सभी के चले जाने के पश्चात,नितिन, सौम्या के क़रीब आया और बोला -तुम ठीक तो हो ,तुम उनसे क्यों बेकार में ही उलझ रहीं थीं ? क्या तुम जानती नहीं हो ? वे लोग बड़े ही ख़तरनाक हैं। दिखाओ !कहीं चोट तो नहीं आई।
अरे! ये क्या कर रहे हो ?झुंझलाते हुए सौम्या बोली - मैं ठीक हूँ ,सौम्या क्रोध से काँप रही थी ,बोली -ख़तरनाक हैं ,तो यहाँ क्या कर रहे हैं ?जंगल में जाकर रहे, जैसी वो है ,हम भी ऐसे ही हैं ,अब उसकी दादागिरी नहीं चलेगी। नितिन सौम्या का आज ये नया रूप देख रहा था।
तुम शांत हो जाओ !आज तुमने उसे सम्पूर्ण कॉलिज के सामने अच्छा मजा चखाया है । अब तो तुम्हें शांत रहना चाहिए। सम्पूर्ण कॉलिज के सामने हुए, अपने अपमान के लिए अभी वह तिलमिला रही होगी।अपने थैले से पानी की बोतल निकाल कर उसके आगे करता है।
सौम्या पर नितिन के शब्दों ने अपना प्रभाव डाला और वो धीरे -धीरे शांत होने लगी ,उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई ,पानी पीते हुए बोली -इस तरह उसे, किसी ने उसी की भाषा में समझाया नहीं होगा किन्तु अब उसे 'नहले पे दहला ''मिला। अब उसकी अकड़ कुछ तो कम होगी।
अकड़ कम होगी या नहीं ,ये तो पता नहीं किन्तु इतना अवश्य जानता हूँ ,इस समय वह बदले की भावना में धधक रही होगी।
धधकने दो !एक लड़की होकर भी, लड़कियों के दर्द और परेशानी को नहीं समझ सकी,क्या तुम जानते हो ?जिस लड़के को मैंने थप्पड़ लगाया था ,वो उसी का भाई था। शायद ,उसी का बदला लेने आई होगी।
आई तो ,उसका परिणाम उसे मिल गया ,उसके करीब बैठकर नितिन उसे ध्यान से देख रहा था ,तभी उसका ध्यान ,सौम्या के बाजुओं पर गया ,जहाँ खरोंच आई हुई थी और वहां से रक़्त की कुछ बूंदें झलक रही थीं। अरे देखो !तुम्हारे चोट लगी है ,कहते हुए उसने सौम्या का ध्यान उस ओर आकर्षित किया। सौम्या ने अपने हाथ को घुमाकर देखा,और चिल्लाने लगी ,ओह्ह्ह !ये क्या हो गया ?कहते हुए दौड़ी और नितिन से बोली -मुझे डॉक्टर के पास जाना होगा।
अरे सुनो तो...... किन्तु उसने एक न सुनी ,नितिन उसके विषय में सोच रहा था ,कैसी अज़ीब लड़की है ?लड़ने के लिए हमेशा तैयार और अपनी चोट देखकर चिल्लाने लगी। वह उसके पीछे जाना चाहता था किन्तु वापस अपने कमरे की तरफ लौट आया।
उसे देखकर वहां पहले से ही मौजूद, उसके दोस्त कहें या उसके कमरे के सहयोगी ,उसे देखते ही बोले -आ गए मजनू ! हमारे विचार से तो अब तुम्हें ,उससे बचकर रहना चाहिए ,वो इतनी जल्दी हाथ आने वाली नहीं है, किसी और को पटाने की सोचो !
मैं उसे पटा नहीं रहा हूँ ,जो कार्य हम लड़के होकर भी नहीं कर पाए ,उसने कर दिखाया ,समझे !कॉलिज में उन लड़कों का इस तरह हरकतें करना क्या सही था ?तुम लोग भी तो पुराने छात्र हो ,तुम लोगों ने भी ये नहीं सोचा।
चुप बे !हमने समाज को ,लोगों, को सुधारने का ठेका नहीं लिया है, आजतक हम ही नहीं सुधरे ,लोगों को क्या सुधारेंगे ?कहते हुए रोहित हंसने लगा।
सौम्या और नितिन समय के साथ -साथ दोनों एक दूसरे के मित्र,हो गए और एक -दूसरे से अपनी बातें कहने -सुनने लगे। नितिन, सौम्या को पहले ही दिन से मन ही मन चाहने लगा था किन्तु वह यह नहीं जान पाया कि सौम्या भी उसे पसंद करती है या नहीं। कई बार उसने ऐसे ही कोई बात करने का प्रयास किया भी किन्तु सौम्या कुछ अलग विषय ही छेड़ देती या बात को हंसी में ले जाती।वो उससे सिर्फ पढ़ाई या कॉलिज से अतिरिक्त कोई बात नहीं करती थी।
एक दिन नितिन ने अपने सभी दोस्तों को एक होटल में बुलाया ,उन दोस्तों में सौम्या भी थी। वहां की सजावट देखकर ,सौम्या ने एक लड़की से पूछा -यहां क्या हो रहा है ?
क्या तुम्हें मालूम नहीं है ?
क्या मालूम नहीं है ? अनभिग्यता से सौम्या बोली।
तुम्हें मालूम भी नहीं है और तुम यहां आ गईं , जिसने तुम्हें निमंत्रण दिया था उसी से पूछ लेतीं ।
उससे पूछा था किन्तु उसने कहा-' कोई आवश्यक कार्य है। 'किन्तु यहाँ का वातावरण देखकर ,कुछ और ही लग रहा है ,अब तुमसे पूछ रही हूं, तुम तो बता सकती हो न......
आज नितिन का जन्मदिन है, इसीलिए उसने यहां पर हम सभी को, पार्टी देने के लिए बुलाया है।तुम्हारा तो अच्छा दोस्त है ,तब भी उसने नहीं बताया। वह स्वयं ही आग लगाकर ,बोली - हो सकता है ,तुम्हें 'सरप्राइज 'देना चाहता हो, कहते हुए मुस्कुराने लगी।
मुझे उसकी पार्टी नहीं चाहिए, मैं जा रही हूं।मुँह फुलाते हुए ,सौम्या बोली।
अब आई हो तो क्यों, बेचारे को उसके जन्मदिन पर निराश करती हो , बधाई ही तो देनी है ,हम भी खा- पीकर चले जाएंगे। उसका दिल भी रह जाएगा। उस पार्टी में सौम्या ही नहीं बल्कि नितिन के कमरे के सहयोगी भी उसमें शामिल थे।
सुमित और रोहित ! सबने खूब मस्ती की और मांसाहारी भोजन भी आया और शराब भी पी। मन ही मन नितिन सोच रहा था- उसके इस व्यवहार से, सौम्या अत्यंत प्रभावित होगी किंतु ऐसा नहीं हुआ और सौम्या ! चुपचाप कुछ देर तक वहां रही और उसके पश्चात, वहां से चली गई। उसने नितिन को उसके जन्मदिन पर बधाई भी नहीं दी। जबकि नितिन सोच रहा था, इतनी बड़ी पार्टी देखकर वह अत्यंत प्रसन्न हो जाएगी और उससे प्रभावित हुए बगैर नहीं रह पाएंगी।
सौम्या के चले जाने की पश्चात , नितिन को महसूस हुआ शायद उसने कहीं कुछ गलत किया है।सौम्या भी कितनी रूढ़ निकली, जन्मदिन की बधाई तक भी नहीं दी। वह उसके पीछे जाना चाहता था और उससे पूछना चाहता था कि क्या उसने, उसे बुलाकर गलती की है, क्या वह उसके जन्मदिन की पार्टी में आना नहीं चाहती थी ? अनेक प्रश्न नितिन के मन में उमड़ने लगे।
जैसे ही वह बाहर जाने लगा तभी 'कार्तिक चौहान' भी आ गया और बोला -बेटे ! बहुत सही जा रहे हो, किसी को प्रभावित किया जा रहा है, आज तक तो ऐसी पार्टी तुमने कभी नहीं मनाई।
बस भाई !आपकी ही कृपा है , घरवालों के द्वारा भेजे गए ,पैसों से कोई ऐसी पार्टी नहीं हो सकती थी।
हमारे छत्रछाया में रहे तो....... इसी तरह उन्नति करते रहोगे, कार्तिक ने नितिन के सिर पर हाथ रखकर जैसे आशीर्वाद दिया। क्या कुछ और बात भी है ?कार्तिक रहस्य्मयी तरीके से मुस्कुराया और बोला -जिसके लिए ये दावत रखी है ,वो कहाँ है ?कौन है ,वो !
हां भाई !मैं बताता हूँ , नितिन को सौम्या पसंद आ गई है।
यह तो अच्छी बात है, क्या वह भी तुम्हें पसंद करती है ?
अभी तो कुछ पता नहीं है, इसीलिए तो आज पार्टी में बुलाया था न जाने ,क्यों चली गई ?