काश ! वो दिन, फिर से आ जाएं।
सखियों संग बैठ,हंसे खिलखिलाएं ।
बातें करते,भावी सपनों में खो जाएं।
फिर सेभावी दूल्हे की छवि सजायें।
मन ही मन सोच उसको ,शरमायें।
अल्हड़ उम्र,भिन्न सपनों में खो जाए?
युवावस्था का जीवन,फिर से जी जाएं ।
उम्मीदों की एक नवीन पतंग, उड़ायें ।
काश !वो अल्हड़पन,वो मासूमियत !
वो बेफ़िक्री का दौर, फिर से आ जाए।
इरादों की एक मजबूत दीवार बनाएं।
लिखूं तुम्हें प्रेम पत्र औ मुस्कान आ जाए।
बिखरे जीवन को समेट,स्याने हो जाएँ।
याद मेंतुम्हारी ,आंसू आये, होंठ मुस्कुराएं ।
गोलगप्पे की एक-एक पारी फिर से हो जाए।
काश ! वो दिन ,फिर से आ जाएं ।