Shaitani mann [ part 48]

 नितिन बहुत ही परेशान था, वह जानना चाहता था कि आखिर सौम्या ने ,उसके साथ ऐसा क्यों किया ? वह इस तरह वापस क्यों चली आई ?उसने ,मेरे सभी दोस्तों के सामने, मेरा मजाक क्यों बना दिया ? यदि उसे मुझसे  कोई समस्या थी, तो वह बाद में भी, मुझसे कह सकती थी किंतु इस तरह पार्टी छोड़कर चले आना तो उचित नहीं था। वह जानना तो चाहता था किंतु उसने भी सौम्या से कोई बात नहीं की। वह उस पर अपना क्रोध जतलाना चाहता था ताकि सौम्या को एहसास हो ,उसने गलती की है या उससे गलती हुई है।  किन्तु सौम्या ने भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया ,नितिन को उस पर क्रोध आ रहा था। सौम्या, जब कॉलेज गई तो उसने देखा, नितिन कहीं भी दिखलाई नहीं दे रहा है। वह समझ रही थी,कि वो उससे नाराज़ होगा किन्तु उसने भी नितिन को ढूंढने और उससे बात करने का प्रयास भी नहीं किया।


अगले दिन,जब नितिन कॉलेज गया था, किंतु उसने जैसे ही सौम्या को देखा,तो उसे देखकर छुप गया। तू ऐसा क्यों कर रहा है ?उसे छुपना चाहिए और तू उससे  छुप रहा है ,जैसे गलती तुझसे हुई है, रोहित ने नितिन के करीब जाकर कहा। तुझे जाकर उससे पूछना चाहिए, कि वह तुझे पसंद करती भी है या नहीं या इतने दिनों से, तेरा बेवकूफ ही बना रही थी।

 मुझे तो लगता है, वह कॉलेज देर से आई थी इसलिए तुझसे  अपना काम निकलवा रही थी, काम निकलते ही, पहचानना बंद कर दिया सुमित ने मुँह टेढ़ा करने हुए व्यंग्य से बोला। 

 अरे!!!! प्यार नहीं करती तो कोई बात नहीं ,कम से कम दोस्ती के नाते ही, तेरी पार्टी में आकर, इस तरह तुझे बेइज्जत तो नहीं करती। 

कोई बात नहीं, सबकी अपनी- अपनी इच्छा होती है, कोई जबरदस्ती तो नहीं है लेकिन हां एक बार तो उससे बात करने का और मिलने का मन तो करता है कि उससे मिलकर पूछूं, उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ?

जा ! पूछता क्यों नहीं ? कहते हुए सुमित ने नितिन को धक्का दिया किंतु नितिन वापस अपनी जगह पर आकर बैठ गया और बोला -जवाब तो मैं लेकर रहूंगा, किंतु अभी मैं स्वयं ही इसके लिए तैयार नहीं हूं। 

यार ! इसे लग रहा है, कहीं वह इसका दिल न तोड़ दे, इससे मना न कर दे ,हंसते हुए रोहित बोला 

नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, तुम खुद तो पढ़ते नहीं हो, मुझे भी पढ़ने नहीं देते हो कहते हुए जबरदस्ती किताब खोलकर उसमें झांकने लगा किंतु अक्षर उसे कहीं भी स्पष्ट दिखलाई नहीं दे रहे थे क्योंकि उसका ध्यान ही वहां नहीं था। मन ही मन सोच रहा था-यह लोग ठीक ही तो कह रहे हैं , मुझे डर है, कहीं वह मना  न कर दे ! जो मेरे मन में एक उम्मीद बनी हुई है, वह भी समाप्त हो जाएगी अभी भी मुझे लगता है, कि उससे  बात करूंगा तो शायद बात बन जाए। हो सकता है, मैं ही गलत सोच रहा हूं , उसके मन में ऐसा कुछ भी ना हो। कुछ न कुछ कारण तो रहा होगा। यह भी तो हो सकता है वही मुझसे नाराज हो ! और मैं स्वयं ही उससे नाराजगी का ढोंग कर रहा हूं। 

कुछ दिनों बाद सौम्या, नितिन को कॉलिज में दिखलाई नहीं दी । न जाने, कहां चली गई है ? अब तो उसके दर्शन भी दुर्लभ हो गए हैं। वह यह सब सोच रहा था , उसके साथ रहने वाली लड़की से पूछा -मधु ! आजकल सौम्या दिखलाई नहीं देती ,क्या कहीं गई हुई है ?या बीमार तो नहीं हो गयी। 

 हां, अपने घर गई हुई है। 

 इन दिनों तो कोई छुट्टी भी नहीं है, फिर वह क्यों गई है ?

 अब यह मुझे क्या मालूम ? उसके घर से फोन आया था , छुट्टी लेकर गई है। 

कितने दिनों की छुट्टी लेकर गई है ? 

उसने ,एक सप्ताह की छुट्टी ली है। 

ऐसा क्या हो सकता है ? कहीं उसके परिवार में कोई दिक्कत तो नहीं, तुमने उससे फोन करके नहीं पूछा। 

अगर उसे बताना होता तो पहले ही बताकर जाती, फोन करके ही क्या हो जाएगा ? यदि उसे नहीं बताना होगा, तो वह क्यों बताएगी ? 

अपनी जगह मधु की बात भी सही थी, वह चुप हो गया, मन ही मन सोच रहा था कहीं कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई इतने दिनों की छुट्टी, लेकर भला कोई कैसे जा सकता है ? अवश्य ही, उनके परिवार में कुछ बात हुई होगी। 

वह प्रतिदिन कॉलेज जाता और कॉलेज में उसकी नज़रें सौम्या को ढूंढती रहतीं। वह जानता है कि वह एक सप्ताह की छुट्टी पर गई है फिर भी वह, प्रतिदिन उसे देखता है, ढूंढता है , उसके बिना तो जैसे नितिन का कॉलेज, कॉलेज ही नहीं रहा अब कॉलेज आने में मन नहीं लगता। सौम्या के बिना परेशान था। सोच रहा था कहीं बाहर ही चला जाऊं किंतु जा भी तो नहीं सकता , यदि वह इस बीच आ गई तो........ मैं कैसे जान पाऊंगा कि उसके साथ क्या हुआ है ?अभी उसे मेरे कई सवालों के जवाब भी तो देने हैं। 

यार! आजकल कॉलेज में मन नहीं लगता,ऐसा लगता है ,दूर कहीं उड़ जाऊँ।  

हां तेरा कॉलेज में मन कैसे लगेगा ? मन लगाने वाली तो यहां है, ही नहीं , कहते हुए रोहित हंसने लगा। एक बात कर तू यह सब बेचता तो है, किंतु कभी-कभी इनका सेवन भी कर लिया कर जो नितिन के बराबर में पुड़िया रखी हुई थीं,उनकी तरफ इशारा करते हुए बोला - देखना, कितनी शांति और सुकून मिलेगा ?

क्या, हमेशा पागलों जैसी बातें करता रहता है ? हालांकि रोहित और सुमित उसके सीनियर थे किंतु धीरे-धीरे उनके व्यवहार के साथ नितिन भी, बदल गया था, थोड़ी-थोड़ी उसकी सोच भी बदल गई थी किंतु अभी तक उसने कभी अफ़ीम या चरस का सेवन नहीं किया। कार्तिक चौहान का यही कार्य है , वह नये  छात्रों को अपने साथ जोड़ता है और उन्हें, अतिरिक्त आमदनी का लालच देकर , यह माल बिकवाता है। अब यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह इस माल को बेचता है या स्वयं उसका सेवन करता है। उसे सिर्फ पैसे से मतलब है। नितिन अभी कभी -कभार शराब का सेवन तो कर लेता है, किंतु अभी, इस नशे का आदि नहीं हुआ है। इसको बेचकर वह, अपने थोड़े बहुत शौक पूरे कर लेता है। माता-पिता पर भी अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता है।

चलो ,आज कहीं दूर घूमने चलते हैं ,कहते हुए वे लोग हॉस्टल से बाहर आते हैं। अभी तक तो हॉस्टल और कॉलेज के इर्द -गिर्द ही घूमते रहते थे। कभी हॉस्टल के पीछे नहीं गए गए ,कभी उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया। पीछे का स्थान खाली और सूनसान नजर आता था किन्तु आज शायद शांति की तलाश में उधर जा रहे थे या फिर ऐसे ही भटकना चाहते थे। उधर की तरफ जाकर नितिन को अच्छा लग रहा था ,शायद उसके मन के अंदर का शोर इसी शांति की तलाश में था। तभी रोहित बोला -अरे ,यार ! हम लोग इधर कहाँ जा रहे हैं  ? इधर क्या है ?जंगल और सुनसान रास्ते के सिवा मुझे वहाँ नहीं जाना है। चलना हो तो, कोई फ़िल्म देखने चलो !या फिर किसी जगह  पिकनिक मनाने चलते हैं। 

हाँ तू सही कह रहा है ,इधर क्या है ?कुछ भी तो नहीं किन्तु नितिन उस सूनी सड़क पर चले जा रहा था। 



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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