Sazishen [part 135]

 इंस्पेक्टर विकास खन्ना, नीलिमा से पूछताछ करने के लिए, उसके घर पर जाता है। वहां नीलिमा उसे प्रसन्न मुद्रा में दिखाई देती है, तब उसे नीलिमा के माध्यम से पता चलता है कि चंपकलाल जी, डॉक्टर पूजा के साथ, खुशी-खुशी अपने घर वापस लौट गए हैं किंतु अब इंस्पेक्टर विकास खन्ना के सवालों का जवाब देना होगा।  इससे पहले मैं शिवांगी से मिलना चाहता हूँ। तब नीलिमा कहती है -आपसे मैंने पहले ही कह दिया था कि शिवांगी को इन सबसे दूर रखो !

 देखिए! हमारे केस के लिए, शिवांगी से सवाल- जवाब करना भी आवश्यक है , तभी हम पता लगा पाएंगे कि आखिर चांदनी जी का कातिल कौन है ?

वह इसमें आपकी क्या मदद कर सकती है ?


यह तो उससे बात करने पर ही पता चलेगा। नहीं, तो हमें उन्हें थाने बुलाना होगा। एक साधारण सी बातचीत होगी उसे कुछ सवालों के जवाब देने होंगे। इसलिए हमारी छानबीन में आप व्यवधान न डालें तो वही बेहतर होगा। वैसे आपसे एक बात पूछना चाहता हूं। मैंने सुना है, कि तुषार आपकी बेटी शिवांगी के भी बहुत करीब आ रहा था। 

यह क्या बेहूदा बात कर रहे हैं ? आप अपने केस पर फोकस करिए। इधर-उधर की बातों में मत उलझिए !नीलिमा ने सुझाव दिया। 

हम वही कार्य कर रहे हैं, लेकिन आप हमारी सहायता नहीं कर रही हैं। 

मैंने आपसे पहले ही कहा था कि आपको जैसी भी, मेरी सहायता की जरूरत होगी ,मैं सहायता करने के लिए तैयार हूं किंतु उसमें मेरी बेटियों को मत घसीटिये !

क्या, आपको विवाह से पहले पता नहीं था, तुषार चांदनी का सौतेला बेटा है या जावेरी प्रसाद जी का बेटा है, नीलिमा के चेहरे पर नज़रें गढ़ाते हुए, इंस्पेक्टर विनोद ने पूछा क्योंकि जहां तक मैं जानता हूं, आप पहले ही यह जान चुकी थीं कि चांदनी जावेरी प्रसाद की, पत्नी है और यह चांदनी और कोई नहीं ,आपकी नौकरानी चंपा ही है और आप यह भी जान गई थीं कि तुषार उनका बेटा है। तब आपने अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए, उसके घर में घुसने के लिए, पहले तो आप नौकरी के बहाने से वहां गईं , उसके पश्चात जब आपको चंपा ने कोई काम नहीं दिया और आपको मिसेज खन्ना के यहां भेज दिया, तब आपने तुषार को चुना। तुषार के माध्यम से उस घर में घुसने और चम्पा से बदला लेने के लिए, आपने अपनी  बेटी का विवाह उसके साथ करके उस घर में घुसने का प्रयास किया और मौका देखकर, उसको अपने और अपनी बेटी के रास्ते से हटा दिया। 

यह सब बकवास है , नीलिमा क्रोध से उत्तेजित होते हुए बोली- यदि मुझे उसे मारना ही होता , तो यह कार्य में बहुत पहले कर चुकी होती , यह मैं मानती हूं कि मुझे चंपा का उसी दिन पता चल गया था कि यह जावेरी प्रसाद जी की पत्नी है और उसके पैसे के कारण ही, उसने मुझे अपमानित करने की संपूर्ण योजना बनाई। किंतु मेरी बेटी को उसके घर भेजने का कोई उद्देश्य नहीं था। हां, यह भी मानती हूं कि मुझे पता चल गया था, कि तुषार ही, उनका बेटा है, किंतु वे दोनों पहले से ही, एक दूसरे को प्रेम करते थे। इसमें मेरा कोई हाथ नहीं था। उसे मैंने माफ तो नहीं किया था किंतु मेरी बेटी उस परिवार में सुख पूर्वक रह रही थी, तो मैं उस परिवार का अनिष्ट नहीं चाहूंगी।उस पर क्रोध तो बहुत था ,उससे बदला भी लेना चाहती थी किन्तु बेटी के लिए मैंने यह विचार त्याग दिया।  

किंतु जब चंपा के कारण, आपकी दोनों बेटियों में अनबन हुई, तब तो आपने सोच ही लिया था कि इसको अवश्य ही रास्ते से हटाना होगा। 

नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, हां मैंने उसे समझाने का प्रयास अवश्य किया था कि वह जो गलतियां कर चुकी है उसके लिए मैं उसे क्षमा कर चुकी हूं किंतु अगर वह आगे सोच- समझकर कुछ भी गलती करती है, मेरी बेटियों के साथ,खेल  खेलती है, तो उसे तनिक भी माफ नहीं करूंगी। तभी, शिवांगी वहां आ जाती है। शिवांगी को देखकर, नीलिमा पूछती है -तुम यहां क्यों आई हो ?

क्या आज आप हमें चाय नहीं पिलाएंगी, विकास बोला। 

आप यहाँ चाय पीने तो नहीं आए हैं, नीलिमा मुस्कुरा कर बोली।

 क्या मैं यहां , शिवांगी से कुछ प्रश्न पूछ सकता हूं ?

मैंने कहा न........  इंस्पेक्टर साहब !यह कुछ नहीं जानती है, इसको इन सब के बीच में मत घसीटिये !

इंस्पेक्टर ने नीलिमा की बात पर ध्यान ही नहीं दिया और शिवांगी से बोला - तुम सबसे पहले, चांदनी जी से कब मिली थीं ?

शिवांगी ने अपनी मां की तरफ देखा, वह सोच रही थी -जो चीज इतने दिनों से छुपाई हुई है यह बात तो मम्मा  भी नहीं जानतीं ,इंस्पेक्टर को अपनी तरफ देखते देखकर बोली - दीदी की शादी पर ही मिली थी।

याद कीजिए ! क्या तुम चांदनी से, इससे पहले कभी भी नहीं मिलीं क्योंकि मेरे पास, तुम्हारे कुछ ऐसे मैसेज हैं ,जिनसे पता चलता है, तुम पहले से ही, चांदनी को जानती थीं और चांदनी भी तुम्हारी उस कार्य में सहायता कर रही थी। इंस्पेक्टर की  यह बात सुनकर, शिवांगी एकदम शांत हो गई। 

इंस्पेक्टर साहब !आप यह किस कार्य की सहायता की बात कर रहे हैं ?

कुछ नहीं मम्मा ! आप चाय बनाइए ! मैं बात कर लूंगी। 

नहीं, मैं यहीं बैठी रहूंगी, मुझे  भी तो पता चले, इंस्पेक्टर साहब किस चीज की बात कर रहे हैं ?

हो सकता है, आपकी बेटी को, कुछ भी बात बताने में हिचक हो , हमें आपसे कुछ प्रश्न पूछने हैं,  कुछ देर के  लिए आपको थाने आना होगा। 

यह भला थाने  क्यों आएगी ?आप ,साबित क्या करना चाहते हैं, इसने, क्या कोई जुर्म किया है ?

नहीं, बस हमारे कुछ प्रश्नों के जवाब देने होंगे, यदि इन्होंने कुछ किया ही नहीं है, तो डरने की कोई बात ही नहीं है , कहते हुए इंस्पेक्टर विकास खन्ना उठ खड़ा हुआ और शिवांगी से  बोला -हमसे थाने में आकर मिलो !

 इंस्पेक्टर की बात सुनकर, शिवांगी घबरा गई , उसे लग रहा था ,न जाने इन्हें मेरे मैसेज में ऐसा क्या मिला है ? जो मुझे थाने बुला रहे हैं ,नीलिमा से बोली -मम्मा ! कहीं यह लोग मुझे पकड़ कर जेल में तो नहीं डाल देंगे। 

अजी, ऐसे कैसे डाल देंगे ? जब हमने कुछ किया ही नहीं है , मुझे तो लग रहा है, यह इंस्पेक्टर पगला गया है। यह मुझे पहले से ही जानता है किंतु न जाने क्यों ,मेरी बेटियों को फंसाने का प्रयास कर रहा है ? कल्पना का भी फोन आया था वह भी कह रही थी -कि इंस्पेक्टर कुछ ज्यादा ही पीछे पड़ा हुआ है, उसे लगता है कि हम दोनों पति-पत्नी ने ही संपत्ति की खातिर उसका कत्ल कर दिया। तुम तनिक भी घबराना मत ! जो बात पूछे, उसका स्पष्ट जवाब देना , नीलिमा ने शिवांगी की हिम्मत बंधाई। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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