Thandi hava ka jhonka

 ठंडी हवा के झोंके सी ,वो !  मोहल्ले में आई। 

आते ही उसने ,सौंदर्य से अपने हलचल मचाई।  

देख, हमारी हरकतें , बीवियां हमारी कुम्हलाई। 

उसके आते ही ,लगा जैसे,पड़ोस में बहार आई।




आँचल जो उसका लहराया ,चंचल मन हर्षाया।

ठंडी हवा के झोंके ने ,न जाने क्या जादू चलाया ?

मन को अब चैन न आये ,मन अपना, इठलाया।

सुगन्ध का इक झोंका,पड़ोसन की याद दिलाता।   

ठंडी हवा के झोंके , मन में नवीन उमंगे जगाते।  

पड़ोसन ने ये कैसी, अलख जगाई ? देख न लें ,

जब तक मुखड़ा उस पड़ोसन, का नींद न आये। 

 केश वो लहराए ,लागे सीने पर सर्प ठहर जायें। 

 उसकी तस्वीर आँखों में भर, अपनी पत्नी  को ,

भर बाँहों में, हम उसे मोहब्बत के पैग़ाम सुनायें।

वो बसंत बहार लगे, बोले- कोयल की पुकार लगे।  

चाहत तो इतनी न जाने मन क्या -क्या सोच बैठा ?

बाहर कैसे जाएँ घर की रोटी से ही पेट भर पाये ?

ठंडी हवा के झोंके जब मेरे...... अंगना  में आये। 

मन की वीणा, बिन तार ही....  कोई धुन सुनाये।  


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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