छोटी सी जिंदगानी पर....... ,
भार, उत्तरदायित्वों का रहा।
मानव जीवन संघर्षशील रहा।
सम्भलता, गिरता ,उठता।
मंजिल की ओर अग्रसर रहा।
हौसलों को, टूटने ना दिया।
दृढ़ निश्चय, पर अडिग रहा।
चींटी सी जान, मानव में,
पत्थर सा, संघर्षों का भार रहा।
जीवन के हर पड़ाव पर,
प्रयासरत, आगे बढ़ता रहा।
उम्मीदों की उड़ान भरता रहा।
सफलता एक दिन तेरी होगी।
सोच यही, निरंतर आगे बढ़ता रहा।
धकेल सभी बाधाओं को,
मार्ग अपना प्रशस्त करता रहा।