Ek galati

''इंसान गलतियों का पुतला है,'' गलती इंसान से नहीं होगी तो और किससे होगी ?' गलतियों से ही तो इंसान सीखता है।' जब ठोकर लगती है ,तभी तो चलना सीखता है।''गलती नहीं करेगा ,तो सीखेगा कैसे ?'' ऐसे कई उदाहरण दिए जाते हैं। क्या यह गलतियां इंसान जान बूझकर करता है ?या गलतियां हो जाती हैं , अनजाने में हुई गलती, गलती होती है किंतु जानबूझकर जो किया जाए वह गलती की श्रेणी में नहीं आता। यदि इंसान ने गलती की भी है तो उसको समय रहते सुधार लेना चाहिए। कभी -कभी इंसान इतनी बड़ी गलती कर देता है ,तमाम उम्र उसे ,उस गलती का पछतावा रहता है और चाहकर भी उस गलती को सुधार नहीं सकता और कई बार ऐसी गलती हो जाती है ,जो दूसरे के जीवन को भी प्रभावित करती है ,चाहकर भी उसे ठीक नहीं किया जा सकता। 


कई बार किसी अच्छी सोच के साथ भी ,आदमी कार्य करता है किन्तु कहीं न कहीं उससे गलती हो जाती है। सोचा तो अच्छे के लिए ही था किन्तु उसका परिणाम उसे, उसकी गलती का एहसास कराता है कि वह कहाँ गलत रहा ?कई बार ऐसे लोग भी होते हैं ,जो ये जानते तो हैं ,उनसे गलती हुई है किन्तु अपनी गलती स्वीकारते ही नहीं।अपनी गलतियों का श्रेय अन्य लोगों को ,किस्मत को ,परिस्थिति को ,अर्थ को देते रहेंगे। कुछ हद तक ये चीजें भी जिम्मेदार हो सकती हैं। कई बार इंसान किसी गलत व्यक्ति पर भरोसा ,विश्वास करके भी गलती कर बैठता है। हो सकता है ,वह इंसान भी गलत न हो ,उसे सुधरने का एक मौका तो देना ही चाहिए किन्तु जो बार -बार उसे धोखा दे रहा है ,तब भी उस पर विश्वास बनाये रखता है ,तो यह उसकी सबसे बड़ी गलती होगी। 

अब वो जमाने नहीं रहे ,किसी के प्रेम और अपनेपन से चोर -डाकुओं का भी ह्रदयपरिवर्तन हो जाया करता था। आजकल यदि कोई किसी पर विश्वास जतला रहा है ,तो उसकी सच्चाई या विश्वास को ,उसकी मूर्खता समझ लेते हैं। कई बार एक इंसान घर -परिवार के लिए बहुत कार्य करता है ,अपना जीवन खपा देता है किन्तु उसकी 'एक ही गलती' सभी के जीवन पर भारी पड़ सकती है। हो सकता है ,उसकी ''एक गलती ''उसकी सभी अच्छाइयों को अपने साथ ले डूबे। हो सकता है,उसकी ''एक गलती'' पूरे परिवार ,व्यापार , कभी -कभी देश पर भी भारी पड़ सकती है। इसीलिए जो भी कार्य किया जाये ,बड़े ही सोच -विचार और समझदारी से करना चाहिए ,ताकि अपने साथ -साथ दूसरों का अहित तो न हो। यदि गलती हो भी गयी है ,तो  तुरंत ही उसे स्वीकार करके सुधार का प्रयास करना चाहिए।   

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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