Shaitani mann [ part 31]

'' फॉर्म हाउस'' से वापस लौटते समय, नंदू लाल और कपिल ढाबे पर खाना खाते हैं। बातों ही बातों में , नंदुलाल अपने घर- परिवार की बातें करने लगता है। कपिल देखता है ,अपने परिवार की बातें करते हुए उसके चेहरे पर कितनी ख़ुशी झलक  रही थी ? तब नंदलाल, कपिल से पूछता है -सर जी ! आप अपनी पत्नी को कब ला रहे हैं ? उसकी बात सुनकर कपिल ढाबे से उठकर चल देता है, क्योंकि वह नंदूलाल के इस प्रश्न से बचना चाह रहा था।

 मैं जानता हूँ, स्वरा बहुत जिद्दी है , एक बार जो बात को ठान लेती है, तब कितना भी समझाने पर समझती नहीं है। चाहता तो वह भी यही है, कि स्वरा उसके पास आ जाए किंतु स्वरा को लगता है, कपिल के साथ रहकर, वह अपनी पहचान खो  रही है। उस समय तो उसने यही बताया था कि वह सिर्फ एक' इंस्पेक्टर की बीवी' बनना चाहती है। उसने यह नहीं कहा था कि उसके अपने भी कुछ सपने हैं, जिनको लेकर वह आगे बढ़ना चाहती है क्योंकि उसने कभी समझने का मौका ही नहीं दिया। 


नंदू लाल चुपचाप जाकर, मोटरसाइकिल पर आकर बैठ गया, कपिल को शांत देखकर मन ही मन सोचने लगा, मैंने इनकी पत्नी का जिक्र करके शायद, साहब का मन दुखा दिया। पीछे बैठे हुए ही बोला -क्या वे  आना नहीं चाहतीं  ? मुझे क्षमा कीजिए ! मैंने इस बात का जिक्र किया, मेरे कारण आपको दुख पहुंचा। 

नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, इसमें दुख की क्या बात है ? सच्चाई को स्वीकार करने में क्या बुराई है ? कहते हुए आगे बढ़ता रहा। मन ही मन सोच रहा था, मैंने स्वरा के लिए, कितने इम्तिहान दिए ? मेहनत की, वह मेरी हो जाए। किंतु उसकी बातों से लगता था कि वह जो भी एक बार ठान लेती थी, उसी ढर्रे पर लगातार ,बार-बार चलती रहती थी क्योंकि उसे लगता है ,वह जो भी कर और सोच रही है ,पूर्णतः सत्य है।  मैंने जब भी, उससे बात करने का प्रयास किया वो टाल जाती। एक दिन कपिल उससे पूछ ही बैठा ,तुम्हें मैं पसंद तो हूँ न..... 

तुम्हें एक बार बता तो दिया ,मैं किसी पुलिसवाले से ही विवाह करूंगी। 

यदि मैं ही पुलिसवाला बन गया तो..... 

तो क्या ?सोचूंगी कहते हुए हंसकर चली गयी। 

बहुत दिनों तक इसी कश्मकश में रहा ,वो आखिर चाहती क्या है ?

यार !तू नाहक ही परेशान हो रहा है ,तुझ पर कितनी लड़कियां मरती हैं, तब ये क्या उनसे पीछे रहेगी ?

हो सकता है ,यह किसी और को ही पसंद करती हो। मैं किसी भी गलतफ़हमी में नहीं रहना चाहता। 

इसमें गलतफ़हमी कैसी ? तू अपनी तैयारी कर,क्या पता इसके इश्क़ में तू एक क़ामयाब आशिक़ ही बन जाये ?कहते हुए ,अनमोल हंसने लगा। 

जो भी होगा ,कुछ अच्छा ही होगा। दो माह इसी गलतफ़हमी में गुज़र गए। एक दिन अचानक आकर बोली -तुम्हारे पास आकर बैठना ,तुमसे बातें करना ,मुस्कुराकर बातें करना ,ये सब मेरी दोस्तों से मेरी शर्त लगी थी,उनका कहना था-' कि इस लड़के को, किसी लड़की से प्यार नहीं हुआ ,न ही किसी की तरफ देखता है।तुम अपने प्यार में पागल बनकर दिखाओ ,तो जानें।  

सही तो कह रहीं हैं ,मेरा दिल कोई मोतीचूर का लड्डू नहीं ,जो प्रसाद में थोड़ा -थोड़ा सबको बाँट दूँ।'या किसी दोस्त को दिखाने के लिए किसी से 'प्रेम का नाटक'करूं।   किसी एक के लिए सहेज कर रखा है ,जिसने मेरे दिल में हलचल मचाई, वो तुम हो। तुम क्या सोचती हो ?

सोचकर जबाब देती हूँ ,अभी मैंने तुम्हें उस दृष्टि से नहीं देखा।

यानि कि तुम अपनी सहेलियों को दिखला देना चाहती थीं कि तुम मेरे जैसे लड़के को अपने प्यार के जाल में फंसा सकती हो। क्या तुमने कभी ये सोचा ?जब उसे तुम्हारी सच्चाई का पता चलेगा तो उस पर क्या बीतेगी ?जो सिर्फ एक लड़की ,जो उसी के लिए बनी हो ,उसकी प्रतीक्षा में है और जब वो मिली तो एक धोखा उसे नजर नहीं आया। 

नहीं ,मैंने तुम्हें कोई धोखा नहीं दिया ,किन्तु मैंने यह भी नहीं सोचा था कि तुम हमारे रिश्ते को लेकर इतने गंभीर हो जाओगे। कपिल चुपचाप उठा और वहां से चला गया। आज स्वरा को लग रहा था ,ये मज़ाक करके उसने कितनी बड़ी गलती कर दी है ?उसके कारण, आज किसी का दिल दुखा है। 

घर आकर कपिल अपने कमरे में चला गया ,उसने अपने को कमरे में बंद कर लिया। मेज पर सामने रखीं,प्रतियोगिता परीक्षा की किताबें जैसे उसका मुँह चिढ़ा रहीं थीं। न जाने स्वरा में, उसने ऐसा क्या देखा ?जो उसको समझ न सका। अब मुझे क्या करना चाहिए ?उसने मना भी नहीं किया तो हाँ भी नहीं की। दोस्तों के अनुसार ही ,सोचता हूँ ,अपनी तैयारी करता हूँ ,हो सकता है ,दिल टूटना ,दिल टूटना भी नहीं कह सकता किन्तु अब मैं उसके करीब कभी नहीं जाऊंगा। ये मेरा जीवन है ,इस तरह किसी के खेलने की वस्तु नहीं किन्तु मन में न जाने ये कैसी कड़वाहट सी भर गयी है ?जब कुछ था ही नहीं, तो मुझे दर्द क्यों हो रहा है ?दुःख का एहसास क्यों है ?उसने मुझे समझा ही नहीं ,दर्द गहराई में जा धंसा जिसको कपिल रोक न सका और आँखों में गुब्बार सा उठा और आँखों में न रहकर बाहर चला आया। कौन कहता है ?''मर्द को दर्द नहीं होता ''दर्द उसे भी होता है ,दिल उसका भी दुखता है। 

कहाँ खो गए ?सर जी !नन्दूलाल ने पूछा। 

कपिल अपनी भावनाओं को समेट बोला -इसी केस के सिलसिले में सोच रहा हूँ ,आख़िर वो कौन हो सकता है ? जिसने इस लड़की को मारा है ,इस लड़की से उसका क्या संबंध हो सकता  है ?वो लड़की जिन्दा भी है या नहीं ,यदि वो जिन्दा नहीं है ,तो उसकी बॉडी कहाँ गयी ?

अब तो ''फोरेंसिक रिपोर्ट'' ही इस पर कुछ दृष्टि डाल सकती है ,उसके पश्चात ही ,हम आगे बढ़ सकते हैं।

थाने में प्रवेश करते ही,कपिल ने जाधव से पूछा -और जाधव !कुछ रिपोर्ट आई। 

जी सरजी ! रिपोर्ट आपकी मेज पर ही रखी है। 

कपिल मेज के पास जाकर रिपोर्ट देखता है ,और कहता है -इसके आधार पर लड़की ,बीस से पच्चीस वर्ष की होनी चाहिए। इसका हाथ किसी जानवर द्वारा नहीं काटा गया है ,वरन किसी तेज़ धार हथियार से काटा गया है ,हाथ की हालत देखते हुए ,अनुमान लगाया जा सकता है ,'ये हादसा एक सप्ताह पहले हुआ होगा।'         

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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