लगभग 4:00 बजे का समय हैं , तभी प्रणव की गाड़ी, सुनील और श्याम के घर पर आकर रूकती है। वहीं पर साहिल भी था। विनय पहले से ही, प्रणव की गाड़ी में बैठा हुआ था। आज साहिल का जन्मदिन है, वैसे तो उसका जन्मदिन उसके परिवार ने घर पर ही मनाया है किंतु उसका मन तो अपने दोस्तों के साथ जन्मदिन मनाने का भी था। हमेशा मम्मी ही, घर पर केक बनाती ,परिवार के साथ, हर वर्ष उसका जन्मदिन मनता। उसके दोस्त सुनील और श्याम भी आ जाया करते किन्तु अबकि बार उन्होंने परिवार से अलग ,बाहर कहीं जन्मदिन मनाने का निश्चय किया। अभी वो लोग योजना बना ही रहे थे ,विनय और प्रणव भी साथ आने के लिए कहने लगे।
विनय के अनुसार उसके दोस्त के ''फॉर्म हाऊस ''में जन्मदिन मनाने के लिए सभी तैयार हो गए। सुनील ,श्याम और प्रणव ने भी, अपनी संपूर्ण तैयारी की है। प्रणव अपनी गाड़ी से आया था और अपने, उन दोस्तों को भी साथ लेकर आया था , जो भोजन और शराब लेकर आ रहे थे। शराब तो वह स्वयं ही लाया है। साहिल के जन्मदिन का तो सिर्फ बहाना है, असल बात तो उन्हें, अपनी मौज -मस्ती से ही है, जहां पर बड़ों का कोई हस्तक्षेप न हो, कोई टीका -टिप्पणी न हो। एक रात्रि वे अपनी जिंदगी की 'सुखद रात्रि 'में शामिल कर देना चाहते थे इसलिए शहर से दूर एकांत में, जंगल के करीब ही फार्महाउस में , वे लोग प्रवेश करते हैं।
''फॉर्म हाउस ''पहुंचने तक शाम के पांच बज चुके थे ,सभी गाड़ी से उतरे और चारों तरफ निगाहें दौड़कर उस स्थान को देखने लगे। ''फॉर्म हाउस '' काफी बड़ा है किन्तु यहां तो काफी गंदगी है ,सुनील अंदर घूम -घूमकर देखते हुए बोला।
वह सब देखकर विनय को क्रोध आया,तभी वो बोला -यहाँ की देखभाल करने के लिए कोई काका भी तो रहते हैं ,उन्हें ढूंढता है, किन्तु वहां कोई नहीं था। अपने दोस्तों के सामने, उसे अपनी बेइज्जती महसूस हुई। तब विनय ने अपने दोस्त को फोन किया ,उसने बताया -''फार्म हाउस'' की देखभाल के लिए मनोहर काका हैं किंतु कुछ दिनों से वह बीमार हैं इसीलिए 'फार्म हाउस' की देखभाल ठीक से नहीं हो पाई। तब फार्म हाउस के मनोहर काका का बेटा आकर ,उन लोगों से क्षमा मांगता है और उस जगह की सफाई करके जाता है और किसी भी चीज की आवश्यकता हो तो मुझे फोन कर लीजियेगा ,कहकर जाने लगता है।
तभी साहिल उसे रोककर कहता है -तुम भी हमारे साथ आ सकते हो।
क्या बात कर रहा है ?प्रणव साहिल को डांटते हुए बोला -अब एक नौकर हमारी पार्टी में शामिल होगा।
ये बात ,मनोहर काका का बेटा सुन लेता है ,तब उनसे कहता है - मुझे जाना होगा ,मेरे पिता बिमार हैं ,कहकर वो वहां से चला जाता है।
प्रणव के पिता के पास बहुत पैसा है, उसे पैसे की कोई कमी नहीं है। घर में माता-पिता नौकरी पर जाते हैं फिर अपने-अपने कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं। बेटा पढ़ रहा है ,उसे सप्ताह में या 15 दिन में समझा देते हैं कि उसे लाइफ में क्या करना है ? कैसे आगे बढ़ना है ? यह उसका अपना निर्णय होगा। कभी माता-पिता ने यह जानने का प्रयास नहीं किया ,कि आखिर प्रणव क्या कर रहा है? क्या सोचता है ? जितने भी पैसे मांगता, वे लोग उसे दे देते। उनके घर में शराब आती है और वह स्वयं भी उसका सेवन करते हैं। किंतु बेटे को कभी पीते नहीं हुए नहीं देखा, तो उन्हें लगता है कि उनका बेटा, होशियार, समझदार है ,सुरा इत्यादि से दूर रहता है और हमारा कहना मानता है।
विनय के परिवार में भी, पैसे की कोई तंगी नहीं है किंतु उसके माता-पिता उसकी हर बात में हस्तक्षेप करते हैं, ऐसा क्यों हुआ, तुमने ऐसा क्यों किया ? आगे पढ़ने का क्या सोचा है ? विनय डॉक्टर बनना चाहता था, किंतु उसके पिता ने उसे 'इंजीनियर' बनाना चाहा ,अपनी इच्छा जबरदस्ती उस पर थोप दी। इसी बात के कारण वह अक्सर परेशान रहता है क्योंकि उसे गणित में कोई रुचि नहीं है। वह हमेशा से 'बायोलॉजी 'लेना चाहता था, किंतु पिता के कारण उसे छोड़ना पड़ा।
सुनील और श्याम , दोनों के ही परिवार अच्छे हैं, दोनों बच्चे भी अच्छे हैं , परिवार के लोगों का आदर करते हैं ,अच्छे बच्चों की तरह उनका कहना भी मानते हैं, अभी तक वह अपने को छोटा बच्चा ही ,समझते रहे हैं उनके परिवार वालों के सुझाव के आधार पर ही, उनकी छत्रछाया में आगे बढ़ रहे हैं। न ही ,परिवार वालों से उन्हें कोई परेशानी है ,न ही ,उन्हें लगता है -कि हमारी परिवार से अलग कोई जिंदगी भी हो सकती है या उनसे अलग हमारी इक सोच होनी चाहिए।
साहिल का परिवार आजकल थोड़ा कमी में चल रहा है, क्योंकि साहिल के पिता का व्यापार घाटे में जो चल रहा है किंतु उसके सुनील और श्याम जैसे अच्छे जो दोस्त हैं ,वे उसे इस बात का एहसास ही नहीं होने देते।कि उसका परिवार कुछ अलग है।प्रणव ने जाते ही ,तेज स्वर में, अंग्रेजी गाने चला दिए अंग्रेजी गानों की धुन पर वह सभी नाच रहे थे। तभी सुनील बोला -रात्रि होने में ज़्यादा समय नहीं है ,मैंने देखा है ,यहाँ 'स्वीमिंग पुल ''भी है। चलो !थोड़ा पानी में मस्ती हो जाये।''आज ब्लू है ,पानी -पानी ''गुनगुनाते हुए आगे बढ़ रहा था।
सभी ''स्वीमिंग पुल '' की तरफ जाने के लिए आगे बढ़ते हैं ,तभी श्याम बोला -मुझे तो बड़े जोरों की भूख लगी है, कुछ खा लेते हैं।
तू खा ! हम तैरने जा रहे हैं ,भुक्क्ड़ कहीं का , रात्रि हो जाएगी तो...... यहीं बैठना होगा, मस्ती करने आये हैं ,हम जा रहे हैं ,तुझे आना हो तो खाकर आ जाना, कहते हुए ,विनय आगे बढ़ गया। यार ! ऐसे में साथ में लड़कियां होनी चाहिए, उनके साथ ही तैरने में मज़ा आ जाता।
शराब और शबाब !मुझे लग रहा है ,तू कुछ समय से ज़्यादा आगे नहीं बढ़ रहा है ,सुनील बोला -तेरी कोई 'गर्ल फ्रेंड ''है।
मस्ती का भी कोई समय होता है ,इसके लिए बस जवान हों होता है ,वो अब हम हो गए हैं ,इसकी 'गर्ल फ्रेंड ''तो इसे जब मिलेगी ,जब इसके साइज़ की होगी। ऊंट की तरह बढ़ता जा रहा है ,इतनी लम्बी लड़की होनी भी तो चाहिए जो इससे नजर मिलाकर बात कर सके। जो भी मिलती है ,उसके लिए इसे घुटनों पर आना पड़ता है,बताते हुए प्रणव हंसने लगा।
जवान !नहीं,' बालिग़ 'कहते हुए विनय भी जोरों से हंसा और बोला -तू तो छोटा है ,तेरी कौन सी 'गर्ल फ्रेंड ''बन गयी। जो भी तुझे देखती है , उस गली से निकलना बंद कर देती है। उन दोनों की नोकझोंक सुनकर अन्य दोस्त भी हंसने लगे।
पुल के करीब पहुंचकर ,यार ! पानी तो बिल्कुल स्वच्छ और ठंडा है ,साहिल पानी में पैर डालते हुए बोला -यह फार्महाउस भी बहुत सुंदर है ,चारों तरफ देखते हुए बोला।
हां मेरे दोस्त का है, बहुत अमीर लोग हैं वो....... हेकड़ी दिखाते हुए प्रणव बोला।
वह लोग कहां रहते हैं ?
वह तो बाहर विदेश में रहते हैं , तभी तो इस ''फार्म हाउस'' की जिम्मेदारी मनोहर काका को दी है, वही इसकी देखभाल करते हैं। वह लोग तो कभी तीन-चार साल में, एक -आध बार यहाँ आते हैं। आकर यही ठहरते हैं। भारत में अब सम्पत्ति के नाम पर ,उनका यही 'फॉर्म हाउस ''है।
तुम्हारी दोस्ती उससे कैसे हुई ?