प्रतिलिपि के साथ एक साक्षात्कार -

प्रश्न १ - हमें अपने बारे में कुछ बताएं कैसे आपने प्रतिलिपि पर लिखना शुरू किया ?

उत्तर -पहले तो आप सभी पाठकों और प्रतिलिपि मंच के लेखकों को मेरा सप्रेम नमस्कार !मुझे बेहद प्रसन्नता हो रही है कि मुझे'' प्रतिलिपि सुपर लेखक 8 ''में चुना गया किन्तु'' मंज़िलें अभी ओर भी हैं।'' मैं पहले अक़्सर , कहानी और कविताएं ही लिखती थी। फेसबुक पर प्रतिलिपि द्वारा भेजी गई, कुछ कहानियां पढ़ती भी थी। उस समय मुझे मालूम नहीं था, कि प्रतिलिपि पर कैसे लिखा जाता है ?मैं अपने ब्लॉग पर ही अपनी कहानियां लिखती थी किंतु जब मैंने  फेसबुक पर प्रतिलिपि की कहानी पढ़ी , तो मुझे अच्छा लगा और मेरी इच्छा हुई कि मैं भी, प्रतिलिपि पर कहानी लिखूं तब मैंने, सन 2021 में, अपनी एक कहानी ''बड़ी बहू'' डाली थी। उस कहानी को लोगों ने पढ़ा भी और सराहा भी, उसके पश्चात मैंने कई अन्य कहानियां भी डालीं। तब मेरे मन में और उत्साह जगा और मैंने  अपनी कहानियों को, बड़ा आकार देना आरंभ किया। लगभग 10 या 20 भाग से शुरुआत की। अन्य लेखकों की कहानियों को भी पढ़ा, जिसके कारण मुझे धीरे-धीरे मालूम हुआ कि कहानी को आगे बढ़ाने के लिए हम क्या कर सकते हैं ?उसे कैसे हम,आगे बढ़ा सकते हैं ? उसके पश्चात मैंने, 20 भाग में '' हवेली का रहस्य'' रचना लिखी लोगों की समीक्षाओं के माध्यम से, मेरा उत्साह बढ़ता चला गया और आज मैं 100 डेढ़ सौ से ऊपर तक के भाग लिख लेती हूं। 


प्रश्न २ -हमें इस प्रतियोगिता में आपके द्वारा लिखी गई कहानी के बारे में बताएं आपको इस कहानी के लिए प्रेरणा कहां से मिली और आपने पात्रों और इस विषय के बारे में कैसे रिसर्च की और उन्हें बनाया ?

उत्तर -मेरी यह कहानी, एक ऐसे किरदार पर है जो जिंदगी में सच्चा है, अच्छा भी है और कुछ'' रसिक मिजाज'' भी है। उसी के उस स्वभाव को लेकर मैंने यह कहानी लिखी'' रसिया''  समय के साथ उसके जीवन में ,अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं, किंतु अपनी जिंदगी में जो,एक चुलबुलापन है ,वह आगे तक उसे बरक़रार रखता है। इस तरह के  किरदार, हमारे आसपास ही आज भी मिल जाते हैं। उम्र के कई पड़ाव पार कर चुके होते हैं, किंतु जिंदगी में सुकून और जिंदगी को रोमांचकारी बनाए रखना चाहते हैं। इस तरह के किरदार को सोचकर, मेरे मन में, एक कहानी की रुपरेखा तैयार होने लगी। किरदार वास्तविकता से लिए गए हैं, किंतु कहानी में पूर्णतः  काल्पनिक है। 

प्रश्न ३ -इस धारावाहिक को समाप्त करने में आपको कितना समय लगा? क्या आप हर दिन लिखते थे अपना अनुभव साझा करें यह अन्य लेखकों को प्रेरित कर सकता है। 

उत्तर -इस धारावाहिक को मैंने आरंभ तो कर दिया था, किंतु बीच में, मैं सोचने पर मजबूर हो गई थी कि इसको आगे कैसे बढ़ाया जाए ? कोई भी कार्य करती थी, तब भी मेरा दिमाग उस कहानी के लिए दौड़ता था कि इस कहानी को आगे कैसे बढ़ाया जाए ? इसमें क्या घटनाएं दिखाई जाए ? कई बार लगातार लिखती रहती थी , कई बार अटक भी जाती थी। कुछ समय के लिए उस कहानी को विराम देकर, अन्य कहानी पर ध्यान केंद्रित करती थी। उसके पश्चात कोई भी नया विचार मन में आता और कहानी आरंभ कर देती थी , वैसे मेरा प्रयास यही रहा कि समय से पूर्व कहानी को पूर्ण कर सकूं। 

प्रश्न -यदि कोई नया लेखक एक लंबा धारावाहिक लिखना चाहता है तो आपके हिसाब से उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

उत्तर -यदि आप एक लंबा धारावाहिक लिखना चाहते हैं, तो मन में पहले ही तय कर लीजिए कि आपको किस विषय पर कहानी लिखनी है ?उस कहानी को लिखने का उद्देश्य क्या है ? कहानी कैसी है ? उसके पश्चात उसके किरदार तय किए जाते हैं और कुछ घटनाएं भी, नोट कर लेते हैं नायक -नायिका या फिर अन्य उनसे संबंधित जो भी किरदार आते हैं उन सभी के नाम कॉपी पर पहले ही लिख लेना चाहिए। कई बार कई भागों  के पश्चात , यदि नाम की आवश्यकता पड़ेगी, तो आप अपनी कॉपी में ही देखेंगे। घटनाएं नोट कर लेते हैं किंतु लिखते-लिखते, हमारे विचार बदल भी जाते हैं कहानी में कोई नया मोड़ देना होता है वह भी आ जाता है सभी घटनाओं को किरदारों को एक कॉपी पर नोट कर लेना चाहिए। 

प्रश्न -प्रतियोगिता में एक अच्छा धारावाहिक लिखने के साथ-साथ उसे समय सीमा के अंदर खत्म करना भी लेखक के लिए मुश्किल होता है आप अपने अनुभव से लेखकों को समय पर धारावाहिक खत्म करने के लिए क्या सुझाव देना चाहेंगे ?

उत्तर -यह बात सही है, पर समाप्त करने में, कठिनाई तो बहुत आती है किंतु तालमेल बनाकर चलना पड़ता है। कई बार यदि हम उस धारावाहिक के कुछ भाग नहीं लिख पाए हैं। तब एक-एक भाग न डालकर दो या तीन भाग, डालकर, उसे समय सीमा में, पूर्ण करना होता है। यदि आपकी कहानी अच्छी चल रही है और आप कहीं अटक नहीं रहे हैं तो प्रतिदिन एक या दो भाग डालते रहिए ! धारावाहिक समय पर पूर्ण हो जाएगा क्योंकि हम यह भी नहीं कह सकते कि हम जो धारावाहिक लिख रहे हैं उसके कितने भाग पूर्ण होंगे ? उस आधार पर समय देखकरऔर धारावाहिकों के भाग निश्चित करने का प्रयास कीजिए। 

प्रश्न -यदि आप किसी धारावाहिक के बीच में तो आप अगले एपिसोड में प्लानिंग कैसे करते हैं और अपने लेखन को आगे कैसे बढ़ाते हैं ?

उत्तर - जैसा कि मैं पहले ही ,ऊपर बात ही चुकी हूं, जब कोई भी, घटना या दुर्घटना, या कहानी आगे बढ़ने का कोई उपाय नजर नहीं आता। तब मैं, अपनी दूसरी कहानी पर ध्यान केंद्रित करती हूं अन्य कहानीकारों की कहानी पढ़ती हूं। काम करते हुए भी, मैं उस धारावाहिक के लिए सोचती रहती हूं कि मुझे उस धारावाहिक को आगे कैसे बढ़ाना है और जैसे ही ? मन में विचार आते हैं, तुरंत ही, मैं एक साथ कई भाग लिख डालती हूं। 

प्रश्न -आप उन लेखकों को क्या सलाह देना चाहेंगी ? जो पहली बार 100 प्लस भागों की कहानी लिखने की सोच रहे हैं ?

उत्तर -यदि आप 100 से अधिक भागों की कहानी लिखना चाहते हैं, तब सबसे पहले अपनी कल्पना शक्ति को बढ़ाना होगा और उस कहानी को तय कर लेना होगा कि हम किस किरदार को लेकर आगे बढ़ सकते हैं। उससे संबंधित कोई भी विचार मन में आता है तो कॉपी में नोट कर लीजिए और धीरे-धीरे उस कहानी को एक रूप देते हुए चले जाइए। कई बार कहानी लिखते लिखते भी अनेक विचार मन में उमड़ने लगते हैं , जो हमने कहानी को लेकर सोचा होता है उससे बेहतर विचार मन में आ जाते हैं क्योंकि धीरे-धीरे हम उस कहानी से जुड़ने लगते हैं उसके पात्रों से जुड़ने लगते हैं। तब उस आधार पर हम सोचते हैं कि इस कहानी में और क्या नया डाला जा सकता है ? यह हमारी कल्पना पर ही निर्भर करता है, कि हम अपनी कल्पना को कितना आगे तक ले जा सकते हैं ? थोड़ा धैर्य की आवश्यकता है , किंतु जिन कहानीकारों  ने दो सौ या फिर उससे अधिक भाग लिखे हैं, उनका सोचकर मन में, उत्साह जागता है कि यह लोग इतना लिख सकते हैं तो हम क्या 100 भाग भी नहीं लिख सकते ? प्रतिलिपि पर ही एक से एक महान कहानीकार हैं। हर कहानी का हर लेखक, एक नवीन प्रेरणा देता है। हर कहानीकार की सोच अलग होती  है, उनके विचार अलग होते हैं, लेकिन उन्हीं  सोच और विचारों में से कुछ अच्छा ले लीजिए उनसे प्रेरित होइए और अपना कुछ नया और मौलिक लिखिए आगे बढिये ! धन्यवाद !🙏

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post