Chandani ki kahani

सितारों की चुनर ओढ़ वो चली आ रही थी। 

देख, उसे सोचा, न जाने किधर जा रही थी ?

करीब आई तो पता चला, मेरे संग चल रही थी।

 मुस्कुरा कर देख उसे, पूछा नाम क्या है ?तुम्हारा। 

वो मुस्कुराई और बोली-अपनी चांदनी को न पहचाना। 

 संग तुम्हारे रहती सदैव ही,चमक उसकी बतला रही थी। 

हसती, खिलती रही आसमानी फरिश्ते सी बढ़ती जा रही थी। 



कहीं से कोई बादल मुझे ले, अपने आप में समेट गया। 

इधर-उधर, यहां-वहां ढूंढा उसे, वो  मेरी चांदनी कहां ?

 बुरा साया,मुझसे जो लिपट गया, चांदनी मेरी खो गई। 

बुरे वक्त की  साथी न बन सकी, अफ़सोस से चाँद !

चांदनी बग़ैर चाँद घबराया ,जीवन में उसके अँधेरा छाया। 

नजरें झुकाये, उदास बैठा, ,देखा, उसकी चांदनी उसी में ,

समाई थी, दिखी नहीं बाहर,अंतस में चेतना जगा रही थी। 

बुरा साया भी बीत जाएगा, चांदनी फिर खिल मुस्कुराएगी।

 मैं तो तुममें ही थी, जब वह अपना राज चांद को बताएगी।  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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