,नाजुक सा, दिल उन पर क्या आ गया ?

उसने जाने कितने सितम ढाये,अब बतलाएं क्या ?

अपने मौन से ही, उसने न जाने ,कितने वार किये  ?

उसकी चुप्पी ने क्या कुछ नहीं कहा,अब बतलाएं क्या ?



बदलते मौसम -

'बदलते मौसम' अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं। 

 इंसानों पर ही नहीं,जीवों पर असर छोड़ जाते हैं।

 पहनावे,से खानपान, रहन-सहन पर असर पड़ता है।

मजबूरी में ही सही ,उसी के अनुकूल जीना  पड़ता है।  

मौसम की तरह ही...... यदि इंसान बदलता है। 

इसका असर भी, अपनों के जीवन पर पड़ता है। 

यह असर कब तक और कितना गहरा होगा ?

यह समय बताएगा या फिर चोट खाया इंसान !


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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