Shaitani mann [part 47]

नितिन ने , सौम्या के लिए अपने जन्मदिन पर, होटल में पार्टी रखी ताकि वह उससे प्रभावित हो।  हो सकता है, वह आज अपने दिल की बात सौम्या से कह भी दे किंतु जब सौम्या को पता चला कि आज  नितिन का जन्मदिन है। सौम्या ने उसे बधाई देना तो दूर, कुछ देर पश्चात ही, वह उसकी पार्टी छोड़कर चली गई। नितिन उसके पीछे जाना चाहता था और उससे पूछना चाहता था कि आखिर ऐसा क्या हुआ है ? जो वह इस तरह से, जा रही है। किंतु तभी, उसी कॉलेज का पुराना छात्र,'' कार्तिक चौहान'' आ जाता है। तब वह कार्तिक से, अपनी बातें बताता है, जिसे सुनकर,कार्तिक, नितिन की बात सुनकर मुस्कुराया और बोला -अभी तुम्हारी मोहब्बत में थोड़ी कचाई रह गई है, इतनी जल्दी यह पार्टी देनी नहीं चाहिए थी। थोड़ा मिल -बतिया लेते, जब वह पूरी तरह प्रभावित हो जाती। तब अपना ये सब 'स्टेट्स' भी दिखा देते। ख़ैर  कोई नहीं, उसके चक्कर में तुम हमारी पार्टी क्यों खराब कर रहे हो ? कुछ मालपानी मंगाया है, तो खिलाओ !


तुरंत ही नितिन ने वेटर को आदेश दिया। खा -पीकर कार्तिक बोला -उसे, पहले प्यार से समझाओ, अपने प्यार का उसे विश्वास दिलाओ ! तब यह सब करना। पहले उसे जान परख तो लो ! कि वह क्या चाहती है ? कैसी लड़की है ?तुम्हें पसंद करती भी है या नहीं।  एक ही मुलाकात में, इतनी बड़ी पार्टी दे दी।

नहीं भाई !हम कई बार मिले हैं किन्तु वह कभी कोई बात आगे बढ़ने ही नहीं देती ,सोचा था - आज तो मेरा जन्मदिन है, यह बहाना भी था, उसे दोबारा मिलने का वरना उससे मिलने के लिए बहाने ढूंढने पड़ते हैं । 

उसकी बातें सुनकर कार्तिक मुस्कुराने लगा और बोला-' ज्यादा गर्म नहीं खाते हैं वरना मुंह जल जाता है।' अच्छा भई ,अब हम चलते हैं ,माल तुम्हारे कमरे में रखवा दिया है।तुम्हें जन्मदिन की बहुत -बहुत शुभकामनायें ! देख लेना, कह कर कार्तिक चला गया।

कार्तिक के चले जाने के पश्चात,नितिन का अब वहां मन नहीं लग रहा था वह तुरंत ही वहां से जाना चाहता था किन्तु अन्य दोस्त,अभी उस पार्टी के मजे लेना चाहते थे। तेज स्वर में ,गाने बजाकर नाचने लगे। लगभग रात्रि के बारह बज गए थे। तब नितिन अपने सभी मित्रों से बोला -अब हमें चलना चाहिए बहुत देरी हो गयी है। अब हमें अंदर जाने भी दिया जायेगा या नहीं। 

लो ,इसकी लुटिया डूब गयी ,'' तो हमारा मजा भी किरकिरा कर रहा है हँसते हुए सुमित बोला। 

क्यों ,क्या तू भूल गया ?हम कई बार बाहर जाकर वापस आ भी चुके हैं रोहित अकड़ते हुए बोला। 

तुम लोग गए हो, मैं नहीं ,अब हमें चलना चाहिए। 

तू अपना काम कर,यानि होटलवालों का कोई पैसा तो नहीं बनता। 

नहीं, मैंने सब दे दिया है। 

ठीक है ,अब तू जा !कहकर सुमित और रोहित दोनों हँसे ,नितिन को अब अपने यहाँ  रहने का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा था। वह अपने अन्य साथियों के संग हॉस्टल की तरफ चल देता है। रास्ते भर वह चुप रहा किन्तु उसके मन में अनेक प्रश्न उमड़ रहे थे - आखिर सौम्या ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ?मैंने तो उससे कुछ कहा भी नहीं ,मुझे मेरे जन्मदिन की बधाई भी नहीं दी। आखिर यह लड़की अपने को समझती क्या है ?मुझे किसी बच्चे की तरह बहला -फुसला रही है। जब उससे बात करता हूँ ,अपने काम की बात करती है। क्या वह समझ नहीं रही है ,या न समझने का अभिनय करती है। आज तो सभी दोस्तों के सामने मेरी बेइज्जती करा दी। अचानक ही उसका प्रेम ,सौम्या के प्रति क्रोध में परिवर्तित हो गया जब ,उस लड़की ने नितिन से पूछा -क्या तुम दोनों में कुछ झगड़ा या अनबन चल रही है ?

नहीं तो...... ऐसा कुछ भी नहीं है 

क्या तुमने उसे बताया नहीं था? कि तुम्हारा जन्मदिन है।

उसे तो मालूम है ,मेरा जन्मदिन कब आता है ?जब उसे बुलाया था ,उसे तभी समझ जाना चाहिए था  कि मैं ये पार्टी क्यों दे रहा हूँ ?यहां कॉलिज के दोस्तों को और किसलिए बुलाऊंगा ?यहां आपस में ,हम लोग और क्या कर सकते हैं ? 

यह तो कॉलेज का, हर छात्र महसूस कर रहा है कि तुमने यह पार्टी, सौम्या को प्रभावित करने के लिए ही दी  है किंतु क्या, उसको इस बात का तनिक भी एहसास नहीं हुआ , उसे तो तुम्हारे लिए बड़ा सा उपहार लाना चाहिए था। मुझे तो लगता है, उसने तुम्हें, जन्मदिन की शुभकामना भी नहीं दी , कहकर वह हंसने लगी और बोली -इससे बड़ा अपमान और क्या हो सकता है ?

यही सब बातें सुनकर, नितिन को भी क्रोध आ गया और वह सोच रहा था -सच ही तो कह रही है , मैंने इसके लिए क्या-क्या नहीं किया ? जो भी कार्य करने को कहती है, वह कर देता हूं , हमेशा उसके साथ खड़ा रहा। दबी -दबी आवाज में अन्य छात्र भी कहते रहते हैं किंतु क्या वह इतनी नासमझ है या फिर  समझना ही नहीं चाहती। हॉस्टल का, मुख्य द्वार बंद था, सब जानते थे -कि यह द्वार नहीं खुलेगा किंतु आज नितिन पहले ही, गार्ड से बात करके गया था। वह खुश हो रहा था कि यह उसके लिए कुछ ना कुछ अ वश्य लाएगा। उसने नितिन को देखा और खुश होते हुए बोला -तुम्हारी पार्टी हो गई। 

हां हो गई, उदास मन से नितिन आगे बढ़ गया, गार्ड ने उसका चेहरा देखा और पूछा -क्या कुछ हुआ है ?

नहीं, कह कर वह आगे बढ़ गया। अब उसे सब कुछ  व्यर्थ नजर आ रहा था। वहां पर खुशी में उसने, शराब नहीं पी थी ,जब वह कमरे में आया तो उसे गार्ड का मुस्कुराता चेहरा नजर आया ,अबे ,यार !अपनी परेशानी में भूल ही गया तभी उसने सुमित को फोन लगाया ,उसके पश्चात निश्चिन्त होकर, उसने बहुत सारी शराब पी और सो गया। आज उसका जैसे नया जन्म हुआ है, आज तक उसने शराब पी तो थी लेकिन इतनी मात्रा में नहीं पी  थी उसके दोस्त कब आए,आये भी या नहीं, उसे पता ही नहीं चला।

नितिन की ज़िंदगी अब न जाने किस मोड़ की तरफ जाने वाली है ?यह कोई नहीं जानता ,सौम्या ने उसके साथ ऐसा क्यों किया ?उसके साथ भी रहती है और दूरी भी बनाकर रखती है ,आख़िर वो क्या चाहती है ?आइये उसकी ज़िंदगी के अगले पड़ाव में झाँकने के लिए आगे बढ़ते हैं।  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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