दामिनी की मौत के पश्चात ,तन्वी, समीर से मिलने उसके घर जाती है ,वह जानना चाहती है कि आखिर उस दिन ऐसा क्या हुआ था ?जो दामिनी आत्महत्या करने पर मजबूर हो गयी और वह समीर से जानबूझकर ऐसी बातें करती है , जैसे कि उसे सब मालूम है और वह अंदाजे से ही उस पर दामिनी की हत्या का आरोप लगाती है -'समीर ने ही दामिनी को मारा है।'' यदि ऐसा कुछ हुआ होगा तो वह कुछ तो ऐसा कहेगा, जिससे पता चल सके कि उस दिन क्या हुआ था ?
मैं जानती थी, तुमने ही उसे मारा होगा, उसे तुम पर ही, तब भी विश्वास था इसलिए तुम्हारे कहने पर, मुझसे मिलकर वह सीधे तुमसे मिलने आई थी।
कौन, किससे मिलने आया था? तभी समीर की मम्मी अंदर प्रवेश करती हैं और तन्वी को देखकर, कहती है -तुम यहां पर क्या कर रही हो ? कौन, किससे मिलने आया था ? समीर घबराहट में, पसीने से तरबतर हो गया था, तन्वी उसे देख रही थी उसका विश्वास झूठा नहीं था , समीर ने ही उसे मारा था दामिनी ने आत्महत्या नहीं की थी।
तब वह बोली -मेरी एक सहेली थी, वह भी इन्हें विवाह की बधाई देने आई थी।
वह मुझे तो नहीं मिली , वे बोलीं।
हो सकता है, बाहर से ही बधाई देकर चली गई हो , पवन से भी, मैंने ही कहा था -तुम्हारे भाई का विवाह है, हमें विवाह में भी नहीं बुलाया ,किन्तु आंटी उस लड़की के साथ बहुत बुरा हुआ ?किसी ने उसकी हत्या कर दी। वही बात मैं इन्हें बता रही थी।
ओह !बेचारी लड़की के साथ बहुत बुरा हुआ। मैंने तो पवन से कहा था -कि अपने सभी दोस्तों को बुला लेना , शायद तुम्हें निमंत्रण देना भूल गया होगा।
तन्वी को इतना तो अंदाजा हो गया कि यह आत्महत्या नहीं हत्या है। अच्छा, आंटी जी !अब मैं चलती हूं, कहकर तन्वी वहां से बाहर निकल गई। हॉस्टल में आकर, परेशान होकर सोचती है -यह विवाह कर रहा है, और दामिनी इस दुनिया में ही नहीं है, उसकी दुनिया में आग लगाकर यह कैसे अपनी दुनिया बसा सकता है ? मैं इसे छोडूंगी नहीं। मुझे पुलिस को बताना ही होगा। यह सोचकर वह हॉस्टल से बाहर निकलती है किंतु उससे पहले वह अपनी उन अध्यापिका से बात करना चाहती है जिनको इस विषय में संपूर्ण जानकारी थी। वह उन्हें फोन करती है, मैम ! आप कहां हैं ?
कहां होउंगी ? मैं तो अपने घर पर ही हूं।
मैम ! आपको मैं यह बताना चाहती थी, कि दामिनी ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या हुई है।
यह तुम कैसे कह सकती हो ?अचम्भित होते हुए उन्होंने पूछा।
मुझे समीर पर, ही शक था और मेरा शक सही निकला। समीर ने खुद स्वीकार किया है, उसने दामिनी को धक्का दिया था जिसके कारण उसका सिर दीवार से लगा और फिर उसके सिर से खून बहने लगा। उस नीच ! ने उसे, डॉक्टर को भी नहीं दिखाया,वह शायद बच जाती। उसे वहीं छोड़कर भाग आया, मुझे तो लगता है, ज्यादा खून बहने से ही दामिनी की मौत हुई है किन्तु पुलिस ने इसे आत्महत्या कैसे कह दिया ?क्या पुलिस ने छानबीन नहीं की ?मैं पुलिस स्टेशन जा रही हूँ ,मुझे उसके घरवालों को भी बताना होगा ,कि उसकी हत्या हुई है।
नहीं ,तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगी ,जो उसकी हत्या कर सकता है ,तुम्हें भी हानि पहुंचा सकता है।
किन्तु मैम !हमें पता तो लगाना होगा ,कि पुलिस ने उसे आत्महत्या क्यों कहा ?और उसके घरवाले उसकी बॉडी लेने आये या नहीं।
ठीक है ,तुम हॉस्टल में ही रहो !ये सब बातें मैं स्वयं पता करके तुम्हें बताती हूँ ,तुम कहीं भी बाहर मत जाना।
ठीक है ,मैम !कहकर तन्वी फोन बंद करके वापस अपने कमरे में पहुंचती है।
तब पुनिया गांव की अध्यापिका सुनीता से कहती है -मैंने तुम्हे जो कुछ भी बताया ,वह अब तुम किसी से मत कहना ,क्योंकि अब इन बातों का यहां कोई ज़िक्र भी नहीं करता ,ज़िक्र किया भी तो क्या हो जायेगा ?दुःख के सिवा कुछ हाथ नहीं आना है ,जिसके साथ जो कुछ भी हुआ। वह लौटाया तो नहीं जा सकता कोई इन बातों को कहता भी होगा तो अपने बच्चों को समझाने के लिए ,कहता होगा।
तुम सच ही कह रही हो ,इन बच्चियों के साथ बहुत ही बुरा हुआ।
वही तो बता रही हूँ ,इस गांव के लोग कई जख़्म लिए बैठे हैं ,वे उन्हें छेड़ना भी नहीं चाहते और जब कोई कुरेदता है ,तो कुरेदने वाला ही क्या इससे अछूता रहेगा ?और तुम्हारी बहन ने इस गांव में आकर जैसे उनके शांति पूर्ण जीवन में ,हलचल मचाई है फिर भी इन्होंने तुमसे ज़्यादा कुछ नहीं कहा। यहाँ कि पुलिस भी इसीलिए गांव के लोगों के साथ है। गांववालों की इच्छा ,वे अपने बच्चों को क्या परवरिश देना चाहते हैं या उन्हें कैसे रखना चाहते हैं ?
ये गांववालों को ही नहीं ,हर माता -पिता को आजादी होती है कि वह अपने बच्चे को कैसी परवरिश दें ?किन्तु आजकल का वातावरण इतना बदल गया है कि बच्चे माँ -बाप की ही नहीं सुनते ,वो अच्छी परवरिश और संस्कार देना तो चाहते हैं किन्तु आजकल के बच्चे उसे कितना गृहण करते हैं ?यह तो बच्चे पर ही निर्भर करता है ,इसमें बेचारे माता -पिता को भी तो दोष नहीं दिया जा सकता। अच्छा ये तो बताओ !तन्वी की अध्यापिका ने क्या पता लगाया ?दामिनी के माता -पिता को पता चला तो उन्होंने क्या किया ?
वो तन्वी की ही नहीं दामिनी की अध्यापिका भी थी ,उन्होंने पता लगाने का प्रयास किया,वो भी तो जानना चाहती थीं कि आखिर दामिनी के साथ क्या हुआ ? उन्होंने पुलिस थाने में फोन किया और पूछा -क्या कुछ पता चला कि उस लड़की ने आत्महत्या क्यों की थी ?
जी, वह लड़की अकेली रहती थी, हमें लगता है, उसका किसी लड़के से भी संबंध था क्योंकि वह गर्भवती भी थी। उसके गर्भ में, जिसका भी बच्चा पल रहा होगा , उसने विवाह से इनकार कर दिया होगा। हमें लगता है, इसी कारण उसने आत्महत्या की होगी,उन्होंने अंदाजा लगाकर बता दिया।
आप कैसे कह सकते हैं, कि वह आत्महत्या थी ? हत्या भी तो हो सकती है।
हमें तो यह भी लगता है,यह आत्महत्या भी नहीं, यह एक मात्र दुर्घटना थी, वह उस घर में अकेली रहती थी और उसका पैर फिसला, वह दीवार से टकराई और इसका सिर फट गया जिसके कारण ज्यादा रक्त बहने से उसकी मौत हो गई। हम भी तो संभावना ही लगा रहे थे, हमने आसपास पता किया है ,उस लड़की को कोई नहीं जानता। उसके पास कौन आता था कौन जाता था ? वहां कोई भी नहीं जानता।
इंस्पेक्टर साहब !क्या उस लड़की के माता-पिता, उस लड़की का मृत शरीर लेकर चले गए। उन्होंने कुछ नहीं कहा।
वे बेचारे !क्या कहते हैं ?वे तो शर्मिंदा थे। गांव के लोग थे, इज्जत, मान- सम्मान का बहुत ख्याल रखते हैं। उन्हें तो यह मालूम ही नहीं था कि उनकी बेटी हॉस्टल में न रहकर ,शहर में कमरा लेकर, कहीं बाहर रह रही है। हमने उन्हें यह बताना भी उचित समझा कि वह गर्भ से थी, हमने उनसे पूछना चाहा था , कि उनको किसी पर शक है या नहीं। वह कहने लगे-''हम यहां किसी को जानते नहीं, हमें पता ही नहीं, हमारी बेटी किससे मिलती है, किससे नहीं, हम किसी पर क्या शक करेंगे ? और हम किसी को कुछ कहना भी नहीं चाहते , यदि हमने किसी के विरुद्ध रिपोर्ट भी कार्रवाई तो उससे क्या हो जाएगा ? हमारी बेटी तो वापस नहीं आ जाएगी। उसकी बदनामी के सिवा और क्या होगा ? जिसको नहीं पता है, उसे भी पता चल जाएगा , उस मरी हुई पर क्यों कीचड उछालते हैं ? उसकी किस्मत में जो लिखा था, वो हो गया।