पांचो दोस्त परिवार से दूर, अपनी जिंदगी को भरपूर जीने के लिए, सभी बाधाओं से परे , एकांत में मौज- मस्ती करने के लिए जाते हैं। उन्हें लगता है, अब वे बड़े हो गए हैं। अब बड़ों की टोका टाकी उन्हें कम ही सुहाती है। अपने आप को साबित करना चाहते हैं और एक दूसरे पर, अपने पैसे का, या अपने संबंधों का रौब भी डालना चाहते हैं। जिस ''फॉर्म हाउस ''में प्रणव और उसके दोस्त आये हैं ,यह ''फॉर्म हॉउस ''प्रणव के दोस्त का है, यह बात वह अपने दोस्तों को कई बार बता चुका है। वह अपने दोस्तों को दिखला देना चाहता है, कि कितने पैसे वालों से उसके संबंध हैं ?और सबसे बड़ी बात ,उसके कहने मात्र से उन्होंने इस ''फॉर्म हाउस ''में उन्हें आने दिया। तब साहिल प्रणव से प्रश्न करता है -तुम उससे कैसे मिले और तुम्हारी दोस्ती उससे कैसे हुई ?
जब मैं आठवीं कक्षा में था। तब वह भी ,मेरे साथ पढ़ता था उसके पश्चात उसके पापा का प्रमोशन हुआ और वे लोग विदेश चले गए। उनका घर, हमारे घर के करीब ही है ,मेरी उससे फोन पर बात होती रहती है।
तब तक श्याम भी आ चुका था , भाई !मुझे बहुत जोरों की भूख लगी थी , मुझे तैरना नहीं है , एक चिप्स का पैकेट हाथ में लिए,अभी भी खा रहा था। सभी बातचीत में व्यस्त थे। श्याम ने देखा, कुछ ही दूरी पर बहुत सारे पेड़ भी हैं। वह उधर टहलने निकल गया। ढलता सूरज था, पेड़ों से, सूरज की रोशनी छन -छनकर आ रही थी, जो धीरे-धीरे कम होती जा रही थी। वह सोच रहा था, रात्रि में यह जंगल कितना भयानक लगेगा ? जैसे ही वह आगे बढ़ता जा रहा था ,उसका पैर किसी चीज में उलझ गया और वह नीचे धड़ाम से गिर पड़ा।उस समय उसे कौन उठाता ?उसके सभी दोस्त तो तैरने में व्यस्त थे। श्याम उठा और उसने देखा, कि एक बड़ी सी लकड़ी उसके पैरों में उलझ गई थी जिसके कारण वह गिरा। उसने सोचा इस लकड़ी को उठाकर , इस रास्ते से हटाकर दूसरी तरफ फेंक देना चाहिए ताकि आगे किसी और को भी परेशानी न हो।
यह सोचकर उसने लकड़ी उठाई ,लकड़ी शायद मिट्टी में दबी थी। जैसे ही उसने लकड़ी को खींचा , वहां की सूखी मिटटी, उड़ी। वह स्थान थोड़ा, अजीब सा लग रहा था किंतु जैसे ही ,उसकी दृष्टि नजदीक के दूसरे पेड़ के करीब गई ,उसकी चीख निकल गई,और वो चिल्लाया -साहिल....... वह बदहवास दौड़ता हुआ अपने दोस्तों की तरफ भागा।
श्याम को इस तरह हड़बड़ी में ,भागते हुए देखकर, उसके दोस्त भी, उसकी तरफ ही देखने लगे प्रणव हंस कर बोला -यह तो ऐसे भाग रहा है जैसे इसने कोई भूत देख लिया है।
नहीं, यार !उसकी हालत देखकर तो मुझे लगता है, अवश्य ही कुछ हुआ है।
वह वहां क्या करने गया था ? सबके मन में प्रश्न उठा और ऐसा उसने क्या देख लिया ? सभी, अपना तैरना भूल कर पूल से बाहर आ गए और उसकी तरफ दौड़े।
जब वे उसके करीब पहुंचे ,वह कुछ भी बताने की हालत में नहीं था , बहुत अधिक घबराया हुआ था, सुनील ने उसे पानी दिया और पूछा -क्या हुआ ?
होना क्या है ? मोटे ने भूत देख लिया होगा, कहते हुए विनय हंसने लगा।
चुप कर...... कुछ तो हुआ है, यह इस तरह डरने वाला नहीं है। श्याम पेड़ों की तरफ हाथ करके बोला -उस तरफ....... उस तरफ....... चलो !यहां से निकाल चलो !
हुआ क्या है ?कुछ तो बताओ !
वहां पेड़ों के बीच किसी की लाश......
क्या बात कर रहा है ?सभी आश्चर्य से बोले -तुझे कुछ भ्र्म हुआ होगा।
नहीं मेरा भ्र्म नहीं है ,वहां अवश्य ही किसी की लाश है ,मैंने उसे हाथ देखा है। सभी को डर तो लगा फिर भी, विनय बोला -वो हाथ तुझसे चिप्स मांग रहा होगा ,मोटे अकेले ही अकेले खायेगा ,थोड़े से मुझे भी दे दे शायद ,ऐसी बात कहकर वो वहां के बोझिल हुए वातावरण को हल्का करना चाहता था। किन्तु तभी उसे साहिल ने डांटा और बोला -तुझे इसकी हालत देखकर नहीं लगता कि यह कितना घबराया हुआ है ?हमें चलकर देखना चाहिए ,आखिर बात क्या है ?वे सभी इकट्ठा होकर उधर ही चल दिए जिधर श्याम गया था। वहां सच में ही ,किसी का हाथ बाहर था ,वो भी किसी लड़की का और उसके हाथ में ,एक अंगूठी भी चमक रही थी।
हाँ ,यार ! लगता तो यही है ,हमें पुलिस को फोन करना चाहिए।
नहीं, हमें यहाँ से निकल जाना चाहिए ,कहीं हम ही न ,इस लफड़े में फंस जाएँ।
जब हमने कुछ किया ही नहीं है तो डरना कैसा ? पर ये लाश यहाँ आई कैसे ?
हो सकता है ,ये सिर्फ एक हाथ ही हो।
जो भी हो ,हमें एक अच्छे नागरिक की तरह पुलिस को फोन तो करना ही चाहिए।
तभी दौड़ते हुए ,प्रणव उनके करीब आया और बोला -मैं फोन कर चुका हूँ ,कुछ देर में ही पुलिस आती होगी ,तब तक हमें ,अपना सामान समेट लेना चाहिए।
ये तूने क्या कर दिया ?चुपचाप निकल चलते ,अब पुलिस कहीं हमें भी न रोक ले श्याम ,घबराते हुए बोला।
नहीं ,पता तो चलना चाहिए किसकी हत्या हुई है ?हो सकता है ,यहाँ और भी हों कहते हुए प्रणव स्वयं भी सिहर उठा।
कुछ देर पश्चात सायरन बजाती हुई, पुलिस की गाड़ी, उसे फार्म हाउस में प्रवेश करती है। पुलिस के चार-पांच आदमी, अंदर प्रवेश करते हैं। तब तक, सभी बच्चे भी बाहर आ जाते हैं। इंस्पेक्टर कपिल, उन बच्चों से पूछते हैं -क्या वह फोन तुम लोगों ने ही किया था।
जी सर !
तुम लोग यहां क्या कर रहे हो ? जी हम यहां पर, अपने दोस्त का जन्मदिन मनाने आए थे।
वह जगह कहां है ?
जी चलिए ! हम दिखाते हैं।
सबसे पहले वह लाश किसने देखी ?
हमारे दोस्त श्याम ने, हम लोग पानी में तैर रहे थे, वह उधर जंगल की तरफ गया था , कुछ देर पश्चात वह वापस दौड़ता हुआ आया, और उसने हमें बताया, आगे बढ़ते हुए ,बातचीत करते हुए जा रहे थे। प्रणव ने दूर से ही वह स्थान ,उन्हें दिखला दिया अंदर नहीं गया। इंस्पेक्टर ने भी बड़े ध्यान से वह जगह देखी और अपने साथी से बोला -यह तो सिर्फ हाथ दिख रहा है। जरा उस स्थान को खोदो !
जी ,सर कहते हुए, उनके साथ आए सिपाही उस स्थान को खोदने लगे।
तब श्याम प्रवीण से बोला - अब हमें यहां से चलना चाहिए, पुलिस अपना काम कर लेगी।
अभी चलते हैं, पता तो चले, वह किसकी लाश है ?
मुझे नहीं देखना है, अंधेरा हो चुका है , मैं घर जाना चाहता हूं।
उसकी घबराहट देखकर, साहिल आगे आया और बोला -सर ! अब आप अपना काम कीजिए, और हमें जाने की इजाजत दीजिए। अंधेरा हो रहा है हमारे घर वाले भी परेशान हो रहे होंगे।
हां ,तुम लोग कैसे जा सकते हो ? अभी कुछ पूछताछ करनी है।
अब क्या पूछेंगे ?विनय बोला -जो हम जानते हैं ,सब बता तो दिया।
क्या तुम लोग अकेले ही आये थे ?
क्या मतलब ?हम पांच ,दोस्त हैं ,प्रणव के दोस्त का यह ''फॉर्म हाउस ''है जो विदेश में रहता है। अक्सर उससे बात होती रहती है।
तुम्हारे साथ कोई लड़की......
सर !आप ये क्या कह रहे हैं ?जो भी बात थी ,हमने आपको बता दी।
तुम इस तरह झुंझला क्यों रहे हो ?यह हमारा कार्य है ,जब तक हमें पता नहीं चल जाता कि यह लाश किसकी है ?किसने इसकी हत्या की , तुम भी हमारे शक के दायरे में रहोगे ?इंस्पेक्टर सख़्त लहज़े में बोला।
तभी एक सिपाही आकर बोला -सर !वहां किसी की लाश नहीं है। यह बात सुनकर सभी बुरी तरह चौंक गए , ,क्या??????????