Shaitani mann [part 26]

कपिल जब से कॉलेज में आया है, उसके आकर्षक व्यक्तित्व और उसके व्यवहार से सभी प्रभावित हैं, यहां तक की लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां भी उसे पसंद करती हैं ,किंतु वह किसी भी लड़की की ओर देखता  भी नहीं है। इस कारण उसके सभी मित्र उसे कभी ' हीरो' और कभी 'ब्रह्मचारी' के उपनाम से पुकारते हैं।

जब कॉलेज का अंतिम वर्ष  था, तब कॉलेज में एक नए चेहरे ने प्रवेश किया था ,जिसका नाम कोई नहीं जानता था किंतु उसका नाम जानने के लिए कपिल उत्सुक हो उठा और उसने अपने दोस्त से पूछा -क्या मुझे उस लड़की का' नाम' पता कर सकते हो? किंतु उसके दोस्त सौरभ ने, उसकी सहायता करने से इनकार कर दिया और साथ ही, यह शर्त भी रख दी यदि तुझमें साहस है , उस लड़की का 'नाम' तू स्वयं पता करके आएगा। 


सौरभ की  यह चुनौती कपिल स्वीकार कर लेता है और वह कहता है- कि मैं उसका नाम भी पता करूंगा और उसके साथ कॉफी भी पीयुंगा। उसकी इस बात पर उसके दोस्तों को भरोसा नहीं होता, तब सौरभ अपने अन्य दोस्तों को लेकर उसका पीछा करता है। तब वह देखता है कि एक लड़कों के झुंड में, कपिल और वह लड़की दोनों ही साथ खड़े हैं आखिर उनके साथ क्या हुआ है ? यह जानने के लिए वह भीड़ के अंदर प्रवेश करता है -

यह देखकर वह हैरत से भर जाता है, यह दोनों यहां साथ क्यों खड़े हैं ? तब वह किसी लड़के से इस बात के विषय में जानना चाहता है किंतु वहां तो पहले से ही गर्मागर्मी हो रही थी , तो उसकी बात का कोई जवाब नहीं देता। 

कपिल कहता है -तुम यदि इसके सीनियर हो ,तो मैं भी तुम्हारा सीनियर हूं, मेरी आज्ञा है, तुम इसके साथ, कोई भी गलत व्यवहार नहीं करोगे। यह नई लड़की है, तो क्या हुआ? रैगिंग के नाम पर, तुम कुछ भी नहीं करवा लोगे। 

हमारे बीच में आने वाले, तुम कौन होते हो ?

अभी तो तुम्हें बताया -मैं तुम्हारा सीनियर हूं, इससे इसका परिचय लो और इसे चुपचाप जाने दो !

हमारी मर्जी ! जैसी हमारी इच्छा होगी हम वैसा ही से करवाएंगे। तुम इसकी तरफदारी करनेवाले कौन होते हो ?तुम इसके क्या लगते हो ? जो इसकी इतनी तरफदारी कर रहे हो ?क्या तुमने हमारी रैंगिग  नहीं की थी। 

यह सब देखकर सौरभ को लगता है ,शायद यह उस लड़की का नाम जानने के लिए ,जानबूझकर उन लड़कों से ये सब करवा रहा है। कपिल उनसे कह रहा था -नहीं, मैंने किसी की रैगिंग नहीं की। 

 तो तुम्हारे दोस्तों ने की होगी वह लड़का कहता है। 

 जब अपनी बारी आती है, तो सब इसी तरह रोने लगते हैं , और जब एक साल भी सीनियर नहीं हुए, रैंगिग करने के लिए खड़े हो जाते हैं ,फिर उसका समर्थन करने लगते हैं। 

तब सौरभ ने वहां हो रही बातों को समझा, और चुपचाप उस भीड़ में से निकल आया। 

वह लड़की चुपचाप खड़ी कपिल को देख रही थी, कपिल के व्यवहार से प्रभावित थी किंतु उसे लग रहा था कि यह सब इसी का रचाया हुआ खेल है तब वह कपिल से बोली -तुम मेरी तरफदारी करने वाले कौन होते हो ? मैंने तो तुमसे  नहीं कहा - कि तुम मेरी सहायता करने के लिए आगे आओ ! मैंने इन्हें अपने आप हैंडल कर सकती हूं। मेरी कितने दिनों से इच्छा थी ? मैं कॉलिज जाऊँ और फिर मेरी रैंगिंग हो। खैर जो भी है , मैं आप लोगों को बता देती हूं मेरा नाम' 'स्वरा''  है, तुम लोग मेरे सीनियर हो, तुम्हारा अधिकार बनता है , मेरी रैंगिंग करो ! खुश होते हुए वो बोली - देखो ! मेरा व्यक्तित्व  तुम्हें नजर आ ही रहा है, मैं कैसी लड़की हूं ? मैं किसी से नहीं डरती , मुझे गाना आता है , मैं यह भी नहीं कहती, कि मैं बहुत सुरीली हूं किंतु मेरी आवाज में गाना सुनकर तुम लोग यहाँ  टिक नहीं पाओगे। मुझे डांस का भी शौक है, अच्छा डांस कर लेती हूं किन्तु जब डीजे पर तेज स्वर में, गाना बज रहा हो। मुझे पढ़ाई का भी शौक है , और मैं लाइब्रेरी में जाकर अपनी पसंद की किताबें पढ़ती हूं ,तब वह कपिल की तरफ देखकर बोली -और मुझे अपना बचाव करना भी आता है क्योंकि मैं जूडो -कराटे में ब्लैक बेल्ट हूं। अपनी बात समाप्त करके स्वरा ने उनसे पूछा -और कुछ पूछना है या मैं चलूँ। 

 सभी लड़के सोच रहे थे ,वो डरेगी ,शर्माएगी ,किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ ,वे हतप्रभ हो उसकी तरफ  देख रहे थे। स्वरा के पूछने पर सभी ने एक साथ 'न' में  गर्दन हिला दी। 

 कपिल खड़ा-खड़ा उसे देख रहा था और मुस्कुरा भी रहा था उसका काम हो चुका था। तभी वह कपिल से बोली- ए हीरो ! आओ चलें ! अब तो तुम्हें पता ही चल गया होगा। मैं कोई नर्म, नाजुक, बेचारी लड़की नहीं, तुम्हें मेरे सामने हीरो बनने की कोई जरूरत नहीं थी किंतु धन्यवाद ! तुमने मेरी सहायता करने का सोचा, कहते हुए आगे बढ़ गई।

 अब कपिल के पास कहने को कुछ भी नहीं था, किंतु वह उससे बात करना चाहता था। तभी वह आगे बढ़ा और बोला -तुम मेरे विषय में कितना जानती हो ?

उसने पीछे मुड़कर देखा और बोली क्यों, तुम्हारे विषय में क्यों जानना है ?

तुमने मुझे अभी 'हीरो' कहा ना.... यहाँ सभी लोग मुझे हीरो कहते हैं मैंने सोचा तुम मेरे विषय में बहुत कुछ जानती हो, वह जानबूझकर बातों को बढ़ाना चाहता था।

मैं तुम्हारे विषय में, कुछ भी नहीं जानती और न ही जानना चाहती हूँ।  देखने में अच्छे- खासे हीरो की तरह ही लग रहे हो इसलिए तुम्हें 'हीरो 'कहा। तुम्हारे विषय में ऐसा जानने वाली क्या विशेष बात है ? इठलाते हुए वह आगे बढ़ती रही। 

सभी मुझे जानना चाहते हैं ,पसंद करते हैं , मेरे साथ बैठकर बातचीत करना चाहते हैं, सभी के लिए मैं हीरो हूं

ओह ! इसीलिए तुम मुझे 'हीरोगिरी' दिखा रहे थे किन्तु मुझे तुम्हारे विषय में जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है। 

 नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है ,ऐसे समय में यदि तुम नहीं होतीं  तो कोई और भी लड़की होती, मैं तब उसकी भी सहायता के लिए खड़ा हो जाता। 

किन्तु अब तो तुमने देख ही लिया होगा ,मुझे किसी की भी सहायता की कोई आवश्यकता नहीं ,तो क्या तुमने हीरोगिरी का ठेका उठा रखा है, कहकर वह हंसने लगी। 

हमारे हीरो कपिल ने, उस लड़की का नाम तो जान लिया किंतु क्या वह उससे दोस्ती करेगी। आगे बातचीत का सिलसिला आरंभ होगा, उन दोनों में प्रेम होगा , या यह जान -पहचान सिर्फ साधारण सी है , आईये ! जानने के लिए आगे बढ़ते हैं !

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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