Sazishen [part 121]

 इंस्पेक्टर विकास खन्ना को दमयंती, चांदनी के कमरे में ले जाती है। उसका कमरा बड़ा ही साफ -सुथरा ,हर चीज़ करीने से सजी हुई थी। उसका सामान देखकर लग रहा था ,उसे महंगी चीजों का शौक था ,पता नहीं, हरिद्वार में किस परिवार से होगी ? खन्ना उसकी अलमारी जी दराज़ खोलकर देखता है ,वह कुछ तो ढूंढ़ रहा था ,जो उसके इस केस के लिए सहायक हो। उसमें उसका मोबाईल भी था। उस फोन को देखने पर ,पता चला,उसमें बैटरी ही नहीं है ,खन्ना ने पहले उस फोन को चार्ज किया ,तब उसने देखा ,उसमें  सत्ररह तारीख के भी कुछ संदेश थे उसके पश्चात जो भी संदेश थे ,उन्हें किसी ने देखा भी नहीं और बैटरी लो होने के कारण वो बंद हो गया होगा। तब तक कल्पना भी वहां आ चुकी थी। कल्पना को देखकर ,विकास ने पूछा -तुम्हें कब पता चला ?कि उनका फोन यहीं पर है। 


जब पापा जी उन्हें बार -बार फोन लगा रहे थे ,एक दिन जब मैं मम्मी जी के कमरे की तरफ से जा रही थी ,तो इसकी यहीं पर आवाज सुनाई दी। तब मैंने ही, पापा जी को बताया- कि मम्मी जी का फोन तो यहीं पर है।आप देख सकते हैं ,अंतिम कॉल पापा जी का ही होगा। खन्ना को फोन में ऐसा कुछ विशेष नहीं मिला,जिससे किसी बात पर शक किया जा सके।

वैसे उस दिन घर में क्या कुछ विशेष बात हुई थी ?

मतलब !मैं कुछ समझी नहीं। 

किसी से कहा -सुनी ,तुम्हारे ससुर से उनके संबंध कैसे थे ?

ससुर जी से अच्छे ही संबंध थे ,उनके कहने में ही चलते थे,उनके विपरीत जाने की सोच ही नहीं सकते।  

तुम्हारे पति तुषार को भी तो वो पसंद नहीं थी और तुम्हें भी पसंद नहीं करती थी ,जबकि तुम्हारी बहन को ज्यादा पसंद करती थी। 

आप कहना क्या चाहते हैं ? वो तुषार की सौतेली माँ थीं ,उन्हें ही तुषार पसंद नहीं था ,वो नहीं चाहती थीं कि तुषार और मैं यहाँ रहे। विवाह से पहले भी तुषार, किराये के मकान में रहते थे। जब तुषार ही पसंद नहीं तो उसकी पत्नी कैसे पसंद आएगी ? तुषार तो मुझे भी ,किराये के घर में रखने के लिए तैयार थे किन्तु पापा जी चाहते थे -उनके बेटे की बहु अपने घर में आकर रहे। वो नहीं चाहती थीं ,कि हम यहाँ आएं। सम्पूर्ण सम्पत्ति की स्वयं ही मालकिन बनना चाहती थीं। रही बात ,मेरी बहन शिवांगी की, तो आप उसे इस सब में मत धकेलिए !वो मुझे जानबूझकर चिढ़ाने के लिए ,उसके साथ प्यार का नाटक करतीं थीं।इंस्पेक्टर की बात पर कल्पना को क्रोध आया और वो वहां से चली गयी।     

 सीताराम रोकड़े जो अब तक चांदनी की अलमारी टटोल रहा था। उसे भी ,उस अलमारी में महंगे वस्त्रों के अलावा कुछ नहीं मिला। सरजी !इसमें भी कुछ नहीं है। लगता है ,उनके बहुत महंगे शौक थे।

अरे !महंगे शौक थे, तभी तो इतनी कम उम्र में ,जावेरी प्रसाद से विवाह किया होगा,ऐसा पैसेवाला ही उसके शौक पूरा कर सकता था। 

रोकड़े !मिसेज चांदनी के गायब होने के पीछे किसका हाथ हो सकता है ?

इस दोनों पति -पत्नी के पास उसको गायब करने का उद्देश्य तो है ,वो इनकी सम्पत्ति हड़पना चाहती थी ,इन्हें  पसंद भी नहीं करती थी। 

किन्तु इनकी नौकरानी ने बताया ,उन दिनों तो कल्पना के बेटा हुआ था ,कल्पना तभी माँ बनी थी ,ये तो ऐसी हालत में कुछ नहीं कर सकती थी।अच्छा एक बात बताओ ! क्या कल्पना को क्रोध नहीं आता होगा ? इस घर में उसकी बहन को, इससे ज्यादा महत्व मिलता था ।

ईर्ष्या होने का कारण तो हो सकता है ,अब भी देखिये,न......  कितनी जल्दी यहाँ से चली गयी? आजकल सरजी !किसी का कुछ पता नहीं चलता, कांड करके बिस्तर पर आ लेटते हैं। 

क्या हमें आगे की भी फुटेज नहीं देखनी चाहिए ,कभी तो आती -जाती दिखेगी। 

किन्तु सर जी वो तो सोलह तारीख को यहीं थी उसके पश्चात तो घरवालों को भी जानकारी हो गयी कि वो यहाँ नहीं है किन्तु वो कब और कैसे बाहर गयी ? सीसीटीवी फुटेज़ में भी जाते हुए नहीं दिख रही है । जो कुछ भी उसके साथ हुआ है ,यहीं हुआ है।हमें सारे घर की तलाशी लेनी चाहिए। 

आपका मतलब कहीं उसे इसी घर में कैद करके तो नहीं रखा होगा। 

हो भी सकता है ,किन्तु उससे पहले,अब मुझे ''नीलिमा सक्सैना ''से मिलना ही होगा। 

वो तो' वासी' में रहती है। 

वहीं चलते हैं,अभी तुषार से भी हमारी कोई बात नहीं हुई ,उन्होंने 'जावेरी प्रसाद' से नीलिमा सक्सैना के घर का पता माँगा। 

इंस्पेक्टर साहब उन्हें क्यों इस केस में धकेलते हैं ?

धकेलना वाली बात नहीं है उस समय पर वह भी यहीं  रहती थीं।  हो सकता है, जो बात आपकी नजर में नहीं आई वो  उनके नजर में आज आ गई हो या इस केस  पर कोई रोशनी डाल सकें। देखिए जब तक आपकी पत्नी हमें नहीं मिल जाती हैं , तब तक हर कोई हमारे शक के घेरे में है, कहकर इंस्पेक्टर खन्ना, जवेरी प्रसाद के कमरे से बाहर आ गया। 

ठीक है देख लीजिए !

मैंने सुना है, रास्ते में ही आपका शोरूम भी पड़ता है आपके बेटे तुषार से मिलना भी हो जाएगा।

 तुषार को भी आप व्यर्थ में ही घसीट रहे हैं, उसका इन चीजों से कोई लेना-देना नहीं है। 

घर से उसकी मां गायब है, इस बात से क्या उसको कोई फर्क नहीं पड़ता है। 

वह उसकी सौतेली मां है, सगी माँ नहीं थी। 

तब तो शक उस पर और बढ़ जाता है, हो सकता है, सौतेला बेटा ही, अपनी मां को गायब करा दे या उनके साथ कोई दुर्घटना हो जाए ताकि वह इस संपत्ति की भागीदार ही ना रहें। 

जावेरी प्रसाद का अपने बेटे के प्रति, इंस्पेक्टर का ऐसा जवाब सुनकर, उनका दिल चीत्कार उठा , मेरा लड़का बहुत ही सीधा है, ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं ? उसने, चांदनी की खुशी के लिए तो, यह घर छोड़कर किराए पर रहने लगा था। 

फिर आपने उसे वापस क्यों बुला लिया ? जाते-जाते वापस लौट कर इंस्पेक्टर ने जावेरी प्रसाद से पूछा। 

वह इस घर की संतान है, उसका नया-नया विवाह हुआ था, क्या उसकी पत्नी, इतना बड़ा घर होते हुए, किराए के मकान में रहती। 

वैसे आपकी मुलाकात चांदनी जी से कैसे हुई थी ? आपकी उम्र से तो काफी कम उम्र की लगतीं हैं।

आप सही कह रहें हैं ,नजरें नीची करके जावेरी प्रसाद जी बोले -मैं हरिद्वार का ही रहने वाला हूँ ,मैं अक्सर अपने पुश्तैनी घर में आता -जाता रहता था। वहीं पर एक दलाल के माध्यम से मुझे पता चला, कि कोई लड़की पढ़ी- लिखी और संस्कारी है किन्तु उसका पिता ग़रीबी के कारण अपनी बेटी का विवाह ऐसे व्यक्ति से करना चाहता है ,जो दहेज़ लेने की बजाय उसे दहेज़ दे। 

आख़िर चांदनी कहाँ गयी ?गयी है या घर में ही कहीं है ,इंस्पेक्टर का शक सब पर है ,आपको क्या लगता है ?चांदनी कहाँ होगी ?समीक्षा द्वारा बतलाइये  

    

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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