Lo chali main

अरमानों की नैया पर, सवार होके ,

लो!चली मैं,उम्मीदों की पतवार लेके। 

इक तरफ मैका मेरा....... 

इक तरफ, बहारों की शाम लेके। 



आई ,आशाओं ,उमंगों की बहार लेके। 

 तू ,कभी न आया ,प्रेम की सौगात लेके। 

राह तेरी ,तकती रही,विश्वास की तार लेके।    

चलती रही, रेत पर ,उम्मीदों के चिराग़ लेके। 


नववर्ष -

परिंदों से पंख पसार,दिवस चले गए। 

 सपनों सी गईं,रातें....... 

 कुछ अरमान, उम्मीदें पूरी हुईं ,

 कहने को बहुत कुछ था,रह गईं कुछ बातें !


  कुछ चले गए ,कुछ छोड़ गए।

  समय के पन्नों पर होगीं, नई मुलाकातें !

  जो आया है,वो जाएगा ,

 जीवन का अमूर्त सत्य बताकर चले गए।

 

   वक़्त रहते , दे दो, बधाई ! 

  मसरूफियत बढ़  जाएगी।

  कुछ शिकायतें रह जाएंगीं। 

  कुछ यादें और बढ़ जाएगी। 


''चिड़ियों की चहचाहट संग आएगी। 

 धानी चुनर ओढ़ प्रकृति मुस्कायेगी। 

 पीली सरसों पर, चल कर आएगी। 

चैत्र मास में नव वर्ष की नवीन सुबह आएगी। ''

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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