Prem kya hai

  इक सुंदर एहसास है ,प्रेम !

''दिलजलों'' की आस है, प्रेम ! 

 विश्वास की महीन डोर है,प्रेम !

 स्वार्थ से परे, समर्पण है, प्रेम !


शब्दों से परे अनुभूति है ,प्रेम !

प्रेम ज्योति ,जिस ह्रदय बसी ,

सहज ही  हो जाता है ,प्रेम !

जिसने चखा स्वाद इसका ,

अनुभूति वही पाता है ,प्रेम !

 किसी के लिए बहुत खास है।

  बड़ा अटूट विश्वास है ,प्रेम !

कभी हंसाता- रुलाता है ,प्रेम !

कभी  राधा तो श्याम है ,प्रेम !

ह्रदय की वेदना !अश्रुधार है ,प्रेम !

एक उमंग ,प्रसन्नता का उजास है। 

मीरा के पद औ भक्ति में है ,प्रेम !

उदासियों में भी झलकता,एहसास है,प्रेम ! 

भावुक ह्रदयों में बन रसधार बहता है ,प्रेम ! 

जलते दिलों में ,ठंडक का एहसास है ,प्रेम !

धड़कते दिलों के एक होने का एहसास है ,प्रेम !


जासूस -

जासूसी मन ,झांकता यहाँ -वहां ,

ढूंढता न जाने क्या ?कहाँ -कहाँ ?

करे जासूसी ,बगलें झांकता हुआ।

अंतर्मन न झांके,फिरे तकता हुआ।

 


रिश्तों की भी, हो जासूसी !

जासूस निगाहें, करती जासूसी ,

तनिक सुन आहट अपने मन की। 

पड़ोसन करतीं  दूजे की जासूसी ,

पति को दिनभर के किस्से सुनाती। 

 बच्चे से,पति की करवाती जासूसी। 

 बालपन से मन करता रहा, जासूसी। 

हर जगह जासूसी का राज रहा। 

जासूसी देश की हो, या घर की ,

सभी के मध्य एक राज़ रहा।    



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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