अगले दिन प्रातः काल ही तन्वी का फोन आ गया और बोली -मैडम ! क्या कुछ पता चला ? क्या उसके घर वालों को भी पता चल गया होगा और पुलिस क्या कह रही है ?
सबके मन में बात स्पष्ट है, मैडम ने जवाब दिया -पुलिस इसे आत्महत्या या दुर्घटना ही समझ रही है, उस जगह पर कोई भी उन्हें ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं। कोई भी नहीं जानता, कि उससे कौन मिलने आता था और कौन नहीं ? मेरा तो विचार यह है ,कि कोई जानता भी हो, तो पुलिस के चक्कर में कोई नहीं पड़ना चाहेगा इसीलिए सब इनकार कर देते हैं। किसी अनजान लड़की के लिए ,क्यों कोई कोर्ट -कचहरी के चक्कर में पड़ना चाहेगा , जबकि ऐसे समय में उसके माता-पिता ने स्वयं ही, कोई भी केस या रिपोर्ट दर्ज करने से इनकार कर दिया। कह रहे थे -' इससे, उनकी और उनके गांव की ज्यादा बदनामी होगी ,मरी हुई बेटी को भी बदनाम किया जाएगा। यह सब करने से वह वापस तो नहीं आएगी। न जाने, उन्हें इस बात का क्रोध है, या बदनामी का डर !उन्हें तो यह भी मालूम नहीं था कि उनकी बेटी अब हॉस्टल में नहीं रह रही थी ।
क्या उन्हें ये भी नहीं पता चला कि उनकी बेटी गर्भवती थी।
ये बात तो मुझे नहीं मालूम ,उसका गर्भवती होना, उनके लिए कोई सम्मान की बात नहीं होगी , यह उनके लिए अपमान की बात थी और यह कोई नहीं जानता ,वह कैसे गर्भवती हुई ? इस बात पर तो वकील उसके चरित्र की धज्जियां ही उड़ाते, न जाने, किसके बच्चे की मां बनी हुई है। वे ' समीर का गर्भ' होने को भी झुठला सकते थे। ये भी हो सकता है ,उसके परिवारवालों पर केस लड़ने के लिए इतना पैसा ही न हो। पैसा होता भी तो क्या ?''बेटी गरीब की हो या अमीर की ,इज्जत तो सभी की होती है। ''सुना है ,अब तो उसके माता-पिता ने उसका क्रिया कर्म भी कर ही दिया होगा , अब कोई सबूत भी नहीं होगा।
मैडम की बात सुनकर, तन्वी को बहुत दुख होता है और क्रोध भी आता है। वह रोते हुए कहती है -मैडम! हम जानते हैं, उसका कातिल कौन है ?लेकिन हम उसको न्याय नहीं दिला पाएंगे। सब कुछ आनन -फानन में हो गया। न ही किसी ने केस किया और न ही किसी ने सबूत जुटाए ,उसे अब न्याय तो क्या ही मिलेगा? किसी ने जानने का प्रयास भी नहीं किया कि उसका गुनहगार कौन है ? उसे लावारिस लाश की तरह जला दिया।
मैम !मैं आपसे पूछती हूँ ,क्या इस सब में सिर्फ उसकी ही गलती थी ?क्या उस लड़के का कोई दोष नहीं था ?जिसने उसे बहलाया -फुसलाया था। दामिनी ने उसके प्यार पर विश्वास किया ,उसने भी उससे प्यार किया। उसके कारण ,उसने मेरा साथ भी छोड़ दिया। वह, उसे प्रतिदिन छलता रहा ,उसे धोखा देता रहा ,तभी तो वह 'गर्भवती ''हुई ,अब उसका अस्तित्व ही समाप्त हो गया। उसके लिए लड़ने को कोई भी तैयार नहीं है। यहाँ तक कि उसके अपने परिवार वाले भी मौन हैं जो उसका अपराधी है ,उसका आज विवाह हो रहा है। क्या उसको सजा नहीं मिलनी चाहिए थी ?माना कि वो बहक गयी थी किन्तु वो भी तो, कम दोषी नहीं है। रोते हुए पूछती है - मैम ! हम लड़कियां ही क्यों छली जाती हैं ?क्या लड़कों का कोई दोष नहीं होता ?हमें ही सजा क्यों भुगतनी पड़ती है ?क्यों ?
तुम ,शांत हो जाओ ! बहुत से ऐसे प्रश्न हैं ,जिनके जबाब हम, तमाम उम्र ढूंढती रहती हैं ,किन्तु जबाब नहीं मिलते। लड़की की इज्जत उसके और उसके परिवारवालों के मान -सम्मान से जुडी होती है। अब दामिनी को ही देख लो !वो कब और कहाँ कमज़ोर पड़ गयी ?यदि उसे समीर से प्यार हो भी गया था तो भी उसे क़रीब नहीं आने देना चाहिए था। समीर ने पहले उसका विश्वास जीता और फिर लाभ उठाया। आजकल तो वे लड़के भी धोखा दे जाते हैं ,जिनके रिश्ते की बात चल रही होती है और जो विवाह से पहले ही करीब आ जाते हैं। लड़कों में कोई ही ऐसा पुरुष होगा ,जो अपनी बात और चरित्र का पक्का होगा। समीर को अगर उससे विवाह करना होता तो उसके करीब आने का प्रयास भी न करता। उसे दामिनी से विवाह करना ही नहीं था ,उसकी भावनाओं का गलत फायदा उठा रहा था।
दूसरी बार वह जब कमजोर पड़ी ,जब उसने तुम्हारी सलाह न मानकर,उससे मिलना उचित समझा। गर्भवती वो हुई थी ,समीर नहीं। प्रकृति ने औरत को जितना मजबूत बनाया है, उतना ही कमज़ोर भी ,ऐसी हालत में ,उससे अपना हक़ मांग रही होगी ,उसने इंकार किया होगा ,बात बढ़ी होगी तब धक्का -मुक्की हुई होगी ,और तभी ये घटना घटी। तभी तो हमारे बड़े कहकर गए हैं -''बंद मुट्ठी लाख की ,खुल गयी तो ख़ाक की। ''ये लड़के जब तक ही लड़की के पीछे घूमते नजर आते हैं ,जब तक वो मिल नहीं जाती।
अब, इसमें हम क्या कर सकते हैं ?जब स्वयं ही, उसकी माता-पिता कुछ करना नहीं चाहते। कहते हुए मैडम ने तन्वी से कहा -'अब तुम भी शांत हो जाओ ! इस बात की अब कोई चर्चा नहीं होगी, तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो तुम्हारे माता-पिता ने भी तुम्हारे लिए कुछ सपने सोचे हैं। अब उन पर ध्यान दो ! उसे जाना था वह चली गई। फोन रखने के पश्चात तन्वी रो रही थी और सोच रही थी -मेरी सहेली का कातिल तो विवाह कर रहा है आज उसका विवाह हो जाएगा किंतु उसको तो न्याय नहीं मिला।
एक लड़की सड़क पर खड़ी होकर, किसी से पूछ रही थी -क्या 'पुनिया 'गांव का रास्ता यही है ?
नहीं ,इससे अगला रास्ता जाता है किंतु तुम कौन हो? उस अनजान व्यक्ति ने उससे पूछा।
यहां मेरे रिश्तेदार रहते हैं, उस लड़की ने जवाब दिया किंतु पहली बार आई हूं, और बहुत दिनों पश्चात , इसीलिए जानकारी ले रही थी। रास्ता पूछते- पाछते, वह लड़की दामिनी के घर पहुंच जाती है।
दामिनी के माता-पिता उसे जानते नहीं थे ,उदास नजरों से उसकी तरफ देख रहे थे ,उन्हें लगा ,जैसे -हमारी दामिनी हमारे सामने आकर खड़ी हो गयी है।उस अनजान चेहरे को देखकर बोले -बेटी !तुम कौन हो ?
वह लड़की बोली- आप लोग मुझे नहीं जानते ,क्या आप लोग 'दामिनी 'के माता -पिता हैं ?दामिनी का नाम सुनते ही ,वे जैसे सचेत हो गए और बोले -तुम कौन हो ?
मैं आपकी बेटी' दामिनी 'की सहेली, 'तन्वी' हूं , उसके इतना कहते ही, दामिनी के पिता घर से बाहर निकल गए।