नन्हा सा दिल !जो तुझ पर फिदा था।
तुम्हारा प्रेम !,जो मुझ पर मेहरबाँ था।
जीवन के अनमोल उपहार से शामिल तुम !
जाने के बाद, तेरी यादों का ही तो सहारा है।
यादें तेरी ,अब मेरे जीने का सबब बन गईं।
आज भी महसूस होती ,तुम्हारी वो ,छुअन !
खामोशियों में लगता, तुम आज भी यहीं हो।
साथ हो तुम मेरे ,आज भी ,' यहीं -कहीं' हो।
कभी -कभी ये ''भावुक दिल'' मचल उठता,
तुम्हें देखने की चाहत में ,प्यार का वो सैलाब !
बाहर आता ,तुम्हारी याद में ,''वो इक आंसू ''
जब भी तेरी याद सताती है ,आहें भरता,दिल !
कमबख़्त न जाने क्यूँ ?ये आसूं छलक आते हैं।