Teri yaad mein

  नन्हा सा दिल !जो तुझ पर फिदा था।

 तुम्हारा प्रेम !,जो मुझ पर मेहरबाँ था।  

 जीवन के अनमोल उपहार से शामिल तुम !

 जाने के बाद, तेरी यादों का ही तो सहारा है।


 यादें तेरी ,अब मेरे जीने का सबब बन गईं।

आज भी महसूस होती ,तुम्हारी वो ,छुअन ! 

 खामोशियों में लगता, तुम आज भी यहीं हो।

साथ हो तुम मेरे ,आज भी ,' यहीं -कहीं' हो।   

कभी -कभी ये ''भावुक दिल'' मचल उठता,

तुम्हें देखने की चाहत में ,प्यार का वो सैलाब !

बाहर आता ,तुम्हारी याद में ,''वो इक आंसू '' 

जब भी तेरी  याद सताती है ,आहें भरता,दिल !

कमबख़्त न जाने क्यूँ ?ये आसूं छलक आते हैं। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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