Chali hun

 मैं आज मोहब्बत की नई दांस्ता बनाने चली हूं।

सपनों में तुझको चाहा ,हकीक़त में पाने चली हूँ।  

 चाँद से जुड़ी, गगन की कहानी सुनाने चली हूं। 

 प्यार की खूबसूरत दास्तान आजमाने चली हूं। 



 आज मैं खुद को , तुझमें  समाने चली हूँ।  

 धरा को आज....... गगन से मिलाने चली हूं। 

बुझते दियों में, प्रेम की ज्योति जलाने चली हूं। 

जीवन को भिन्न, नवीन रंगों से सजाने चली हूं। 

 आज मैं , अपने  प्यार को आजमाने  चली हूं। 

तुझको अपने दिल की धड़कन सुनाने चली हूं। 

बसंत की भीगी शाम में, तुझको पाने चली हूँ। 

नदियां सी मैं अपने को,सागर में डूबाने चली हूं।

ठंडी हवा के झोंके सी मैं ,आज इठलाने चली हूँ। 

मैं आज मोहब्बत की नई कहानी बनाने चली हूँ।  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post