Shaitani mann [part 40]

इंस्पेक्टर कपिल के थाने में ,एक फोन आता है , गाजियाबाद के नजदीक, झाड़ियों में एक लाश मिली है, न जाने वह किसकी है ? यह सुनते ही कपिल उठ खड़ा होता है। अब तक जो हाथ और मृत शरीर मिले हैं , उनका भी कुछ पता नहीं चल पाया है। अब एक और नई लाश ! वहां पहुंचकर दुबे लाश को देखकर अंदाजा लगाता है ,हो सकता है,जो हाथ हमें मिला है ,इसी लड़की का हो। 

 हां, हो सकता है, संभावना तो लग रही है। वहां से अपने सभी कार्य पूर्ण करके फॉरेंसिक वाले चले जाते हैं।दुबे और जाधव  आसपास के लोगों से पूछताछ कर रहे थे और उस टैटू वाले को ढूंढ रहे थे। कपिल अपना कार्य करके राठौर के साथ, थाने में वापस आ गया था। 


साहब ! यह बात तो पक्की है, यह जो कोई भी है लड़कियों का पक्का दुश्मन है, अवश्य ही ,इसे किसी ने धोखा दिया होगा या प्रेम में इसने  ठोकर खाई होगी , जो यह बदला ले रहा है। 

हां, लगता तो यही है, आओ चलें! दिव्या के कॉलेज चलते हैं। 

दिव्या की तस्वीर लेकर वे कॉलेज  के बच्चों से पूछताछ  रहे थे, क्या तुमने यहां इस लड़की को देखा है ?किन्तु जिसे भी उसका चित्र दिखाया गया उसी ने इस बात से इंकार कर दिया। 

सर ! मुझे लगता है, इन बच्चों से नहीं, बल्कि कॉलेज के अध्यापक और प्रधानाचार्य जी से बात करके ही कुछ हासिल होगा। 

तुम सही सोच रहे हो किन्तु  वे लोग यह तो बता सकते हैं कि यह लड़की यहां पढ़ती थी या नहीं किंतु यह नहीं बता सकते कि उसका किसी लड़के से संबंध था या नहीं, उसका कोई दोस्त था या नहीं। यहां के छात्रों से ही पता चल पाएगा। 

सर !यह याद रखिएगा कि वह कॉलेज छोड़ चुकी थी। 

हां मुझे स्मरण है ,कोइ पुराना छात्र ही बता पायेगा ,मैं प्रधानाध्यापक के पास जाता हूँ ,तुम छात्रों से मालूम करो ! राठौर दिव्या की तस्वीर लेकर, छात्रों के बीच चला  जाता है और सबसे उसके विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहता है। बहुत देर तक उसे कोई जानकारी नहीं मिली लगभग एक घंटा हो गया था किंतु किसी से कुछ भी पता नहीं चल पाया। तब अचानक ही एक छात्रा उसे मिली जो शायद, वहां यह देखने के उद्देश्य से आई थी कि इस स्थान पर इतनी भीड़ क्यों लगी है ? राठौर के हाथ में दिव्या की तस्वीर देखकर बोली -सर !यह तो, दिव्या है। 

हां ,जानता हूँ ,इसी के विषय में, मैं जानना चाहता हूं राठौर के मन में एक उम्मीद जगी , क्या वह तुम्हारे साथ पढ़ती थी ?

 नहीं सर ! वह मुझसे सीनियर थीं, किंतु जब हम लोग यहां रहते थे तो एक ही कमरे में रहते थे। 

अच्छा तुम्हारी रूम पार्टनर थी, तुम्हारा क्या नाम है ? इसके विषय में कुछ और बताइए !

जी,मेरा नाम रुपाली है , ये दीदी  तो अब नौकरी करती हैं । 

नौकरी करती नहीं है, करती थी। 

क्या मतलब ? मैं कुछ समझी नहीं।  

 अब यह मर चुकी है,इसकी हत्या हुई है।  

कब और कैसे उसने आश्चर्य से पूछा ?

 इसकी हत्या हुई है, इसे बड़ी बेदर्दी से मारा गया है ,उस तस्वीर को रुपाली के सामने मेज पर रखते हुए राठौर ने बताया -और इसी के केस की हम जांच कर रहे हैं, हम यह जानना चाहते हैं, जब यह यहां पढ़ती थी उस समय कोई इसका दोस्त था या कोई दुश्मन !

हम सभी दोस्त ही थे, मुझे तो नहीं लगता, उनका कोई दुश्मन था।

दुश्मन भी नहीं था तो कोई तो ऐसा होगा जो दिव्या को पसंद नहीं करता था।  जिससे उसका कभी यहां कॉलेज में झगड़ा हुआ हो, या कोई लड़का जो उसे पसंद करता हो और उसने इंकार कर दिया हो। 

राठौर की बातें सुनकर वह पहले तो चुपचाप खड़ी रही, फिर एकदम से जैसे उसे याद आया और वह बोली - एक बार उसने किसी का नाम तो लिया था, पलाश !

 राठौर को जैसे उम्मीद जगी और बोला -यह पलाश कौन था ? उसके विषय में क्या जानती हो ?

एक बार दीदी ने ही बताया था  , कि कोई लड़का है ,जिसका नाम पलाश है , बहुत ही प्यारा है,उनसे प्यार करता है। 

वह उसे कब और कहाँ मिला ?क्या वो इसी कॉलिज में पढ़ता था ?उत्साहित होते हुए राठौर ने पूछा। 

नहीं ,सर !वो उन्हें कहीं बाहर मिला था। 

तुमने कभी उसको देखा था । 

नो सर !

और कोई दिव्या या पलाश की बात हो तो बताओ !कोई ऐसी बात, जो इस केस को सुलझाने में हमारी सहायता कर सके। 

नहीं सर !वो लोग बाहर ही मिले थे और दीदी भी उनसे बाहर ही मिलने जाती थी ,जब वो नौकरी करने लगी तो उन्होंने कमरा भी छोड़ दिया। तब से हमारा कोई ज्यादा सम्पर्क भी नहीं रहा। 

रुपाली की बात सुनकर राठौर को जो उम्मीद जगी थी ,वो वहीं बुझ गयी। 

कपिल को भी प्रधानाचार्य और अध्यापिकाओं से कोई विशेष जानकारी नहीं मिली ,कॉलिज वाले अपने कॉलिज की बदनामी के डर से भी कुछ ज्यादा नहीं बताते ,इस बात को कपिल अच्छे से समझता था। बाहर आकर उसने राठौर से पूछा -कोई विशेष जानकारी मिली। 

नहीं, सर !एक लड़की से इतना तो मालूम हुआ कि उसकी ज़िंदगी में कोई पलाश !नाम का लड़का तो आया था किन्तु उसके विषय में ,उसकी रूम पार्टनर को और कोई जानकारी नहीं है। 

 ऐसी बातों को बदनामी के ड़र से छुपाकर भी रखते हैं। उस लड़की[मधुलिका ] ने भी तो हमें बताया था कि वो शादी करने वाली थी। 

सिगरेट सुलगते हुए ,राठौर बोला -मुझे तो लगता है ,सर !उस लड़के ने ही, यह कार्य किया होगा ,वो शादी के लिए दबाब बना रही होगी ,तब लड़के ने अंगूठी पहनाकर उसे बहलाना चाहा होगा किन्तु वो जिद पर अड़ गयी होगी ,तब ये हत्या हुई होगी। 

मैं कितनी बार कह चुका हूँ ,इस तरह सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। 

सॉरी सर !इतनी परेशानी में हाथ...... 

शायद, तुम सही कह रहे हो,मुझे भी ऊपर से कॉल आया था ,दबाब बना रहें हैं कि इतने दिन हो गए ,अभी तक तुमसे केस नहीं सुलझा कहते हुए ,कपिल ने राठौर के हाथ से सिगरेट ली और कश लगाते हुए बोला -हाथ अपने आप ही आगे बढ़ जाता है ,कहते हुए ,उसे सिगरेट वापस कर दी और बोला -  यह हत्या अचानक से नहीं लग रही ,बल्कि सोची समझी साज़िश लग रही है,जैसे उसने अपना क्रोध उस पर निकाला हो किन्तु एक हाथ अलग करना ,उसके सिर से बाल काट देना। ये कुछ अज़ीब सा नहीं लग रहा। 

गाड़ी में बैठते हुए ,राठौर बोला -आप सही कह रहे हैं ,यह दुर्घटना तो नहीं लगती ,एक बार चलकर उसके माता -पिता से भी बात करते हैं कहते हुए ,राठौर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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