बातें करते, झगड़ते हुए ,अचानक पूजा की दृष्टि, खेलते हुए ,बच्चों की तरफ गई , वहां उसे परम नहीं दिखला ई दे रहा था। अचानक से वह उस ओर दौड़ पड़ी और चिल्लाई -परम, कहां गया ? मेरा बेटा' परम' कहां गया ? उसने शिवांगी से पूछा -परम , अभी तो तुम लोगों के साथ खेल रहा था।
हाँ ,आंटी! वह यहीं खेल रहा था, न जाने अचानक से उसे क्या हुआ ?बाहर की तरफ भागा, हमने पूछा भी था कि कहां जा रहे हो? तो कहने लगा -'अभी आता हूं। '
यहाँ वो पहली बार आया है ,इतना बड़ा शहर है , कहीं ज्यादा दूर चला गया तो मिलेगा भी नहीं,सोचते हुए उसका कलेजा काँप उठा। तब पूजा, चंपक की तरफ दौड़ी और बोली -आज तक ऐसा नहीं हुआ कि मेरा बेटा मुझे छोड़कर या मुझे बिना बताए कहीं भी चला जाए। कहीं, उसे पता तो नहीं चल गया कि तुम ही उसके पिता हो। मुझे मेरा बेटा चाहिए ,कहते हुए उसका रोने का दिल तो कर रहा था किन्तु चम्पक के सामने कमज़ोर पड़ना नहीं चाहती थी। तब वह नीलिमा से बोली -तुम उस तरफ देखो !मैं इधर देखती हूँ। मन ही मन सोच रही थी ,मैं चम्पक की सहायता नहीं लूंगी। मैंने आज तक अपने बेटे को अकेले ही, बिना किसी की सहायता के पाला है। आज भी मैं उसे ढूंढ़ लूंगी।
मैं अभी तो यहीं तुम्हारे पास बैठा था ,अब मैंने ऐसा क्या कर दिया ?परेशान होते हुए वह पूजा के क़रीब आकर बोला।
कहीं ऐसा तो नहीं,तुमने ही मेरे बेटे को उठवा दिया हो, मुझे यहां बातों में लगाए रखा और उसे गायब करवा दिया। परेशान होते हुए बाहर की तरफ भागी -और जोर-जोर से पुकारने लगी - परम !परम ! कहां हो तुम ?
चंपक भी बाहर की तरफ दौड़ा, और लोगों से पूछते हुए, आगे बढ़ गया, किंतु उन्हें परम कहीं भी नहीं दिखलाई दिया।
यह सब तुम्हारे कारण ही हुआ है , अब तो नीलिमा को भी अपनी गलती एहसास होने लगा था, उसे लग रहा था -कहीं इनका बेटा खो गया तो मैं जिंदगी भर इन्हें मुंह नहीं दिखा पाऊंगी। वह भी परम को खोजने लगी। आज तक ऐसा नहीं हुआ था, न जाने क्या हो गया ? कहीं ऐसा तो नहीं परम को दोनों के विषय में पता चल गया हो। वह अपने माता-पिता को के झगड़े को देखकर यहां से चला गया। तब नीलिमा ने शिवांगी से पूछा -वह अचानक इस तरह कैसे चला गया ? क्या तुमसे कुछ कह कर गया था ?
नहीं मम्मा ! मुझे कुछ मालूम नहीं है ,हम तो यही थे ,बस कह रहा था -अभी आता हूं, थोड़ा इंतजार ही कर लेते हैं, शायद आ जाए, इतने बड़े शहर में आदमी को खो जाता है, वह बच्चा भला कैसे वापस आएगा ? घबराते हुए पूजा बोली।
मैं तुमसे पहले ही कह रहा था -बच्चा बड़ा हो रहा है, अब अपने परिवार में चलो! किंतु तुम तो जिद पकड़े हुए थी, तुम वापस लौटना ही नहीं चाहती थीं। हमारा बच्चा न जाने कहां गया होगा? चिंतित स्वर में चंपक बोला। मैं मानता हूँ ,मुझसे गलती हुई है किन्तु उस गलती के लिए सारी उम्र तड़पता रहूंगा। मैंने तुम्हें कहाँ -कहाँ नहीं ढूंढा ?अब जब किस्मत से मिल ही गए हैं ,तो तुम चलना नहीं चाहतीं ,वो तो भला हो !नीलिमा जी का जिन्होंने मुझे तुम्हारे विषय में बताया और हमें मिलवाना चाहा।
पूजा को क्रोध आ रहा था ,उसने अपने आंसू पोंछे और बोली - वह बच्चा तुम्हारा नहीं है, वह बच्चा मेरा है , मुझे अभी पुलिस में जाकर रिपोर्ट करनी होगी, तब तक तो न जाने वह कहां पहुंच जाएगा ? घबराते हुए पूजा बोली -मैं तुम्हारी तरह हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकती।
मैं भी उसे आसपास ढूंढता हूं, कहते हुए चंपक जाने लगा। तब पूजा बोली -कहीं यह तुम्हारी चाल तो नहीं , और बच्चे को ढूंढने के बहाने, तुम यहां से निकल जाओ और मेरे बच्चे को ले जाओ ! मैं तुम्हें कहीं नहीं जाने दूंगी। जब तक मेरा बच्चा नहीं मिल जाता है।
ऐसा कुछ भी नहीं है, तुम रोओ !नहीं ,चलो ! उसे मिलकर ढूंढते हैं, चंपक सांत्वना देते हुए बोला।
कुछ देर दोनों आसपास ढूंढते रहे, तभी झाड़ियां के पीछे से उन्हें उनका ' परम' आता दिखलाइ दिया।
पूजा ने दौड़कर उसको पकड़ा और रोने लगी-तू कहां चला गया था ? तुझे पता है, मेरी क्या हालत हो गई थी ?
आपको पता है, मैं पापा के बिना नहीं रह सकता, मैंने अपने पापा को सिर्फ तस्वीर में ही देखा है , मैं उनके साथ रहना चाहता हूं, अपना जीवन व्यतीत करना चाहता हूं , किंतु जब मैंने इन अंकल को देखा तो मुझे अपने पापा की याद हो आई। मुझे बहुत दुख हुआ था कि मेरे पिता मेरे साथ नहीं है। मुझे अपने पापा के साथ रहना है और जब मैंने सुना यही मेरे पापा हैं तो मैं बहुत खुश हुआ किन्तु आप मान ही नहीं रहीं थी। मुझे आप दोनों के साथ एक रहना है। और जब मैंने आपको लड़ते हुए सुना, तब मुझे पता चला यह मेरे पापा ही है किंतु आप किसी भी तरह से समझौता नहीं कर रही थीं। तब मेरी इच्छा हुई कि मुझे यहां से दूर चले जाना चाहिए, कहते हुए ,परम रोने लगा और बोला -मुझे मम्मी -पापा दोनों ही चाहिए, क्या मेरे लिए तुम दोनों एक साथ नहीं हो सकते ?अपने बेटे की बात सुनकर पूजा स्तब्ध हो बैठ गई। मेरे साथ रहकर मेरा बेटा प्रसन्न नहीं है।
तब नीलिमा उसके करीब आकर बोली -एक समय ऐसा आता है ,जब बच्चों को दोनों [माता -पिता ]की ही आवश्यकता होती है। अपनी खातिर नहीं ,अपने बच्चे के लिए तो एक हो ही सकते हो। एक अकेली औरत को अपने बच्चे को पालना कितना कठिन होता है ?वो मुझसे बेहतर कौन जान सकता है ?धीरेन्द्र को दुबारा इस संसार में नहीं लाया जा सकता किन्तु तुम लोगों को तो किस्मत एक और मौका दे रही है।
नीलिमा की बातों ने अपना असर दिखलाया ,तब चम्पक बोला -मैं मानता हूँ कि मुझसे गलती हुई है किन्तु अब मैं अपनी उस गलती को सुधारना चाहता हूँ।
तुम उस गलती को सुधारना नहीं चाहते वरन अपनी बेबसी के कारण यहाँ आये हो।तुम्हें अपने वारिस की आवश्यकता है। यदि छाया से तुम्हें कोई संतान हो जाती ,आज वो जिन्दा होती ,तो तुम यह देखने भी नहीं आते कि हम जिन्दा हैं या मर गए।
समय कितना बलवान है ? तुमने यह नहीं सोचा ,यदि तुम्हारे साथ अन्याय हुआ है ,तो उपरवाले से मेरी ख़ुशी भी देखी नहीं गयी ,शायद उसने मेरी गलतियों का मुझे एहसास कराने के लिए ही मेरे साथ ऐसा किया और आज मुझे फिर से तुम्हारे सामने लेकर खड़ा कर दिया।