इक सुंदर एहसास है ,प्रेम !
''दिलजलों'' की आस है, प्रेम !
विश्वास की महीन डोर है,प्रेम !
स्वार्थ से परे, समर्पण है, प्रेम !
शब्दों से परे अनुभूति है ,प्रेम !
प्रेम ज्योति ,जिस ह्रदय बसी ,
सहज ही हो जाता है ,प्रेम !
जिसने चखा स्वाद इसका ,
अनुभूति वही पाता है ,प्रेम !
किसी के लिए बहुत खास है।
बड़ा अटूट विश्वास है ,प्रेम !
कभी हंसाता- रुलाता है ,प्रेम !
कभी राधा तो श्याम है ,प्रेम !
ह्रदय की वेदना !अश्रुधार है ,प्रेम !
एक उमंग ,प्रसन्नता का उजास है।
मीरा के पद औ भक्ति में है ,प्रेम !
उदासियों में भी झलकता,एहसास है,प्रेम !
भावुक ह्रदयों में बन रसधार बहता है ,प्रेम !
जलते दिलों में ,ठंडक का एहसास है ,प्रेम !
धड़कते दिलों के एक होने का एहसास है ,प्रेम !
जासूस -
जासूसी मन ,झांकता यहाँ -वहां ,
ढूंढता न जाने क्या ?कहाँ -कहाँ ?
करे जासूसी ,बगलें झांकता हुआ।
अंतर्मन न झांके,फिरे तकता हुआ।
रिश्तों की भी, हो जासूसी !
जासूस निगाहें, करती जासूसी ,
तनिक सुन आहट अपने मन की।
पड़ोसन करतीं दूजे की जासूसी ,
पति को दिनभर के किस्से सुनाती।
बच्चे से,पति की करवाती जासूसी।
बालपन से मन करता रहा, जासूसी।
हर जगह जासूसी का राज रहा।
जासूसी देश की हो, या घर की ,
सभी के मध्य एक राज़ रहा।