मैं आज मोहब्बत की नई दांस्ता बनाने चली हूं।
सपनों में तुझको चाहा ,हकीक़त में पाने चली हूँ।
चाँद से जुड़ी, गगन की कहानी सुनाने चली हूं।
प्यार की खूबसूरत दास्तान आजमाने चली हूं।
आज मैं खुद को , तुझमें समाने चली हूँ।
धरा को आज....... गगन से मिलाने चली हूं।
बुझते दियों में, प्रेम की ज्योति जलाने चली हूं।
जीवन को भिन्न, नवीन रंगों से सजाने चली हूं।
आज मैं , अपने प्यार को आजमाने चली हूं।
तुझको अपने दिल की धड़कन सुनाने चली हूं।
बसंत की भीगी शाम में, तुझको पाने चली हूँ।
नदियां सी मैं अपने को,सागर में डूबाने चली हूं।
ठंडी हवा के झोंके सी मैं ,आज इठलाने चली हूँ।
मैं आज मोहब्बत की नई कहानी बनाने चली हूँ।