Shaitani mann [part 37]

गहनों के शोरूम में , एक लड़का और एक लड़की प्रवेश करते हैं ,लड़की मुस्कुराते हुए ,ललचाई नजरों से उन आभूषणों को देख रही थी। दुकानदार को लगा ,दोनों प्रेमी हैं या फिर यह इसकी मंगेतर है। क्या दिखा दूँ ?उसने पूछा।

कोई बढ़िया सी और महंगी सी अगूंठी दिखाइए !

वह लड़के के कहने पर एक अंगूठी दिखाता है।लड़का उस अंगूठी को देखकर अपनी प्रेमिका परी से कहता है -यह बहुत प्यारी लग रही है ,तुम्हारे हाथों में आकर इसकी क़ीमत और बढ़ गयी ,कहते हुए उसने, उसके हाथों को चूमा।

वो शर्मा गयी और बोली - हटो ! सब देख रहे हैं।


 कितने की है ? लड़के ने दुकानदार के करीब आकर पूछा।

 दो लाख की है ,दुकानदार ने जबाब दिया। 

लड़के ने उस लड़की से कहा -तुम और चीजें देख लो ! मैं आता हूँ ,उसके जाने के पश्चात उसने उस अंगूठी की फोटो ली और बोला- अभी मेरे पास इतने पैसे नहीं ,कल आकर ले जाऊंगा।

जितने हैं ,उतने अभी जमा करा दो, बाक़ी कल जमा कराकर ले जाना।

नहीं ,अभी इसको और भी खरीददारी करवानी है ,पैसे कम नहीं पड़ने चाहिए। कल आता हूँ ,कहकर यहाँ  से चला गया ,आज तक नहीं आया ,वह अपने साथ के व्यक्ति से बता रहा था। 

हो सकता है ,उस लड़की को प्रभावित करने के लिए लाया हो ,आजकल के बच्चों का कुछ पता नहीं चलता ,'जेब में नहीं दाने ,अम्मा चली भुनाने ''कहकर हंसने लगा। 

साहब !रिपोर्ट आ गई ,हमें जो पहला हाथ,उस' फॉर्म हाउस ' में मिला था ,इसी खेत वाली लड़की का है। 

कहीं वही दिव्या तो नहीं इंस्पेक्टर ने पूछा। 

लाश !बहुत पुरानी है ,चेहरा पहचानना मुश्किल है ,दिव्या के माता -पिता रिपोर्ट लिखवाने आये थे ,उनके ''डी.एन. ए 'से ही पता चल सकता है कि वो दिव्या है या कोई और....... 

ये बात तो अब तय है ,ये जो कोई भी है ,'सरफिरा ''है ,जो लड़कियों के साथ सोता भी है और उन्हें बेदर्दी से मारता भी है। उनका एक हाथ काटना ,सर के बाल साफ कर देना ,इससे उसकी विकृत मानसिकता का पता चलता है। यदि ये दिव्या ही है ,तो प्रश्न उठता है ,कि इसको किसने और क्यों मारा ?

अभी ये दो केस सुलझ भी नहीं पाए थे , एक सप्ताह ही हुआ था, उन दिनों गन्ने की कटाई चल रही थी और 'गन्ना मिल' पर ले जाया जा रहा था। जहां उनको तोला जा रहा था , वहां पहले से काफी गन्ना इकट्ठा हुआ था। गन्ने का रस भी निकलता है और उससे गुड भी बनता है और चीनी भी, अक्सर उनकी सफाई के लिए ऐसे रसायनों का प्रयोग किया जाता है , उस स्थान पर अजीब सी दुर्गंध हो जाती है , आसपास का वातावरण  काफी दुर्गंध पूर्ण हो जाता है। आज कुछ गन्नों की गट्ठर, को वहां से उठाकर ले जाया जा रहा था, जैसे ही वहां से स्थान खाली हुआ , वहां पर एक कटा हुआ हाथ एक व्यक्ति ने देखा। उसे देखकर, वह चिल्ला उठा -लाश ! लाश ! लाश !

कार्य वहीं रुक गया और भीड़ इकट्ठा हो गई , सभी यह देखना चाहते थे कि किसकी लाश है ? सभी को लगा - जो लोग गन्ना लेकर आते हैं , उनमें से ही लाश को कोई छुपा कर लाया होगा। अच्छे से छानबीन होने लगी, किंतु हाथ के सिवा कुछ नहीं मिला।' शुगर मिल' से पुलिस को फोन आया यहां किसी का कटा हुआ हाथ मिला है। यह सूचना सुनते ही, इंस्पेक्टर कपिल मुस्कुराया और दुबे से बोला -चलो ! एक केस और आ गया। 

क्या हुआ सर ! शुगर मिल में, एक हाथ मिला है।

क्या लाश नहीं मिली ?

हो सकता है, जो लाश हमारे पास है, वह हाथ उसी का हो।

यह कोई हत्यारा है ,या कोई हमसे पहेली बूझ रहा है। हाथ कहीं मिलता है ,तो लाश कहीं मिलती है ?वह भी गंजी लाश सोचकर ही दुबे के तन में झुरझुरी  सी आ गयी। तब तो केस सॉल्व हो जाएगा, संतोष की सांस लेते हुए, बोला।

कैसे सॉल्व हो जायेगा ?तब पता लगाना होगा ,ये हत्याएं किसने और क्यों की ?कहते हुए'' शुगर मिल ''की तरफ गाड़ी मोड़ दी। 

इंस्पेक्टर कपिल अपने साथियों के साथ, शुगर मिल में प्रवेश करता है , वहां पहले से ही, सब काम रुका हुआ था और लोग अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर, वार्तालाप कर रहे थे,उनकी चर्चा का विषय वही हाथ था।  किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह हाथ कहां से आया ? सभी अपनी -अपनी अटकलें लगा रहे थे। 

इंस्पेक्टर कपिल और उसकी टीम को देखकर, गार्ड उठ खड़ा हुआ। इंस्पेक्टर कपिल ने उससे पूछा -कहां है, वह हाथ !

जी अंदर है, कहते हुए वह उन लोगों को उस स्थान की तरफ लेकर चल दिया, जिधर वह हाथ पड़ा हुआ था।

 सबसे पहले यह हाथ किसने देखा ?

वहां पास खड़े सभी लोग बोले -हम सभी ने देखा है , तब एक व्यक्ति आगे आया और बोला -यहां पहले से ही बहुत सारा गन्ना रखा हुआ था। फसल का गन्ना  आता ही रहता है, इसलिए इस स्थान को हम खाली कर रहे थे , ताकि और गन्ना आए, तो परेशानी न हो। उनके बीच यह हाथ हमें दिखलाइ दिया। 

ऐसा कैसे हो सकता है ? कोई आदमी आता है और यहां कटा हुआ हाथ छोड़कर चला जाता है किसी को पता ही नहीं चलता ,सोचते हुए ,उस हाथ की तरफ बढ़ता है। वह देखता है ,यह हाथ भी ,उसी हाथ की तरह ही काटा हुआ है। 

साहब ! पता नहीं ,ये कब से यहाँ पड़ा हुआ है ?पहले पता चलता, तो पहले आपको सूचित करते।

 वह गन्ना कब से आया हुआ था ?

यह तो बहुत दिनों से यहां पड़ा था , किसी एक व्यक्ति का नहीं है, न जाने कितने लोगों का करना है ? 

हो सकता है उनमें से ही किसी गट्ठर में हो ! और अब बाहर निकलकर गिर गया ,कहीं ऐसा तो नहीं ,उनमें से ही किसी गट्ठर में कोई लाश भी हो। इंस्पेक्टर की यह बात सुनकर वहां खड़े सभी व्यक्तियों का दिल हिल गया।  

हो सकता है, क्योंकि इतनी बड़ी मिल में इतने लोगों के बीच, अकेले हाथ रखने को तो कोई नहीं आएगा। हो सकता है किसी ने, उसे किसी गट्ठर में ही छुपाया हो ,जिससे  किसी को कुछ भी पता ना चले।

 ये गन्ना कहां-कहां से आता है ?

आसपास के गांवों से ही आता है, इस तरह क्या बता सकते हैं ? कि यहां जो गट्ठर रखे हुए थे, वह किस गांव से आए थे ? सभी गन्ने एक जैसे ही तो होते हैं, पहचानना मुश्किल है। यहां तुलने के पश्चात, उन्हें दूसरे स्थान पर इकट्ठा कर दिया जाता है। गार्ड सम्पूर्ण जानकारी कपिल को देता है। 

तब कपिल कहता है -आसपास के गांव में पता लगाना पड़ेगा, वहां कोई ऐसी लाश या कोई लड़की गायब हुई हो, तभी हम आगे बढ़ सकते हैं। 

साहब ! यह तो बहुत मुश्किल हो जाएगा, यहां पर पच्चीस से तीस गांवों  का गन्ना आता है। 

जो भी है, हमें पता तो लगाना ही होगा , कहते हुए कपिल आगे बढ़ता है अन्य लोगों से भी पूछताछ करता है-क्या तुम लोगों ने कोई ऐसा व्यक्ति देखा जो यहां पर नया आया हो ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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