सौम्या ने,जब पहली बार कॉलेज में प्रवेश किया था , नितिन और अन्य उसके साथी लड़के कॉलेज के मुख्य द्वार पर ही खड़े रहते थे,कोई भी ,सुंदर लड़की को जाते देखते, उसे छेड़ते। जब पहली बार सौम्या आई , तो किसी के मुंह से कुछ कहते नहीं बना, अधिकतर ये लड़के ,लड़कियों से छेड़खानी करते रहते थे किंतु सौम्या को देखते ही, उनकी तो जैसे बोलती बंद हो गई। वो सुंदर होने के साथ -साथ,काफी दबंग भी थी। इसका उदाहरण एक लड़के के गालों पर स्पष्ट नजर आया ,जब उस लड़के ने ,उसे छेड़ने का साहस किया किंतु उसे मुंह की खानी पड़ी। तब सौम्या ने उसे बताया -वह कराटे में 'ब्लैक बेल्ट' है , उससे उलझने का प्रयास न करें।चेतावनी देकर, वह आगे बढ़ गयी।
देखने से तो नाजुक कली लगती थी किन्तु इतनी मजबूत होगी ,देखने से, यह पता नहीं चलता था। सौम्या सुंदर होने के साथ-साथ, बिंदास घूमती थी उसे किसी की कोई परवाह नहीं थी न ही, वह किसी से डरती थी। जिससे उसे बात करनी होती थी वह खुलकर उससे बात करती थी, जिसका साथ निभाना होता था या जिसके साथ रहना होता था उसी के साथ रहती थी उस पर किसी का कोई दबाव नहीं था।उसके सामीप्य की चाहत सभी को थी किन्तु ये उसकी इच्छा पर निर्भर करता था कि उसे किससे बात करनी है ,किससे नहीं।उसकी सुंदरता ,उन्हें ललचाती और मौन रखती , जिसके कारण सभी के ह्रदयों में उसके प्रति एक कोमल सकारात्मक भाव था ,दूसरी तरफ उसका खुला व्यवहार और अकड़ू स्वभाव ,उससे दूर रहने के लिए काफी था। कभी लगता सीधी -सादी है तो कभी लगता' टेढ़ी खीर है। '
नितिन को तो वह, पहली नजर में ही भा गई थी किंतु कभी कहने का साहस न कर सका।कारण- उसका लड़की होना ,किसी लड़की से इस तरह बातचीत की शुरुआत कैसे कर सकता है ?न जाने, वो क्या समझ बैठे ?और बदले में उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी ?वह नहीं जानता।ऐसा नहीं कि उसने कभी लड़कियों से बात नहीं की उसके स्कूल में कई लड़कियां थीं,उनसे बात भी करता था किन्तु यहाँ बात कुछ और है,यहाँ नितिन की सोच सौम्य के लिए कुछ और थी। नितिन दूर-दूर से ही, उसे देख कर अपनी डायरी में कुछ न कुछ लिखता रहता।
यार ! हमारे कॉलेज में आज तक ऐसी लड़की नहीं आई, सुमित, रोहित से बोला -अभी तक तो सहमी, सिकुड़ी सी होती ,जो ज्यादा होशियार बनती ,उसे हम उसकी औकात दिखा देते किन्तु सौम्या में कुछ बात तो है।
तू सही कह रहा है , उसे देखकर तो मैं, सोच भी नहीं सकता था, कि वह इतने लड़कों के सामने, तन्मय को धूल चटा देगी। इतने लड़कों को देखकर भी ड़री नहीं।
किंतु लड़के अवश्य डर गए, उनसे व्यंग्य करते हुए नितिन बोला।
ओ...... तू अपने को ज्यादा'तीस मार खां '' मत समझ, ऐसा है, हम लड़कियों पर हाथ उठाना नहीं चाहते इसीलिए उसे जाने दिया सुमित नितिन से बोला।
अच्छा ही किया, वरना तुम लोगों को भी ''मुंह की खानी पड़ती'' उनकी बातचीत सुनकर उसे क्रोध ही आ रहा था किन्तु दुश्मनी भी नहीं कर सकता था।
वो इतनी तोप भी नहीं है, किसी दिन हत्थे चढ़ गयी , तो हम उसे बतला देंगे , हम भी क्या चीज हैं ?
तू तो बड़ा संस्कारी बनता है, तू ही उससे दोस्ती कर ले।
अभी मुझे कोई इच्छा नहीं है, जब दोस्ती करनी होगी तो करके भी दिखा दूंगा। अभी मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता हूं। यह उन दिनों की बात है, जब नितिन कॉलेज में आया था। सुमित सहगल और रोहित चोपड़ा उसके कमरे में थे और नितिन उन दिनों, उन लोगों से परेशान था। उन्हीं दिनों में कार्तिक चौहान भी, नितिन को मिला जो इसी कॉलेज का, पुराना छात्र था। हमेशा नेतागिरी में रहता था, एक दिन जबरन ही उसने, नितिन को , शराब और मांसाहारी भोजन खिला दिया था। अक्सर नितिन परेशान ही रहता था। तभी उन दिनों में सौम्या भी उसी कॉलेज में आई। उनसे परेशान रहने के साथ-साथ, उसे सौम्या भी अच्छी लगने लगी थी। वह सौम्या से दोस्ती करना चाहता था, किंतु सौम्या, अपनी ही जिंदगी में मस्त थी। किंतु कहते हैं न,' एक लड़की को किसी का इस तरह ताड़ना समझ आ जाता है।' ऐसा ही सौम्या ने भी महसूस किया, उसने देखा कि यह लड़का अक्सर मुझे, नज़रें नीचे करके भी घूरता रहता है।उसने अपनी सहेलियों को भी बताया।
पहले तो सौम्या ने उस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया किंतु धीरे-धीरे सौम्या की दिलचस्पी, नितिन में बढ़ने लगी उसने देखा -यह लड़का अन्य लड़कों से अलग है। अक्सर इसका पढ़ाई में ही ध्यान रहता है किंतु इसकी दिलचस्पी मुझमें अधिक नजर आती है।
एक दिन ऐसे ही सौम्या, कॉलेज के बगीचे में गई। वहां पर कई छात्र बैठे हुए,आपस बातचीत भी कर रहे थे तो कुछ पढ़ रहे थे, उनमें से नितिन भी एक था। नितिन उस समय एक किताब पढ़ रहा था, उसका ध्यान अपनी पुस्तक पर ही था किंतु जैसे ही उसकी दृष्टि सौम्या से टकराई। उसका पढ़ाई से ध्यान हट गया, उसने अपनी पुस्तक बिल्कुल आंखों के सामने कर ली और धीरे से नजरें घूमाकर उसे देखने लगा। सौम्या पहले तो अपनी सहेलियों से बातचीत करती रही, अब तक वह भी उसे देख चुकी थी कि यह लड़का उसे घूर रहा है उसकी सहेलियों ने भी उसे बताया था, देख !तुझे छुप -छुपकर देख रहा है ,सोच रहा होगा ,जैसे हम कुछ जानते ही नहीं। नितिन चुपचाप उसको देखता रहता है।अब पढ़ाई में भी मन नहीं लग रहा था। किन्तु चेहरा छुपाने के लिए ,यह पुस्तक अच्छी काम आ रही थी। अभी भी वह ऐसा ही कर रहा था , तभी नितिन ने देखा, सौम्या अपनी सहेलियों के साथ नहीं थी। मन ही मन सोच रहा था -अभी तो यहीं थी, अचानक न जाने कहां चली गई ? और अपने चेहरे से किताब को हटाकर, इधर-उधर देखने लगा।
तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा , और पीछे से बड़ी प्यारी सी, कोमल आवाज आई -क्या मुझे ढूंढ रहे हो ?
तुरंत ही नितिन ने पलट कर देखा, उसके पीछे सौम्या खड़ी थी , सौम्या को देखकर वह हड़बड़ा गया और बोला -नहीं नहीं, मैं तो अपने किसी दोस्त को ढूंढ रहा था।
अब सौम्या उसके करीब आकर बैठ गई और बोली -तुम्हारा वो दोस्त, कहीं मैं ही तो नहीं,मुस्कुराते हुए नितिन की तरफ देखा।
उसकी बात सुनकर, नितिन का चेहरा, तप गया, उसके गाल लाल हो गए , ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसे चोरी करते हुए'' रंगे हाथों पकड़ लिया हो'' ।
घबराते हुए वो बोला -नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं है।उसे लगा आज वो पकड़ा गया कहीं मुझसे लड़ने न लग जाये ,उसने सौम्या की तरफ देखा।