अब दामिनी चाहती है , कि समीर उसके और अपने रिश्ते को लेकर गंभीर हो जाये और अपने घरवालों से रिश्ते की बात करे। वह समीर से कहती है -अब तुम्हें अपने घरवालों से बात करनी ही होगी किंतु तब भी, समीर उसकी बातों को न समझने का अभिनय करता है और कहता है - किस विषय में ? समीर अनजान बनते हुए बोला।
क्या हम एक दूसरे से प्यार नहीं करते ?उसके समीप आकर ,चिंतित स्वर में दामिनी बोली।
हां, प्यार तो करते हैं, तो फिर हमारे इस रिश्ते का अंजाम क्या होगा ,वह समीर से पूछती है।
कैसा अंजाम ?
यही कि अब हमें विवाह कर लेना चाहिए, अब हमें एक दूसरे से मिलते हुए ,कम से कम छह महीने हो गए हैं , मेरे घर वालों को पता चल गया, तो मुझे काट डालेंगे।
कुछ नहीं होगा, हम ''लिव इन '' में रह रहे हैं।
मैं'' लिव इन '' कुछ नहीं जानती, मैं इतना जानती हूं कि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं और अब हमें विवाह कर लेना चाहिए।
विवाह भी कर लेंगे, इतनी जल्दी भी क्या है ? अभी थोड़े दिन और मौज -मस्ती कर लेते हैं फिर जिम्मेदारियों में फंस जाएंगे, तुम्हारी भी पढ़ाई हो जाएगी। उसके बाद घरवालों से मिलकर विवाह करते हैं।
इस बात को लगभग 6 महीने और बीत गए। दामिनी के माता-पिता को अक्सर शिकायत रहती है,विशेषकर मां को -तू तो वहीं की होकर रह गई है। अब तेरा छुट्टियों में भी आने का मन नहीं करता।
मम्मी !मेरे प्रोजेक्ट हैं ,मेरे प्रैक्टिकल हैं ,वे कंप्लीट करने होते हैं ,छुट्टी में वही करती हूँ ,वैसे तो सारा दिन कॉलिज में ही निकल जाता है इसीलिए नहीं आ पाती हूं। दामिनी ने अपनी मां से बहाना बनाया।
कल को तेरा विवाह हो जाएगा, और तू अपनी ससुराल चली जाएगी। तेरा आना तब भी नहीं होगा, और तू अभी से ऐसे, रह रही है जैसे अभी से ससुराल चली गई हो, वहां से तेरा आना ही नहीं होता आंखों में आंसू भर मां रोती है। अबकी बार दिवाली पर तो आ ही जाना।
हां हां आ जाऊंगी, कामिनी ने मां को आश्वस्त किया। फोन रख कर दामिनी सोच रही थी-' अबकि बार तो, समीर से बात करके ही रहूंगी। अगले दिन जब दामिनी, सो कर उठी तो उससे उठा ही नहीं गया। चक्कर आने लगे, कमजोरी सी महसूस हो रही थी , कुछ समझ नहीं आ रहा, कि यह क्या हो रहा है ? अचानक तबियत कैसे बिगड़ गयी ?बड़ी मुश्किल से तैयार होकर, समीर को बुलाया और उसके साथ डॉक्टर के पास गई।
डॉक्टर ने दोनों को खुशखबरी सुनाई , बधाई हो ! तुम दोनों' पेरेंट्स' बनने वाले हो। दोनों ने घबरा कर एक दूसरे की तरफ देखा, कुछ समझ नहीं आया। डॉक्टर ने दवाई दी, और सावधानी बरतने को कहा चेहरे के भाव देखकर उसने पूछा -क्या हुआ ?तुम दोनों को ख़ुशी नहीं हुई।
जी ,ऐसी कोई बात नहीं है ,दरअसल हम दोनों ही व्यस्त रहते हैं ,हमें इतना समय ही नहीं मिल पाता जो एक बच्चे को संभाल सकें।
डॉक्टर को शक हुआ ,उसने लड़की का नाम देखना चाहा कहीं ये बच्चा .... किन्तु जब नाम देखा,उस पर लिखा था ,''श्रीमती दामिनी '' तो आश्वस्त हुए ,दोनों ही शादीशुदा हैं।तब बोले -पहली बार ऐसा ही होता है ,दोनों घबरा जाते हैं किन्तु अब आप क्या चाहते हैं ?
जी अभी हम बच्चा नहीं चाहते ,उसके इतना कहते ही दामिनी ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली -अभी हम समझ नहीं पा रहे हैं कि हमें क्या करना चाहिये ?इसीलिए हम घर जाकर आपस में विचार करते हैं कहकर समीर का हाथ पकड़कर उसे बाहर ले आई।
घर पहुंचकर दामिनी बोली -अब तो तुम्हें अपने घरवालों से बात करनी ही होगी।
ठीक है, मैं कुछ करता हूं ,कह कर समीर वहां से चला गया।शाम तक समीर का कोई फोन नहीं आया ,मन ही मन दामिनी सोच रही थी -हो सकता है ,घरवालों को विवाह के लिए मना रहा हो। घरवाले भी एकदम से ऐसे निर्णय से चौंक जायेंगे ,मन ही मन कल्पना कर रही थी -समीर ! मेरे लिए अपने घरवालों से बात कर रहा होगा ,उन्हें समझा रहा होगा।
अगले दिन दामिनी, समीर को फोन कर रही थी किंतु वह उसका फोन ही नहीं उठा रहा था तबीयत खराब होने के कारण दामिनी, कॉलेज भी नहीं जा पाई थी। ऐसे समय में अब उसे तन्वी की बातें स्मरण होने लगीं -कहीं वह सही तो नहीं कह रही थी। न जाने,समीर कहां गायब हो गया ? उसे झुंझलाहट हो रही थी गुस्सा भी आ रहा था। मन में अनेक विचार आ जा रहे थे। ऐसे समय में घबराहट भी बढ़ती है और नकारात्मक विचार घेर लेते हैं ,यदि समीर के घरवालों ने इस रिश्ते से इंकार कर दिया तो वह कहाँ जाएगी ?क्या करेगी ?क्या समीर घरवालों के विरुद्ध जाकर ,मुझसे विवाह करेगा ?
इस सबसे ज्यादा ,उसे अपने आप पर क्रोध आ रहा था। एक बार भी उसने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि वह कहां रहता है ? बुद्धि कुंठित जो हो गई थी। दामिनी को, उसकी कंपनी का नाम अचानक से ध्यान आया और वह उसकी कंपनी में पहुंच गई।
वहां जाकर समीर नाम के व्यक्ति के विषय में जानना चाहा, किंतु वहां पर तो कोई समीर काम करता ही नहीं था, ऐसा कैसे हो सकता है? उसने मुझे यही नाम बताया था।
नहीं, यहां कहीं कोई नहीं है, वह बार-बार समीर को फोन लगाती है किंतु उसने फोन नहीं उठाया। तब ऐसे समय में दामिनी को कॉलेज में, उसके भाई का स्मरण हो आया और वह पूछते -पाछते उसके भाई के पास पहुंची और समीर के विषय में जानना चाहा।
तब उसके भाई ने बताया -भैया, का तो विवाह हो रहा है।
यह तुम क्या कह रहे हो ?
कई महीनों से उनके विवाह की बात चल रही थी, अभी कुछ दिनों पहले उन्होंने विवाह के लिए हां कर दिया। दामिनी को लगा ,कि जैसे वह चक्कर खाकर वहीं गिर जाएगी ,क्या आपको भाई से कुछ काम था ?
नहीं ,उनका विवाह किससे हो रहा है ?सोचा ,शायद ,मेरे ही विषय में बात की हो ,इसे पता न हो ,उसने ज्यादा सोचने का अवसर ही नहीं दिया ,बोला -प्रगति ! नाम है ,उनका।
ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए ,दामिनी बोली -तुम्हारे भाई भी, मजाक करते हैं, मुझसे दोस्ती की है ,मुझे तो बताया भी नहीं कि उनका विवाह हो रहा है।
अच्छा ,तुम कब से उनकी दोस्त हो गईं ?
यह बात तुम नहीं समझोगे , मुझे उनसे मिलना है, मुझे अपने घर का पता दे दो ! कम से कम मैं उन्हें बधाई तो दे दूं !
तब दामिनी एक बार फिर से, समीर को फोन करती है, अबकी बार समीर ने फोन उठा लिया, क्योंकि उसके भाई ने उसे पहले ही फोन करके बता दिया था, कि दामिनी आपको विवाह की बधाई देना चाहती है इसीलिए उसने घबरा कर दामिनी का फोन उठा लिया। फोन उठाते ही बोला -मुझे फोन क्यों किया ?
बुझदिल ,कायर !इंसान क्या तुम नहीं जानते हो ?क्रोधित होते हुए दामिनी बोली - इस समय मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत थी और तुम गायब हो, तुम कहां हो ?
अपनी कंपनी में हूं।