न जाने मैंम , उसके साथ क्या हुआ होगा ? कहते हुए, तन्वी रोने लगी। यह सब कैसे हुआ और कब हुआ ? उसने,दामिनी की पड़ोस की महिला से पूछा।
मैं यह तो नहीं जानती, कैसे हुआ? किंतु इतना जानती हूं ,यह परसों की बात है। परसों उसके साथ कुछ हुआ होगा जो उसने यह कदम उठाया और सुबह उसे चाय वाले लड़के ने देखा।
क्या उसके घर वाले आए थे ?
यह सब मुझे नहीं पता, पुलिस आई थी और उसकी बॉडी को लेकर चली गई।
वह महिला कुछ देर के लिए हटी, तब तन्वी मैम से बोली -मैम ! मुझे तो लगता है,यह जरूर समीर की ही कोई हरकत होगी ,कहीं उसने ही तो नहीं.......
उसकी बात को बीच में ही काटते हुए मैडम बोली -ऐसी स्थिति में किसी का भी नाम लेना उचित नहीं है, जब तक तुमने देखा न हो।
देखना- सुनना क्या है? यह उसी की हरकत होगी, या तो उसने ,उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया होगा और यह भी हो सकता है, समीर ने ही उसे मार डाला हो ! उसके लिए ही तो, वह अपना गांव का चोला उतारकर शहरी लड़की बनी थी। वही उसका पहला प्यार भी था , इतनी जल्दी उसे कैसे भूल सकती थी ? अवश्य ही, उन दोनों में कुछ बातचीत हुई होगी या फिर झगड़ा हुआ होगा।
हमारा यहां रुकना ठीक नहीं है , हमें यहां से चलना चाहिए ,मैडम ने ,तन्वी को वहां से उठाया और वापस जाने के लिए गली से बाहर निकल गई।
तभी तन्वी बोली -हमें पुलिस स्टेशन जाना चाहिए , वहीं से कुछ मालूम होगा क्या उसके घर वालों ने कोई रिपोर्ट नहीं लिखवाई होगी ? उन बेचारों को तो कुछ भी, मालूम नहीं होगा।
नहीं, अभी हम वापस, कॉलेज जाते हैं वहां जाकर सोचते हैं कि हमें क्या करना है ?कहते हुए दोनों रिक्शे में बैठ गयीं। हॉस्टल में आकर ,तन्वी बहुत रोती है,धीरे -धीरे हॉस्टल तो क्या कॉलेज में सबको पता चल गया कि दामिनी अब हमारे बीच नहीं रही,दो मिनट का मौन भी किया गया। क्योंकि छानबीन के लिए, पुलिस कॉलिज में आई थी और उन्होंने बताया -कि दामिनी नाम की लड़की ने आत्महत्या की है।
अगले दिन तन्वी उठी, और समीर के भाई पवन से बोली -तुम्हारे भाई का विवाह कब है ?
उनकी कल शादी है।
तुमने हमें तो निमंत्रण दिया ही नहीं, क्या अपने भाई की शादी में नहीं बुलाओगे ?
हां हां क्यों नहीं? आ जाना।
बारात में जाकर, मैं क्या करूंगी ? आज ही तुम्हारे घर चलते हैं, आज भी तो कुछ रस्में हो रही होगीं।
तुमने ठीक ही कहा, मेरी मम्मी को भी अच्छा लगेगा। मैं भी, आज आने वाला नहीं था, किंतु आज प्रैक्टिकल था इसलिए आना पड़ा।
क्या तुमने ,दामिनी के विषय में सुना।
हाँ ,सुना !वो परसों ही तो मुझसे मिली थी ,वो भी भाई को बधाई देना चाहती थी।
क्या ??और अब मैं भी ,कहीं मैं भी न मारी जाऊँ।
ये तुम कैसी बातें कर रही हो ?
नहीं मुझे ऐसा लगा ,वो भी तुम्हारे भाई को बधाई देना चाहती थी इसीलिए कहा। अच्छा !तुम नाराज मत हो ! मैं तुम्हारे साथ चलूंगी। प्रैक्टिकल के बाद दोनों ही चलते हैं , तन्वी ने उससे बात कर ली। वह स्वयं ही नहीं जानती कि वह क्या करने वाली है? किंतु वह समीर को एक बार तो देखना ही चाहती थी जिसके कारण एक लड़की ने आत्महत्या की, वह कैसे विवाह की घोड़ी पर चढ़ सकता है ? तन्वी और पवन जब घर पहुंचे, तो समीर की बाण की रस्म हो रही थी। तन्वी वहां जाकर चुपचाप बैठ गई। पवन ने अपनी मम्मी को बताया -मेरे कॉलेज में मेरे साथ पढ़ती है, भाई की शादी देखने आई है।
ओह ! आओ बेटा ! कहते हुए तन्वी के लिए चाय -नाश्ता मंगवाया। विवाह वाला घर है, मेहमान तो आते ही रहते हैं इसलिए चाय नाश्ते का प्रबंध, थोड़ी-थोड़ी देर में होता रहता है। वह समीर को बार-बार देख रही थी, यह खुश कैसे रह सकता है ? समीर ने तन्वी की तरफ अभी तक ध्यान नहीं दिया था। बाण की रस्म के पश्चात वह अपने कमरे में चला गया। कुछ देर पश्चात, हल्दी की रस्म जो होनी थी। तन्वी,समीर को अकेले में देखकर बोली -किसी की इच्छाओं को मार कर, किसी को मार कर तुम कैसे यह विवाह कर सकते हो ?
समीर हडबड़ा गया और बोला -तुम कौन हो,यहां कैसे आई ?
मैं तन्वी हूं, दामिनी की सहेली !तुमने उसे मार दिया, और यहां हल्दी की रस्म निभा रहे हो, विवाह करने जा रहे हो उसको धोखा देकर घोड़ी पर बैठना चाहते हो। जीते जी तो उसे मार चुके थे, सच में ही मार दिया क्या मैं नहीं जानती ? उसने आत्महत्या नहीं की, तुमने उसे मारा है।
समीर को लगा,शायद तन्वी ने इसे सब बता दिया है, वह घबरा गया और बोला -मैं तो उसे समझाने गया था, मैंने कुछ नहीं किया किंतु वह ही नहीं मान रही थी।
कैसे मनाती ?जब वह तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली थी। तन्वी के मुंह से यह बात सुनकर, समीर बुरी तरह घबरा गया और बोला -मैंने तो उससे कहा था-कि तुम अपना' गर्भपात' करा लो ! किंतु वह मान ही नहीं रही थी।
तुम्हें विवाह ही तो करना था, कर भी रहे हो , उससे ही कर लेते ,क्या वह तुम्हें पसंद नहीं थी ?क्या तुम मुझे इतनी जल्दी भूल गए ?तुमने ही तो उसे मेरे विरुद्ध भड़काया था ,और उसे हॉस्टल छोड़ने के लिए मनाया था।
ओह !तो वो तुम हो ,याद करते हुए समीर बोला।
मैं यहाँ जान -पहचान बढ़ाने नहीं आई हूँ ,एक जिंदगी तो बच जाती और तुमने दो-दो जिंदगियों को मार दिया। वह तुम्हारा भी खून था , क्या तुम अपने को जिंदगी भर माफ कर पाओगे ? अब मैं पुलिस को सब बता दूंगी कि उसने आत्महत्या नहीं की, तुमने उसे मारा है।
नहीं, मैंने कुछ नहीं किया था,वो अपनी इच्छा से आई थी ,मैंने उससे कोई जबरदस्ती नहीं की थी। मैंने सिर्फ उसे धक्का दिया था जिससे उसका सिर दीवार पर जाकर लगा। मैं उसे मारना ही नहीं चाहता था किंतु वह ज़िद पर अड़ी हुई थी , मुझसे विवाह करना है, वह गर्भपात नहीं करवाएगी।तुम्हारे पास कोई सबूत नहीं तुम साबित नहीं कर पाओगी कि मैंने कुछ किया।