इंस्पेक्टर विकास खन्ना, को जब से पता चलता है, कि इस परिवार से'' नीलिमा सक्सेना'' का संबंध है।और नीलिमा सक्सेना की बेटी इस घर की बहू है , तब से उसे लग रहा था हो न हो , अवश्य ही, इस घटना में, इस परिवार से कोई न कोई तो जुडा ही हुआ होगा। जावेरी प्रसाद, जी की पत्नी का, नीलिमा की बेटी से सास -बहू का ही रिश्ता तो है किंतु जहां तक मैं समझता हूं। यदि उसने, नीलिमा की बेटी को सताने का प्रयास भी किया तो वह उसे छोड़ेगी नहीं किंतु यही कारण तो उसे गायब करने का नहीं बन जाता है। कहीं उसने अपने पति की तरह ही,उसे भी मार तो नहीं दिया होगा। यदि उसने ऐसा किया होगा तो अबकी बार नहीं बचेगी किंतु कुछ भी तो हाथ नहीं लग रहा।
कैसा संयोग है ?जब हरिद्वार में था ,तब भी मुझे निलिमा का केस मिला था और आज भी वो यहाँ है। लेकिन उनकी पड़ोसन से जानकारी मिली थी, वे पहले से ही एक दूसरे को जानती थीं , हो सकता है, इसीलिए अपने बेटे से, उनकी बेटी का विवाह किया हो। यदि यह विवाह सभी की सहमति से हुआ है, तो सास -बहू का झगड़ा नहीं होना चाहिए था।जावेरी प्रसाद जी की ये पत्नी मुझे कुछ जानी -पहचानी से लग रही है किन्तु इसे कहाँ देखा ?कुछ याद नहीं आ रहा।
कहीं न कहीं कुछ तो सुराग़ मिलेगा किंतु उसके लिए मुझे फिर से वहीं, जावेरी प्रसाद जी की कोठी पर जाना होगा। उनके यहां तो गार्ड भी रहता है ,चांदनी को बाहर जाते हुए ,उसने भी तो देखा होगा।पहले उससे मेरी कोई बात नहीं हुई , वहीं जाकर तहकीकात करनी होगी और एक-एक कड़ी को जोड़ना होगा यही सोचते हुए, इंस्पेक्टर विकास खन्ना अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और सीताराम से बोला -चलो !एक बार जावेरी प्रसाद की कोठी का चक्कर लगाकर आते हैं।
सर जी ,क्या कोई सबूत मिल गया ?
अभी तो कुछ भी नहीं मिला है, किंतु खोजना तो होगा ही, आसपास घूम कर आते हैं, उसने इस तरह से कहा जैसे किसी केस की छानबीन करने नहीं वरन टहलने जा रहा है। जावेरी प्रसाद की हवेली पर पहुंचकर, उसने गार्ड से पूछा -तुम्हारी मालकिन कब से गायब है ?
यही लगभग कोई पंद्रह -बीस दिन हो गए होंगे।
जब वह यहां से गई थी, क्या तुम गेट पर नहीं थे ?
ध्यान करते हुए बोला - जी ,मैं अपनी जगह पर ही था।मैने उन्हें बाहर जाते हुए नहीं देखा।
हो सकता है ,तुम कुछ पल के लिए गए हों ,चाय -पानी के लिए ,तब निकली हों।
तुमने उन्हें घर से निकलते कब देखा ?उस दिन घर से, कितने बजे निकली थीं ?
मैंने तो उन्हें जाते हुए देखा ही नहीं ,साहब ! न ही, एक दिन पहले न ही बाद में।
क्या तुम अपनी ड्यूटी पर नहीं थे, इंस्पेक्टर विकास खन्ना कड़े लहज़े में बोला -क्या तुम अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं निभाते हो ?
नहीं, साहब ! मैं तो यही, रहता हूं।
क्या उन दिनों में कोई बाहर से आया था ?
जी, बहुत से लोग आए थे, क्योंकि' तुषार बाबा' के बेटा जो हुआ है , बधाई देने के लिए लोग आते ही रहते थे।
क्या यहां पर' सीसीटीवी' कैमरा लगा हुआ है ?
जी हां,
तब हमें, उन दो दिनों की, सीसीटीवी कैमरे की क्लिप दिखाओ !
वे लोग अंदर जाते हैं, और कैमरे पर, आते- जाते लोगों को देख रहे हैं किंतु मिसेज चांदनी, न ही, बाहर गई है और न ही अंदर आई है। उस दिन तो वह बाहर ही नहीं गई है। तब वह अगले दिन की क्लिप देखते हैं अगले दिन वह 12:00 बजे घर से बाहर निकलती है और 4:00 बजे के लगभग अंदर आती है , उसके साथ ही एक लड़की भी थी।
यह कौन है ?
साहब !यह तो, कल्पना दीदी की बहन शिवांगी है। इनकी हमारी मालकिन से बहुत पटती है।
अपनी बहू को प्यार नहीं करती बल्कि उसकी बहन से प्यार जतलाती है , बड़ी ही अजीब बात है। एक बार अंदर जाकर बात करनी ही होगी, यह सोचते हुए इंस्पेक्टर विकास खन्ना घर के अंदर आता है।
आईये ! इंस्पेक्टर साहब ! क्या मेरी पत्नी के विषय में कुछ पता चला।
छानबीन चल रही है, हमें आपकी नौकरानी दमयंती से कुछ बात करनी है।
हम उसे यहीं बुला देते हैं, आपको उससे जो भी कुछ पूछना है, पूछ लीजिए। तब उन्होंने कल्पना की तरफ इशारा किया कि वह दमयंती को यहां भेज दे ! इंस्पेक्टर खन्ना सोच रहा था -उनके सामने वह विस्तार से कुछ नहीं बता पाएगी, कुछ ऐसा ही पूछना होगा जो इस केस पर रोशनी डालें।
दमयंती जब कमरे के अंदर आती है, तब विकास खन्ना उससे पूछता है -तुमने आखरी बार, अपनी मालकिन को कब देखा था ?
साहब मैंने आपको बताया तो था, मैं सुबह -शाम काम करने आती हूं। उस दिन मैंने उन्हें सुबह तो देखा था किंतु शाम को नहीं देखा फिर मैंने सोचा -बीवी जी तो पार्टी -वगैरह में जाती रहती हैं , कहीं गई होगीं इसलिए ध्यान भी नहीं दिया।
उस दिन घर पर क्या कोई नया व्यक्ति आया था ?
दमयंती सोचते हुए बोली- नया तो कोई नहीं आया था।
किंतु 'सीसी टीवी' कैमरे की क्लिप में तो पता चल रहा है कि वह 16 तारीख की शाम को शिवांगी के साथ, घर के अंदर आती है। उसके बाद, तुमने उसे उन्हें देखा ही नहीं। उन दिनों, क्या तुम्हारी, भाभी की बहन आई हुई थी ?
हां, वह तो आई हुई थीं , वही नहीं उनकी मम्मी भी....... वह लोग तो यहाँ कई दिनों से आए हुए थे, क्योंकि कल्पना भाभी की जंचकी उन्होंने ही की थी इसीलिए उन्होंने अपने मायके वालों को बुला लिया था। जब उनके बेटा हुआ था, तभी वह दोनों आ गई थीं।
यह बात तुमने हमें ,पहले क्यों नहीं बताई ?
साहब! यह आपने पूछा ही कब था ? आपने तो यह पूछा था कि उन दिनों में कोई बाहर से आया था या नहीं। वे तो घर के लोग हैं, भाभी जी के मायके वाले ! और वह तो कई दिनों से आए हुए थे इसीलिए नहीं बताया।
अच्छा ! तुम जा सकती हो, तब वह जा,वेरी प्रसाद जी से बोला -क्या मैं एक बार उनके कमरे को देख सकता हूं।
जी , देख लीजिए वह अपने कमरे में नहीं है, होती तो अब तक यहां आ गई होती और आपसे बातचीत कर रही होती।
जावेरी प्रसाद जी की बात सुनकर, इंस्पेक्टर विकास खन्ना को लगा इनकी बात पर मुझे मुस्कुराना चाहिए या क्रोधित होना चाहिए ,बुढ़ऊ बौरा गया है।