कपिल को तो जैसे उम्मीद ही नहीं थी, वह स्वरा के इस व्यवहार से अचम्भित रह गया, उसकी सोच के विपरीत स्वरा का व्यवहार निकाला और स्वरा ने स्वयं ही, रैगिंग के समय उस समस्या को सुलझा लिया। वह तो उसकी सहायता के लिए आगे आया था किंतु स्वरा ने उन सभी को आड़े हाथों लिया। तब स्वरा कपिल से कहती है- कि मुझे किसी की सहायता की आवश्यकता नहीं है। मैं किसी से नहीं डरती हूं, क्योंकि मैं स्वयं जूडो- कराटे में ब्लैक बेल्ट हूं ,अपनी रक्षा स्वयं कर सकती हूं। कह कर वह आगे बढ़ गई ? किंतु कपिल उससे बात करना चाहता था, इसलिए बात को आगे बढ़ाने के लिए कपिल ने उससे पूछा -क्या तुम किसी से भी नहीं डरती ?
नहीं, मैं क्यों किसी से डरने लगी ?क्या मैंने कोई चोरी की है या गलत काम किया है ,जो मैं डरूंगी।
बहुत अच्छी बात है, तुम्हारे जैसी बहादुर लड़कियां होनी चाहिए , जो बेचारी न बनी रहें ,अपनी प्रशंसा सुनकर वह थोड़ा मुस्कुराई , वैसे तुम जीवन में क्या बनना चाहती हो ?
क्यों ?यह सवाल तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो ? यह कहकर वह बहुत जोर-जोर से हंसी और बोली -तुम समझ नहीं पाओगे, और तुम भी हंसने लगोगे।
क्यों? तुम ऐसा क्या कहना चाहती हो ?
क्या सब कुछ अभी जान लोगे ? उसकी तरफ देख कर बोली -अपनी क्लास में नहीं जाना है, कहते हुए वह आगे बढ़ गई, कपिल उसे देखता रहा और सोच रहा था। अभी इसके विषय में बहुत कुछ जानना बाकी है।सौरभ जो इसी तलाश में था कि कब कपिल अकेला हो और मैं उससे पूछूं , उनके बीच क्या बातचीत हुई ? स्वरा के जाते ही उसने दौड़कर, कपिल को पकड़ लिया और बोला- मान गए गुरु? क्या चाल चली है
वास्तव में मैंने कोई चाल नहीं चली थी, वह तो आज उससे मिलना ही था, इसलिए यह सब, अचानक ही हो गया। कपिल को तो यह सब चमत्कार सा ही लग रहा था। तब वह सौरभ से बोला -उसका नाम ''स्वरा'' है, नाम पता चल गया।
कॉफी कब पीने वाला है ?
समय आने दे ,काफी भी पियेंगे, वह भी साथ में,
तू यह सब क्यों कर रहा है ? क्या उसे पसंद करता है ?
पसंद तो करता हूं, सोचते हुए कपिल बोला-किंतु तूने तो ,मेरी सहायता करने से इंकार ही कर दिया था।
मैं पहले से ही उसका नाम जानता था, मैंने तो जानबूझकर तुझको चुनौती दी थी ताकि तू उसके विषय में जानने की इच्छा करें और वह तुझसे मिले, इस सबका श्रेय, मुझे जाता है। कपिल ने व्यंग्य से मुस्कराकर उसकी तरफ देखा , जैसे कह रहा हो - हां हां जानता हूं, कि तू कितनी सहायता कर सकता है ?
लंच के समय में सभी दोस्त ! कैंटीन में बैठे हुए थे। तभी कपिल ने 'स्वरा' को अपनी सहेलियों के संग आते हुए देखा। तभी कपिल अपने दोस्तों के पास से उठा, और कैंटीन के, एक अलग कोने में जाकर बैठ गया जैसे वह अकेला हो ! कहने को उसका ,इस कॉलेज में कोई अपना ना हो।उसके सभी दोस्त सोच रहे थे ,अचानक इसे क्या हुआ ?यह वहां जाकर क्यों बैठ गया ?जब उन्होंने स्वरा को वहां देखा तो समझ गए और मुस्कुराने लगे।
अनमोल बोला -मुझे लगता है ,अपने हीरो को प्यार हो गया है ,वरना आज तक तो इसने ऐसी हरकतें कभी नहीं की थीं।
जब ' स्वरा ' कैंटीन के अंदर आई और जगह तलाशने लगी और एक जगह देखकर अपनी सहेलियों से बोली -आओ !वहां बैठते हैं , उसने जो स्थान चुना था ,वह वहां पर बैठ गई।सुकून से बैठकर, उसने इधर-उधर नजर दौड़ाई , तब उसने देखा -कपिल अकेला बैठा हुआ है। उसने अपनी सहेली से पूछा -क्या इसका कोई दोस्त नहीं है ?
यहां कॉलेज में इसके सभी दोस्त ही दोस्त हैं।
तब यह अकेला क्यों बैठा है ?
हमें क्या मालूम ?
तुझे यह जानने की इच्छा हो रही है , तो उससे जाकर पूछ ले ! हमें तो वह पूछता ही नहीं, इसी कारण इसके दोस्त इसे' ब्रह्मचारी 'कहते हैं। बड़ा शांत सा है और अपने में ही खोया रहता है। लड़कियों में इसकी कोई दिलचस्पी नहीं है।
क्या कह रही है ?क्यों, क्या इसे कोई परेशानी है ?उसकी बात का आशय समझकर तीनों हंसने लगीं। आज सुबह ही तो इसने मुझे रैंगिंग करते हुए लड़कों से बचाया।
हां, यह गुण तो इसमें है, यह किसी भी की भी सहायता के लिए आगे आ जाता है किंतु लड़कियों के मामले में बिल्कुल निल है।
तुम यहीं रुको ! मैं तुम्हें इसे पटाकर दिखाती हूं, कहते हुए, स्वरा अपनी कुर्सी से उठ खड़ी हुई और कपिल की तरफ बढ़ चली। उधर कपिल के दोस्त भी उसे देख रहे थे और स्वरा की सहेलियां भी, जानना चाहती थी- कि वह स्वरा को अपने पास बिठाएगा या नहीं।
हेेलो, हीरो ! यही तो कपिल चाहता था। अकेले कैसे बैठे हो ? कपिल ने उसकी तरफ देखा और नजरें झुका लीं। क्या बात है ? कहते हुए वह उसके सामने ही कुर्सी पर बैठ गई।
थोड़ा मन अजीब सा हो रहा है, किसी से बात करने का मन नहीं कर रहा।
क्यों, क्या कुछ हुआ है ?
कभी-कभी हमें लगता है, हम पढ़ाई कर रहे हैं , हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है ? माता-पिता के बहुत से सपने हैं जो हमसे जुड़े हुए हैं। क्या करना चाहिए ?
कुछ ज्यादा ही गंभीर नजर आ रहे हो ,आपके अन्य दोस्त कहां है ? यह बात तो है, मैंने सुना है आपका तो आखरी साल है आगे पढ़ाई जारी रखनी है या नौकरी करने का सोचा है। यह बात सुनकर कपिल को अच्छा लगा, कि वह उसके विषय में जानकारी ले रही है, या जानकारी रखती है।
हां, यह बात तो है, गहरी सांस लेते हुए कपिल बोला -अब तो नौकरी करने का ही सोच रहा हूं किंतु यही सोच रहा हूं कि मुझे करना क्या चाहिए ? अच्छा तुम बताओ ! तुमने कुछ सोचा है, तुम जो यह पढ़ाई कर रही हो ,पढ़ाई करके तुम आगे क्या बनना चाहती हो ?
घूम फिर कर आप वहीं आ गए, मुझसे पूछना चाहते हैं कि मुझे क्या बनना है या भविष्य में मैंने अपने लिए क्या सोचा है? मेरी बात तो पूछो ही मत !
क्यों? तुमने ऐसा क्या सोचा होगा?
पढ़ाई में तो मैं अच्छी हूं किंतु फिर भी मैं एक' इंस्पेक्टर की बीवी' बनना चाहती हूं। अपने विषय में बाद में सोचूंगी।
स्वरा की यह, इच्छा सुनकर, कपिल आश्चर्य चकित होकर उसकी ओर देखने लगा।
देखा ! जब भी मैं किसी से अपनी इच्छा जाहिर करती हूं, उसकी यही प्रतिक्रिया होती है। अरे! क्या मैं किसी ''इंस्पेक्टर की बीवी'' नहीं बन सकती ?
इसीलिए तो अचंभित होते होंगे, इंसान पढता है और अपने लिए सोचता है कि मुझे भविष्य में क्या बनना है ? या जीवन में आगे बढ़कर क्या करना है, इस पढ़ाई का कैसे लाभ उठाना है ? तुम्हारी तो इच्छा ही अजीब है कि मुझे किसी पुलिस वाले की पत्नी बनना है।
तो क्या हुआ ?
तुमने ऐसा क्यों सोचा ? इस सोच के पीछे कोई तो कारण होगा।
आईये ! इसका कारण जानने के लिए आगे बढ़ते हैं, यह कहानी आपको कैसी लग रही है ? अपनी समीक्षा द्वारा अवगत करते रहिये।