Sazishen [part 132]

जावेरी प्रसाद जी, के बंगले में, उनके पीछे के बगीचे में, खुदाई करने पर एक ''कंकाल'' मिलता है। अब प्रश्न यह उठता है कि यह 'कंकाल' किसका है ? क्या जावेरी प्रसाद जी की दूसरी पत्नी चांदनी का , जो आज से दो महीना पहले से लापता है।यह कंकाल  उसका है, या फिर किसी और का। वहां उपस्थित, सामान से तो यही पता चल रहा था कि वह किसी स्त्री का ही' कंकाल' है किंतु जावेरी प्रसाद जी की पत्नी तो इतने दिनों  से गायब थी। तब यह कार्य, किसने किया होगा ? अब तक इंस्पेक्टर विनोद खन्ना जो उनकी पत्नी के  गुमशुदा होने की रिपोर्ट के आधार पर, उस केस की छानबीन कर रहा था।उस छानबीन में ,चांदनी तो नहीं मिली किन्तु जावेरी प्रसाद जी के पालतू  कुत्ते के कारण ,एक कंकाल अवश्य मिल गया।

  अब यह केस और सामने आ गया।इंस्पेक्टर  सीधे-सीधे जावेरी प्रसाद जी से प्रश्न करता है -कि यह कंकाल किसका हो सकता है ?


 इंस्पेक्टर साहब !अब यह मैं कैसे बता सकता हूं? मुझे तो इसके विषय में कुछ भी मालूम नहीं है , मैं तो वैसे ही अपनी पत्नी के गायब होने से परेशान हूं कहते हुए जावेरी प्रसाद अपना दुःखी चेहरा लटकाकर बैठ गया।  

मान लीजिए, यह आपकी पत्नी का ही कंकाल है तब, उनकी हत्या किसने की होगी ?

आपके परिवार और आपके नौकरों के सिवा यहां और कौन रहता है ?

 इंस्पेक्टर साहब ! उन दिनों मेरा पोता हुआ था, मेहमान आ जा रहे थे। 

क्या इतनी भीड़ -भाड़ में अजनबी और अनजान लोगों में कोई ऐसा कर सकता है ? कि आपकी पत्नी की हत्या कर दे और आपको ' कानों कान खबर ही ना हो।'

 किसी ने मिट्टी भी खोदी होगी। 

तभी एक नौकर आगे आया, और बोला -साहब  यहां से मिट्टी खोदी गई थी, यहां पर भट्टी लगाई गई थी। खाने का प्रबंध यहीं पीछे के बगीचे में ही था।पीछे जो खाली जगह है ,वो इसलिए उपयोग में ली जाती है। जब भी कोई कार्यक्रम होता है ,तो भोजन होटल से नहीं, घर में ही बनवाया जाता है। 

और हत्या करके इस स्थान पर इंसान को भी दबा दिया जाता है। 

साहिब !कैसे बात करते हैं ?

क्यों? मैं कुछ गलत कह रहा हूँ,उस स्थान को साल छह महीने में उपयोग में लाया जाता है ,बाक़ी समय वह  स्थान बेकार रहता है।  तब खूनी ने, इस बात का लाभ उठाया और किसी को पता भी नहीं चला। किंतु प्रश्न यह  उठता है कि यह किसका कार्य हो सकता है ?तब इंस्पेक्टर जावेरी प्रसाद से कहता है - हमें अपने सभी मेहमानों की सूची दीजिए !उन दिनों कौन-कौन आया था ? 

जो भी मेहमान आए थे, वह तो भोजन करके चले गए थे। इतनी शीघ्रता से किसने कार्य किया होगा कि पहले इस घर की मालकिन की हत्या करेगा और फिर उसको, इसी घर में दबा देगा।

 हो भी सकता है, क्योंकि इधर तो कम ही लोग आते जाते हैं।बाहरवाला तो नहीं हो सकता क्योकि बाहरवाला तो बाहर ही मारने का प्रयास करेगा। 

 यह बात नीलिमा के कानों तक भी पहुंच गई,कल्पना ने फोन करके उसे सब बता दिया था। चांदनी , रिश्ते में तो नीलिमा की समधिन ही लगती थी इसलिए नीलिमा को भी, वहां पर आना पड़ा। उसे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि किसी ने चंदा यानी चांदनी की हत्या कर दी। उसके मन में भी प्रश्न उठा, आखिर यह कार्य किसका हो सकता है ? उसने कल्पना की तरफ देखा !

मम्मा ! हमें तो पता ही नहीं, वह कब यहां से गई ? वापस आई या आई ही नहीं, कहते हुए घबराई हुई कल्पना रोने लगी।

 इंस्पेक्टर नीलिमा से बोला - अच्छा हुआ, आप यहीं आ गई वरना मैं आपसे मिलने जाने वाला था। 

क्यों, मुझसे क्यों मिलना चाहते थे ? नीलिमा ने पूछा। 

इस घर भी एक हत्या हुई है, कातिल कौन है ? यह पता करने के लिए , परिवार के सदस्यों से तो पूछताछ करनी ही होगी। आपका भी इस परिवार से रिश्ता बनता है इसलिए आपसे मिलना ही पड़ता। मन ही मन इंस्पेक्टर खन्ना सोच रहा था , अवश्य ही नीलिमा का ही काम हो सकता है किंतु बिना किसी ठोस सबूत के वह उसे पकड़ भी तो नहीं सकता। 

इंस्पेक्टर साहब! पहले आप, यह तो पता लगाइए कि यह' कंकाल' किसका है ?हो सकता है ,बरसों पुराना हो , इस कोठी के बनने से पहले का हो। 

हां हां, इसका पता हम अवश्य लगा लेंगे कुछ ही, दिनों में रिपोर्ट आ जाएगी , तब तो यह जानकारी लेनी ही होगी। पूछना तो होगा ही आखिर यह हत्या किसने की है ?

इंस्पेक्टर के सामने तुषार, जावेरी प्रसाद, नीलिमा, शिवांगी और कल्पना बैठे हुए थे। क्या आपके घर में, चांदनी जी से अलग कोई और सदस्य भी गायब हुआ है या गया है।

 पानी देते हुए , तुलाराम बताता है -साहिब ! गायब तो कोई नहीं हुआ है किंतु तोताराम नौकरी छोड़कर जरूर गया है। 

क्यों, उसने नौकरी क्यों छोड़ी ?

 कह रहा था - घर में सबको उसकी जरूरत है ,मां बीमार है, अब वह गांव में रहकर ही खेती-बाड़ी करेगा। खर्चे बढ़ रहे थे, पूरे नहीं हो रहे थे ,परिवार से दूर रहता था किंतु फिर भी उनकी ज़रूरतें पूरी नहीं हो रही थीं इसीलिए नौकरी छोड़कर चला गया।

वापस गांव जाने से क्या उसकी जरूरतें पूरी हो जाएँगी ?

पता नहीं साहिब ! क्या तुम उसके गांव के विषय में जानते हो, वह किस गांव से था ?

नहीं साहिब ! वह बिहार के किसी गांव से आया था।

 जावेरी प्रसाद जी तो जानते ही होंगे, इंस्पेक्टर ने जावेरी प्रसाद जी की तरफ देखा,जावेरी प्रसाद तुलाराम से बोला -तुम जाकर अपना काम देखो ! तब इंस्पेक्टर से बोला -इसमें क्या जानकारी रखनी थी ? उसे जरूरत थी, हमने काम दे दिया।

 क्या आपने उसे बिना ''वेरिफिकेशन ''के ही काम दे दिया था ? क्या आपको मालूम नहीं है? कि किसी भी अनजान को बिना वेरिफिकेशन 'के काम पर रखना ,खतरे से खाली नहीं है। 

बेचारा बहुत गरीब था, काम मांग रहा था, हमने दे दिया। अब इन झंझटों में क्या पड़ना ?

हो सकता है, उसने ही चांदनी जी की हत्या की हो और भाग गया हो। 

ऐसा तो नहीं लगता था। 

 जब चांदनी जी गायब हुई थीं, उनके जाने के कितने दिन बाद रहकर  गया ?

 दो-तीन दिनों के पश्चात ही चला गया था सोचते हुए तुषार बोला। 

यह संभव हो सकता है, उसने इस घर की मालकिन को मारा , और मौका देखकर पीछे के बगीचे में दफना दिया और भाग गया। उन दिनों तो नीलिमा जी आप भी रहती थीं। 

 आप कहना क्या चाहते हैं ? मैं अपने बच्चों की दादी का खून करके और उसे दबाकर चली जाऊंगी। इंस्पेक्टर की बातें उसे बेहूदा लगीं। 

देखिए ! आपको अभी मेरी बातें समझ नहीं आ रही होगी, किंतु यदि यह बात स्पष्ट हो जाती है कि वह 'कंकाल' चांदनी जी का ही है, तो आप सभी शक के घेरे में आते हैं। घर में ही कंकाल मिला है अभी मैं चलता हूं, शीघ्र ही मुलाकात होगी। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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