इंस्पेक्टर कपिल ,अपने थाने में बैठा सोच रहा था,आखिर यह हाथ, किस लड़की का हो सकता है ?अब वो लड़की जिन्दा भी है, या मर गयी। आखिर इसका हाथ काटने का उस कातिल का क्या उद्देश्य हो सकता है ? तभी नंदूलाल चाय लेकर आ गया। लीजिये साहब !पीजिये ,गर्मागर्म चाय ! चाय पीकर तरोताज़ा हो जाइये !तब उस फॉर्म हाउस पर चलते हैं।
हाँ ,इसकी बहुत आवश्यकता है ,आँखें नींद से बोझिल हो रहीं हैं।
मैंने तो आपसे पहले ही कहा था ,थोड़ा आराम करके तभी चलते हैं।
कपिल ने कुछ सोचा ,और चुपचाप चाय का गिलास उठाकर पीने लगा , साहब !बिस्कुट भी लीजिये !कपिल को सोचते हुए देखकर ,नन्दूलाल ने पूछा -क्या सोच रहे हैं ?
कुछ नहीं ,बस यही सोच रहा हूँ ,आखिर ये लड़की कौन हो सकती है ?जिन्दा भी है ,या मर गयी।
मर ही गयी होगी ,जिसने भी वो हाथ काटा होगा ,बड़ी ही दरिंदगी से मारा होगा। ये भी तो हो सकता है,मारकर उसके टुकड़े -टुकड़े कर दिए हों। शायद ,किसी ने अपना बदला लिया होगा।
अब पता ही क्या चलता है ? किसके मन में क्या रंजिश पल रही है ?
हाँ ,साहब !वैसे लड़की को मारने का मतलब तो आशिक़ी में नाक़ामयाब हुआ ,या फिर उसे छोड़कर किसी दूसरे से सगाई कर ली होगी। तभी तो वही सगाई की अंगूठी वाला हाथ ही काट डाला।
एकाएक कपिल उठा और बोला -चलो !वहीँ चलकर देखते हैं। कहते हुए आगे बढ़ गया। नंदू उसके पीछे था। कपिल अपनी मोटरसाइकिल बैठा और आगे बढ़ गया। उसके पीछे नंदू अपना कर्त्तव्य समझ उसके पीछे बैठ गया। काली ,सूनी सड़क पर उनकी मोटरसाइकिल दौड़ रही थी ।
कपिल गोरा -चिट्टा किसान का इकलौता बेटा है,पांच फुट ग्यारह इंच का आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक है ,कपिल ! खेल -कूद में सबसे अव्वल रहा है। उसके दोस्त अक्सर उसे'' हीरो'' कहकर ही बुलाते , कहें भी क्यों न...... अपनी ऊंचाई और आकर्षक व्यक्तित्व के कारण ,किसी फ़िल्म का हीरो ही नजर आता था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये ,वो लड़कियों के पीछे नहीं भागता था ,बल्कि लड़कियां उसे देखती थीं ,कोई तिरछी निगाहों से, तो कोई किसी न किसी बहाने उससे बात करने का प्रयास करती, किन्तु कपिल भी न जाने क्या सोचे बैठा था ,किसी से बचता भी नहीं था ,तो किसी को अपने को जानने का मौका भी नहीं देता था।
उसके पिता तो यही कहते थे -' कपिल खेती -बाड़ी ही संभाल ले। कई एकड़ जमीन ,वे अकेले कैसे संभाल पाएंगे ?'किन्तु माँ चाहती थी ,बेटा गांव से बाहर निकले ,अपने दम पर कुछ करके दिखाए।स्नातक का आखिरी वर्ष था। उसी साल कॉलिज में एक नया चेहरा आया,जिसको देखते ही ,कपिल अपलक उसे देखता ही रह गया। ऐसा लग रहा था ,स्वर्ग की कोई अप्सरा हो जो उसके लिए स्वर्ग से उतरकर आई है। तब कपिल ने अपने दोस्त सौरभ से कहा -क्या तू जानता है, उस नई लड़की का नाम क्या है ?
नहीं तो.... पर तू ये बता ,तू क्यों जानना चाहता है ?तू तो ब्रह्मचारी है ,न.....
तो.....क्या , किसी लड़की का नाम नहीं जान सकता ?
मुझसे ,तू क्या चाहता है ? मैं उस लड़की का नाम, पता लगाऊं और उसके चप्पल खाऊं और तू उससे इश्क लड़ाये ,इतने दिनों से इसके लिए ही ''ब्रह्मचारी'' बना बैठा था।
तुझसे चप्पल खाने के लिए कौन कह रहा है ?ये देख ,कौन सी क्लास में है और कौन से सेक्शन में है ?रजिस्टर से सब पता चल जाता है।
देख !ऐसा है ,जब मेरी चांदनी आई थी ,तुमने किसी ने भी मेरा साथ नहीं दिया ,अब तू भी भूल जा ,मैं तेरी कोई सहायता करूंगा और सुन ! यदि तुझमें हिम्मत है ,तो तू उसका' नाम' पता करके बता।
ठीक है ,मुझे भी किसी की आवश्यकता नहीं ,अब इसके नाम का भी, मैं ही पता लगाऊंगा और इसके साथ कॉफी भी पीकर दिखाऊंगा।
किन्तु सौरभ इस बात को हज़म न कर पाया। वो दौड़ते हुए,अन्य दोस्तों के पास गया और अपने दोस्तों को यह खुशखबरी सुनाई -हमारे' हीरो 'को प्यार हो गया है ,हालाँकि वो इस बात को मानेगा नहीं ,ब्रह्मचारी जो ठहरा किन्तु दोस्तों अबकि बार उसका ब्रह्मचर्य टूटेगा।
वो कैसे ?सभी ने एक साथ हँसते हुए पूछा।
मुझसे कह रहा था ,वो जो हमारे कॉलिज में नई लड़की आई है ,उसके नाम का पता लगाना है। उसका नाम तो'' स्वरा ''है। उन लड़कों में से एक बोला।
तू उसे कैसे जानता है ?सौरभ आश्चर्य से बोला -लो ,कर लो बात !'बगल में छोरा ,शहर में ढिंढोरा। '
मैं उसे नहीं जानता ,मेरा एक दोस्त है ,जो उसके पड़ोस में रहता है।
इसका मतलब तेरी पड़ोसन हुई।
नहीं ,मौहल्ले वाली !
क्या बात लेकर बैठ गया ?मौहल्लेवाली हो या हो पड़ोसन !हमारे हीरो का उस पर दिल आ गया है ,उसका नाम जानना चाहता है किन्तु मैंने उसे चुनौती दी है ,हिम्मत हो तो स्वयं ही उसके नाम का पता लगा ले।
ओह !तो ये बात है ,तब अपने हीरो ने तेरी चुनौती स्वीकार कर ली।
वही तो बताने आया हूँ ,उसने कहा है -कि वह उसका नाम भी पता लगाएगा और उसके साथ कॉफी भी पियेगा।
क्या बात कर रहा है ?क्या वो आज ही इस चुनौती को स्वीकार करेगा ?
ये तो उसने नहीं बताया।
चल ! उसका पता लगा ,वह चुनौती आज ही पूर्ण करेगा या किसी और दिन ,उसकी बात सुनकर सौरभ वहां से चल दिया। तभी वापस मुड़ा और बोला - तुम लोग भी तो मेरे साथ चलो !मिलकर तमाशा देखेंगे।
अपना 'हीरो' है, पिटने वाला तो नहीं है ,पहली बार किसी लड़की के विषय में जानने की इच्छा ज़ाहिर की है, अवश्य ही जीतकर आएगा।
उसने क्या किसी किले पर चढ़ाई की है ,एक लड़की का नाम ही तो जानना चाहता है ,उस पर तो वैसे ही लड़कियाँ अपनी जान छिड़कती हैं ,वो उसे देखते ही ,वैसे ही अपना परिचय दे देगी।
न ,न उसे ऐसी ही मत समझ हल्के में मत ले ,बहुत ही अकड़ में रहती है।
आओ ,तो चलो !तमाशा देखते हैं। अभी तक वो कॉलिज नहीं आई थी ,इसीलिए सभी की नजरें कॉलिज गेट पर टिकी थीं। सभी आस -पास ऐसे भटक रहे थे ,जैसे कोई शिकारी शिकार पर नजर रखता है ,या पुलिस किसी अपराधी को घेरने के लिए उस पर नजरें गड़ाए रहती है ,तभी उन लोगों का ध्यान ,एक झुण्ड पर गया ,अरे !शोभित वो देख !शायद वहां कुछ हुआ है। कहते हुए ,अनमोल उधर ही चल दिया। वहाँ उसने जो देखा तो देखता ही रह गया। कपिल और वो लड़की एक तरफ खड़े थे और कुछ लड़कों में गर्मागर्मी हो रही थी। यहाँ क्या हो रहा है ?सोचते हुए वो भीड़ में से रास्ता बनाते हुए आगे आया।