Shaitani mann [part 50]

अगले दिन प्रातःकाल उठते ही, नितिन बाहर जाना चाहता था वह उसी जगह को ढूंढना चाहता है, जहां वह कल गया था। उसका एक मन  कह रहा था -यह स्वप्न हो सकता है, किंतु उसका दिमाग इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था। ऐसा कैसे हो सकता है ? जो कुछ भी मैंने देखा, वह इन्हीं आंखों से देखा था। मैं अपने दोस्तों के संग गया भी था। फिर ये इस बात को कैसे झुठला  सकते हैं ? कल मैंने कोई नशा भी नहीं किया था। यही सब बातें सोचते हुए,वह नहाने चला गया। 


 सौम्या को गए हुए ,लगभग एक सप्ताह बीत गया था। नितिन बेसब्री से उसकी प्रतीक्षा में था ,जैसे ही सौम्या ने  कॉलेज में प्रवेश किया,उसे देखकर लगा ,जैसे आज वो कुछ बदली -बदली सी नजर आ रही है,उससे नजरें हट ही नहीं रहीं थीं ,उसके लंबे रेशमी केश बहुत ही चमक रहे थे और लग रहा था जैसे - उनको  घुंघराला किया गया है वह स्टाइल सौम्या पर बहुत ही फ़ब रहा था। सौम्या के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, चेहरे पर एक अलग ही चमक थी। हर कोई जानना चाहता था, कि इतने दिनों की छुट्टी के पश्चात वह आई है ,बड़ी ही खुश लग रही है। अभी तक तो नितिन यही सोच रहा था शायद, उसके परिवार में कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई लेकिन उसके चेहरे को देखकर तो ऐसा नहीं लग रहा था। जो उसके करीबी मित्र थे उन सभी की यह जानने की इच्छा हो रही थी आखिर वह अचानक इस तरह क्यों गई थी ? और उसका यह बदला हुआ, रूप क्यों है ?

धीरे-धीरे मधु के माध्यम से, नितिन को जो पता चला उसके कारण जैसे उसके जीवन में बिजलियां गिर गई हों , एक- दो नहीं कई बार बिजली गिरी है , उसमें जैसे जान ही नहीं रही , उम्मीद तो खत्म ही हो गई थी। इसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ? क्या इसे बताते हुए, लज्जा आ  रही थी ? सुमित की बात भी सही है वह मेरा बेवकूफ बना रही थी, मेरे साथ रहकर, अपनी अदाओं से मुझे रिझा रही थी और मैं नादान ! उसके मन के भेद को समझ ही न सका और अपना दिल दे बैठा। मैं उसके साथ जीवन भर साथ निभाने का मन ही मन वादा कर चुका था किंतु उसने मेरे साथ क्या किया ?

 जब रोहित और सुमित को भी यह बात पता चली, तभी मुस्कुरा कर बोले -हम तो पहले ही कह रहे थे , तुझे मूर्ख बना रही है। और तूने उसके लिए इतनी बड़ी पार्टी दे डाली , उसे तो इतनी शर्म भी नहीं आई कम से कम तुझे तेरे जन्मदिन पर बधाई तो दे देती। हृदय विषाद से भर गया, कुछ सूझ ही नहीं रहा था नजर के सामने धोखा ही धोखा दिखलाई दे रहा था उसके विश्वास का धोखा ! उसकी उम्मीदों पर धोखा ! वह अधूरी क्लास छोड़कर, वापस हॉस्टल आ गया। बहुत देर तक खिड़की में बैठा शून्य में निहारता रहा संपूर्ण संसार उसे चालक फरेबी धोखेबाज नजर आ रहा था। मैंने उससे कोई जबरदस्ती तो नहीं की थी लेकिन बताने में क्या जाता था ? बात तो सकती थी। 

आज की रात्रि शायद वह नहीं सो पाएगा, सोने का प्रयास कर भी रहा था, किंतु बार-बार नजरों के सामने, उसका धोखा नजर आ रहा था आंखों से नींद न जाने, कहां चली गई ? आज उसने बहुत सारी शराब पी , पता नहीं, क्या हो रहा है ? नशा ही नहीं हो रहा मैं अपने आप को इस गम में डूबा देना चाहता हूं। संपूर्ण दुनिया को भुला देना चाहता हूं जितनी दुनिया हसीन और सुंदर नजर आ रही थी, उतनी है नहीं। उसे इस समय न ही अपना परिवार- घर, अपने लोग कोई भी नजर नहीं आ रहा था नजर आ रहा था तो सिर्फ सौम्या का धोखा !

न जाने कब तक वह शराब और सिगरेट पीता रहा और कब बेहोश हुआ ? उसे पता नहीं , सुबह जब उठा, सर में बहुत दर्द था। दिन तो निकला था, लेकिन उसके लिए जीवन में अंधेरा ही नजर आ रहा था। आज वह कॉलेज भी नहीं गया। 

हम तो पहले ही कह रहे थे - यह जो मोहब्बत का नशा होता है यह इस नशे से भी ज्यादा नशीला होता है और यह बर्बाद करके छोड़ता है पर तूने तो हमारी मानी ही नहीं, समय से ही संभाल गया, वही बहुत है अभी भी संभल जा ! वरना न ही यहां का रहेगा और न ही वहां का किंतु एक बात है, अपने सवालों का जवाब तो अब तुझे उससे मांगना ही होगा। उसने तेरे साथ ऐसा क्यों किया ? सारा कॉलेज जानता है, सब लोग समझते हैं, वह इतनी बच्ची भी नहीं है कि वह नहीं समझती थी और अचानक इस तरह आई और देखो ! कितनी प्रसन्न नजर आ रही थी ? रोहित बोला। 

यहां अपने भाई का दिल टूट गया, और वह इसके टूटे हुए दिल पर अपना आशियां बनाने जा रही है यह माफ करने वाली बात नहीं है। तुझे उससे अपने सवालों का जवाब मांगना ही होगा, सुमित ने उसे बढ़ावा दिया। ये लड़कियां ऐसी ही तो होती हैं , हम लड़कों को मूर्ख बनाती हैं और धोखा देकर सफाई से निकल जाती हैं।

 हमें धोखा देती तो हम, समझ भी सकते थे, किंतु अपने भाई को , जो पहली बार में ही प्यार कर बैठा और उसका परिणाम, इसकी आज ये हालत हो गई है। नितिन की बड़ी हुई दाढ़ी लाल आंखें, चेहरे की उदासी उसके हृदय की सभी दास्तां बयां कर रही थी। 

मेरे यार तू चिंता मत कर, लड़कियां होती ही ऐसी हैं , यह धोखा ही देती हैं इनसे कभी वफ़ा की उम्मीद मत करना ! किंतु यह तेरा पहला प्यार है, और जिंदगी बहुत बड़ी है , क्या तू इस प्यार के लिए अपनी संपूर्ण जिंदगी बर्बाद कर देगा ? अरे तुझे तो दिखलाना चाहिए, कि हम लड़के अपने सीने पर हाथ रखते हुए रोहित बोला -हम लड़कों के सीने में दिल है, जो किसी के लिए धड़कना जानता है, टूटता भी है , किंतु सम्भलता भी है। उसके लिए अपनी जान नहीं देगा, अपने को बेजार नहीं करेगा। तुझे ऐसे दिखलाना होगा जैसे उसके इस काम का तुझ पर कोई फर्क ही नहीं पड़ा। हो सकता है, वह तुझे जलाना चाहती हो, तड़पाना चाहती हो। इसलिए तू उसे ऐसे दिखला, जैसे तुझ पर कोई फर्क ही नहीं पड़ा। यदि तू ऐसे उदास  रहेगा, तो और खुश होगी। 

चल, खड़ा हो !पहली बार ही ऐसा होता है ,फिर तुझे आदत पड़ जाएगी कहते हुए सुमित हंसा और बोला -अब तू इस सबकी आदत डाल ले ,तू धोखे की पहली सीढ़ी चढ़ चुका है ,अभी और भी आएंगी कुछ को तू धोखा देना ,कुछ तुझे धोखा देंगी। हिसाब बराबर करते हुए ,अपनी आगे की ज़िंदगी काट देना। वे लोग बोले जा रहे थे। नितिन उन्हें देख रहा था ,सुन भी रहा था किन्तु उसका दिमाग जैसे शून्य हो चुका था। सोचने -समझने की शक्ति जैसे खिन लुप्त हो गयी थी। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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