सौम्या जब नितिन से पहली बार मिली तो उसका उद्देश्य, नितिन को परेशान करना और उसे धमकाना था। नितिन भी अचानक सौम्या को, अपने इतने करीब देखकर घबरा गया था किंतु तुरंत ही संभाल भी गया। सौम्या देखने में जितनी सुंदर थी, उतनी ही तेज भी थी। पढ़ने में ही नहीं, बल्कि लोगों के जवाब भी तुरंत दे देती थी किसी से डरती भी नहीं थी। उसकी सुंदरता के साथ, उसके रहने- सहने का तरीका भी लोगों को अपनी ओर खींचता था किंतु आज जब नितिन से मिली, तो चुपचाप वहां से वापस चली आई ,उसकी दोस्त तो उसकी प्रतीक्षा में थीं कि कब नितिन को डांट पड़ेगी ?या कॉलिज में उसका तमाशा बनेगा। अनजाने में ही, वह नितिन को अपना दोस्त भी कह बैठी और नितिन ने भी इस बात का लाभ उठाया।
जब सौम्या नितिन के पास से उठकर चली आई, तब उसकी सहेलियाँ बोलीं -तू तो उसे मजा चखाने गई , थी ,चुपचाप वापस कैसे आ गई ?
मैंने उससे बात की, वह इतना बुरा भी नहीं है, चुपचाप ही तो देखता रहता था , कुछ कहा तो नहीं था।नितिन की बात उसे स्मरण हो आई और अपने ही शब्दों में बोली - अब सुंदर चीज को तो हर कोई देखता है,उससे यह तो नहीं कह सकते,कि मुझे देखकर अपनी आँखें बंद कर लो !कहते हुए अपनी बात से ही पलट गई।
हमने तो तुझसे ये भी नहीं कहा था कि तुम उससे लड़ने जाओ !तुम ही अकड़ते हुए गयीं थीं और ''भीगी बिल्ली ''बनकर वापस भी आ गयीं ,कहते हुए सभी ठठाकर हंसने लगीं।
जब नितिन के दोस्तों ने, नितिन को सौम्या के करीब बैठे देखा, तो उन्हें आश्चर्य हुआ।
इसमें ऐसा इसमें क्या है ? जो यह चुंबक की तरह इसकी तरफ खिंची चली आई ,सुमित ने रोहित से पूछा।
उन दोनों के करीब बैठने का कारण, चाहे कुछ भी रहा हो ,किन्तु दोनों ही ,सभी की दृष्टि में आ गए थे।
अरे ! सब किस्मत की बात है, किस्मत की ,कल के आये लड़के पर ,ये लड़की लट्टू हो गयी और हम पिछले कई सालों से,यहां कॉलिज में झक मार रहे हैं ,आज तक एक भी लड़की नहीं पटी। पट गयी होती, तो तू आज चाचा होता हँसते हुए रोहित बोला।
हम तो कॉलिज के बाहर भी गए किन्तु कोई हाथ नहीं आई जो जीवनभर जीने -मरने की कसमें खाती ,यार !तू ये बता हममें क्या कमी है ? पैसेवाले हैं,कई सालों से इस कॉलिज की रौनक बढ़ा रहे हैं ,न ही ,हमें घर वाले पसंद करते हैं ,न ही कॉलिज की लड़कियाँ कहते हुए अबकी बार सुमित कुछ गंभीर हो गया।
नितिन ने उन दोनो को अपनी तरफ देखते हुए देख लिया था , उनसे कुछ भी नहीं बोला और चुपचाप अपने कमरे में चला गया। मन ही मन वह प्रसन्न हो रहा था , शायद सौम्या उसे पसंद करने लगी है। शायद वह उससे प्रभावित हुई है। उसकी यह सभी बातें किसी चलचित्र की तरह, आंखों के सामने घूम रही थीं। उन बातों को सोच -सोचकर वह मन ही मन मुस्कुरा रहा था।सौम्या ने ऐसा कुछ विशेष कहा भी नहीं ,फिर भी न जाने उन पलों को स्मरण कर वह प्रसन्न हो रहा था।
सौम्या भी, अपने कमरे में, किताब लेकर बैठ गई थी किंतु उसका ध्यान उस किताब पर था ही नहीं, उसका ध्यान तो नितिन की बातों में था, फिर मन ही मन अपने को समझाया,वैसे तो लड़के हम लड़कियों को प्रभावित करने के लिए, इस तरह की हरकत करते ही रहते हैं। इस तरह के डायलॉग बोलते ही रहते हैं। किंतु मैं इतनी भोली भी नहीं कि उसकी चिकनी- चुपड़ी बातों से फिसल जाऊंगी। मुझे उससे कोई मतलब नहीं है, यह सोचकर वह फिर से पढ़ने का प्रयास करने लगी।
तुम दोनों के बीच ऐसी क्या बातें हुई थी ? रात्रि में उसकी सहेली ने उससे पूछा।
कैसी बातें, किससे ?
देख तू बन मत ! तू आज उसके पास गई थी और तूने उससे बात भी की थी, वही बातें पूछ रही हूं जो तूने नितिन से की थी।
अच्छा ! सोच कर वह मुस्कुराई और बोली -उससे क्या बात करने जाऊंगी ? उसे तो मैं डांटने गई थी कि वह मेरी तरफ छुप-छुप कर न देखें !किन्तु ये लोग भी न...... जाने क्या समझ बैठे ?अपनी ही तरह से नई -नई अटकलें लगा रहे हैं।
इतनी देर तक तू उसे समझाती ही रही,उसे घूरते हुए अनुपमा ने पूछा ।
और क्या बातें होगीं ? तू तो मेरा नेचर जानती ही है, मैं किसी ऐरे -गेरे को मुंह नहीं लगाती किंतु उसे प्यार से समझाने गई थी ,बिना ही बात मार तो नहीं सकती थी। यदि वह मुझे कल को कुछ कहता, व्यंग करता या कोई भी गिरी हुई हरकत करता, तब मैं उसे मजाक चखा देती।
मतलब, तुम दोनों ने प्यार से ही सब सुलझा लिया।
ऐसा कह सकते हैं, उसने भी कुछ अनुचित नहीं बोला, और मैंने भी अनुचित नहीं कहा।
तब, क्या वह तुझे इस तरह देखना बंद कर देगा ?
ऐसा मैंने कब कहा ? उसकी आंखें हैं, अब मुझे देखकर अपनी आंखें तो बंद नहीं कर सकता । यह आंखें देखने के लिए ही तो बनी है , और सुंदरता भी कहते हुए सौम्या हंसने लगी।
तू जानती है, वह कौन है ?
अभी तो आई हूं ज्यादा समय कहां हुआ है ?जान जाऊंगी, लापरवाही से कहते हुए सौम्या सोने के लिए अपने बिस्तर पर लेट गई। न जाने क्यों ? उसके विचार मन में आए जा रहे हैं, ऐसी कोई विशेष बात भी नहीं हुई थी ऐसा उसने क्या कह दिया ? कि उसकी बातें स्मरण हो रही है। अपने आप से ही प्रश्न पूछते हुए सौम्या सो गई।
कुछ लड़के और कुछ लड़कियों का ,एक समूह एक जगह एकत्र हुआ ,जिनमें सौम्या भी थी। सौम्या, ने एक लड़की से पूछा -हम यहां क्यों एकत्र हुए हैं ?
तुम नई हो ,न....
,नई हूँ ,तो क्या हुआ ?
आज हमारे सीनियर आएंगे और तुमसे कुछ सवाल पूछेंगे।
कैसे सवाल ?
तभी वहां ,कई सारे लड़के और लड़कियां बड़े ही अकड़ में आये और बोले -जो बच्चे नए हैं ,वो एक तरफ खड़े हो जाएँ।
सौम्या सहित ,कुल छह -सात लड़के -लड़की भी एक तरफ खड़े हो गए।
और बताओ !ये कॉलिज केेसा लगा ?
सभी ने एक साथ जबाब दिया -अच्छा !
कॉलिज में क्या अच्छा लगा ?यहाँ के लड़के या लड़कियां !कहते हुए वो लड़का जोर -जोर से हंसा।
जी ,यहाँ के अध्यापक भी अच्छे हैं ,छात्र भी अच्छे हैं।
यहाँ जब सही है ,तो तुम यहाँ क्यों हो ?तुम बुरे हो।
हम भी अच्छे हैं।
तो क्या हम बुरे हैं ?एक लड़का अकड़ते हुए बोला।
नहीं भइया !मेरे कहने का मतलब ये नहीं था।
तुम्हारे कहने का मतलब क्या है ? जरा हमें भी समझाओ !
ए लड़की ! इधर आओ ! सीनियर में से एक लड़की बोली -तुम्हारा नाम क्या है ?
सौम्या !वो धीरे से बोली।
क्यों ? मुँह में जबान नहीं है। मैंने सुना है ,तूने आते ही हमारे कॉलिज के एक लड़के को मारा।
उसने हरकत ही पिटने वाली की थी।
अब ये निर्णय तुम करोगी कि किसने क्या हरकत की ?तुम क्या यहाँ दादागिरी दिखाने आई हो ?वो अकड़ते हुए बोली।
नहीं दादागिरी तो नहीं ,किन्तु वह आती -जाती लड़कियों को छेड़ रहा था।
उसने तुम्हें छेड़ा था वो फिर से अकड़ते हुए बोली -उसने तुम्हें छेड़ा था। वो लड़कियां इसी क़ाबिल हैं ,तुम्हें इससे क्या लेना ?
उसकी बात सुनकर सौम्या को क्रोध आ गया किन्तु चुपचाप खड़ी रही ,सौम्या की हरकतें देखकर बोली -तुम्हें मुझ पर गुस्सा आ रहा है ,बोल न........ गुस्सा आ रहा है।
मैं ये कहना चाहती हूँ ,आप भी एक लड़की हैं ,हम लोग आपस में ही एक दूसरे को सम्मान नहीं देंगे तो लड़के तो इसका लाभ उठाएंगे ही ,जब वो लड़का उस लड़की को छेड़ा रहा था ,तब मैंने उसे रोकने का प्रयास किया और जब वो नहीं माना तब मुझे उसे दिखाना पड़ा कि हम लड़कियां भी किसी से कमजोर नहीं हैं। लड़कों का साहस तभी बढ़ता है ,जब हम उन्हें ऐसा करने देते हैं।