Sazishen [part 124]

इंस्पेक्टर विकास खन्ना, नीलिमा से मिलने आता है, वह जानना चाहता है कि नीलिमा, चांदनी को कैसे जानती थी ? तब नीलिमा ने इंस्पेक्टर खन्ना से बताया-' कि चांदनी ही चंपा है, जो हमारे घर में कार्य करती थी, उसने मेरा घर तो बर्बाद कर ही दिया। अब वह मेरी बेटियों को भी, आगे बढ़ने से रोक रही थी और मेरे साथ भी उसने कोई अच्छा कार्य नहीं किया। जहां मैं रहती थी, वहां उसने मुझे फंसा दिया। वहां से मुझे अपमानित होकर भागना पड़ा। पहले तो वह इंस्पेक्टर्स खन्ना से, सचेत थी किंतु बातें ही बातों में, उसने सारी बातें बता भी दीं।


 तब इंस्पेक्टर खन्ना को लगता है ,कि चांदनी को गायब करने में, नीलिमा का हाथ भी हो सकता है क्योंकि नीलिमा के पास, उसके विरुद्ध कई कारण थे। वह जानता है, कि चंपा ने, धीरेंद्र को अपने वश में कर लिया था वैसे धीरेन्द्र भी कोई ''दूध का धुला ''नहीं था। चम्पा के कारण, नीलिमा का घर टूट गया था और अब वह उसकी बेटियों के पीछे पड़ी थी, उन दिनों वह अपनी बेटी के पास भी थी , हो ना हो यह कार्य, नीलिमा का भी हो सकता है किंतु उसके विरुद्ध कोई सबूत नहीं है। जब यह सब बातें नीलिमा ने इंस्पेक्टर विकास खन्ना को बताईं। 

अच्छा !अभी हम चलते हैं, कहकर इंस्पेक्टर उठ खड़ा हुआ और बाहर आकर सीताराम से पूछा -तुम्हें क्या लगता है ? क्या चांदनी को गायब करने में, इनका हाथ हो सकता है ? 

इनके पास कारण तो कई हैं , हो सकता है, यह बदला लेने के लिए ही यहां आई हों  या बदला लेने के लिए ही अपनी बेटी को विवाह तुषार से किया हो। कुछ भी हो सकता है। 

वही मैं सोच रहा हूं, हम जहां पर से चले थे फिर से वहीं पर पहुंच गए। कोई ठोस सबूत तो मिलना चाहिए।यह पता तो चलना चाहिए ,आखिर चम्पा ,कहाँ गयी है ?स्वयं से भागी है या फिर किसी ने गायब किया है। अपहरण तो नहीं हुआ होगा ,वरना अपहरणकर्ताओं का फोन तो आता।  चलो !एक बार तुषार से भी मिल लेते हैं, कहते हुए तुषार के शोरूम की तरफ, मुड़ गए। 

आईये , सर! कैसे आना हुआ ?तुषार इंस्पेक्टर को देखते ही बोला। वह समझ गया था ,घर में क्या चल रहा है ?इसी सिलसिले में यहाँ आये होंगे। 

तुम तो जानते ही हो, कि तुम्हारी मां कई दिनों से गायब है, उसी की तहकीकात चल रही है। तुम तो घर पर मिलते नहीं हो, इसीलिए सोचा -यहां आकर तुमसे कुछ बातें कर ले।

 जी, पूछिए !आपको मुझसे क्या पूछना है ?

आपको क्या लगता है ? आपकी मां कहां गई होगी ?

मेरी उनसे कभी कोई बात नहीं हुई, न ही, मैंने पूछा और न ही, वह कभी किसी को बताकर गई हैं। मेरी उनसे कोई विशेष बातचीत नहीं होती है। 

क्या ,आपको अपनी माँ पसंद नहीं है ?

 पहली बात तो मैं उन्हें माँ मानता ही नहीं, दूसरी बात यह है, कि वह मेरे पिता की पत्नी है उसे नाते वे  अपना संपत्ति और पिता पर अधिकार जताती हैं। मनुष्य अपने विचारों से अपने व्यवहार से, दूसरे की हृदय में, अपना स्थान बना लेता है किंतु जिस आदमी का व्यवहार ही अच्छा न हो, मां का दर्जा लेना तो दूर मैं उन्हें किसी भी रिश्ते में नहीं रखता हूँ।

 मुझे पता चला ,आप दोनों को , चांदनी भी  पसंद नहीं करती थीं किंतु कोई कारण तो रहा होगा, जिसके कारण वह घर से गायब है। क्या उस दिन घर में कोई झगड़ा वगैरह.......  हुआ था ?

 इंस्पेक्टर साहब ! आप क्या बातें कर रहे हैं? उन दिनों मेरा बेटा हुआ था और हम उसके  कार्यक्रमों  में लगे हुए थे। झगड़े वहां होते है ,जहाँ आदमी एक -दूसरे के सम्पर्क में रहते हैं। उनके संबंध होते हैं ,गिले -शिकवे भी होते हैं, किन्तु उनसे हमारा कोई संबंध ही नहीं था। उनके लिए वो घर नहीं था ,वरन ऐसा होटल था जहाँ रहने -खाने का उल्टे उन्हें पैसा ही मिलता था। पैसे के लिए तो मेरे पिता से विवाह किया वरना और क्या कारण हो सकता है ? 

मैंने सुना है, तुम अपनी साली शिवांगी से ज्यादा करीब थे, इंस्पेक्टर खन्ना ने ऐसे ही, अंधेरे में तीर छोड़ा जिसका असर तुषार पर हुआ। तुषार एकदम खामोश हो गया, फिर अपने को संभालते हुए बोला -ऐसा कुछ भी नहीं है, मेरी एक ही साली है। हम लोगों में, जीजा -साली में हंसी- मजाक चलता ही रहता है। 

क्या यह रिश्ता हंसी- मजाक तक ही था ? इंस्पेक्टर ने पूछा। 

कहीं ऐसा तो नहीं, आपकी पत्नी और उनमें कुछ झगड़ा हुआ हो क्योंकि पहले तो सुना है, चांदनी जी भी शिवांगी को बहुत पसंद करती थीं। 

आप उनकी बात बीच में न लायें तो बेहतर होगा आपका कार्य उन्हें ढूंढना है।  आप उन्हें ढूंढ लीजिए। कोई क्या कहता है, क्या नहीं ?इससे हमारा कोई मतलब नहीं है। यह उनकी अपनी पसंद नापसंद है। 

यही बात तो मुझे समझ नहीं आ रही है , जो लड़की उनके बेटे की बहू बनी हुई है, उसे वह पसंद नहीं करती हैं और उसकी बहन को पसंद करती हैं उनकी बहन से अच्छे रिश्ते हैं। क्या यह आपकी पत्नी के लिए ईर्ष्या  का कारण नहीं बन गया ?

यदि ईर्ष्या का कारण बना भी, तो कल्पना  मुझसे लड़ेगी ,मुझसे सवाल -जबाब करेगी ,इसका जावेरी प्रसाद जी की पत्नी के गायब होने से क्या मतलब ?एक बात बताता हूँ -मेरी पत्नी ऐसी बिल्कुल भी नहीं है, वह हमेशा प्रसन्न रहती है और जो उसके मन में होता है, या किसी भी तरह की कोई गलतफहमी होती है तो तुरंत ही दूर कर देती है। 

यह तो अच्छी बात है, क्या आपको मालूम है ? चांदनी जी ,नीलिमा सक्सैना के घर की नौकरानी चम्पा थी। 

क्या ????आश्चर्य से तुषार ने इंस्पेक्टर की तरफ देखा।

क्या आप नहीं जानते हैं ?

नहीं ,मुझसे कभी कल्पना ने या उसकी मम्मी ने कभी कोई जिक्र नहीं किया। 

हो सकता है ,चांदनी भी इस बात को रहस्य रखना चाहती हो। घर में चांदनी ने भी ,किसी को नहीं बताया होगा। हो सकता है ,इसी बात को छुपाने के लिए ,उन सबमें एक द्व्न्द  चल रहा हो या एक -दूसरे को कोई उसका रहस्य खोलने के लिए डरा रहा हो। 

इंस्पेक्टर साहब ! आप यह सब क्या कह रहे हैं ? क्या उस चांदनी को, मेरी सास या मेरी पत्नी डराएगी। अरे वह डरने वाली चीज नहीं है, बल्कि डराने वाली चीज है। अब आपको जैसा उचित लगे, वैसा कीजिए। मुझे माफ कीजिए !मुझे काम  है।   


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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