Sazishen [part 114]

इंस्पेक्टर विकास खन्ना, जावेरी प्रसाद की पत्नी चांदनी के गायब हो जाने के कारण ,वे इस केस की छानबीन कर रहे हैं ,इसके चलते वे उनकी नौकरानी दमयंती  से भी ,पूछताछ करते हैं। तब वो उससे पूछते हैं -तुम्हारी मालकिन कैसी थी ?

 दमयंती इंस्पेक्टर की बातों का आशय नहीं समझ पाई, और उसने पूछा -क्या मतलब ?साहब ! मैं कुछ समझी नहीं। 

तुम्हारी मालकिन स्वभाव से, बातचीत से कैसी थी ? तुम्हारे साथ उनका बर्ताव कैसा था ?

अब साहब ! मैं क्या बताऊं ?बड़े लोग हैं , उनकी सोच ,उनका रहन -सहन सब अलग ही होता है। देखने से तो लगता था ,मैडम जी !बहुत शौकीन मिजाज थीं । शायद थोड़ी सी पैसे की भी लालची थीं। 

तुम्हें ऐसा क्यों लगता है ?




क्योंकि उन्होंने कम उम्र होते हुए भी, इतने अधेड़ उम्र व्यक्ति से, विवाह किया।बात करते हुए ,बार -बार अपनी नजरें इधर -उधर भी  घुमा रही थी ताकि कोई  सुन न ले। आपने बड़े साहब, की उम्र तो देखी ही  होगी ,पचास -पचपन  के लपेट में हैं और वो ''चांदनी '' मैडम ! उनकी बेटे की बहू से आठ -दस साल ही, बड़ी ही होगीं। अब साहब ! ऐसा बेमेल विवाह तो कोई पैसे के लालच में ही करेगा ,दमयंती ने , इंस्पेक्टर विकास खन्ना को अपना अंदाजा बताया। 

हम्म्म !

उनका चरित्र कैसा था ? लड़कों से मिलती-जुलती थीं , कहीं सेठजी को धोखा दे रही हों। 

अब यह बात तो साहब ,मैं नहीं जानती, ज्यादातर तो वह बाहर ही घूमती रहती थीं। अब, किसके मन में क्या चल रहा है, हम कैसे बता सकते हैं ?

 बहु से उनका  व्यवहार कैसा था ? 

न ही, बहू उन्हें अपनी सास समझती थी, और न ही वे बहू को, बहु जैसी इज्जत देती थीं। 

जिस दिन वह इस घर से गायब हुईं , क्या उस दिन घर में कोई बात हुई थी ?

मैं तो सुबह -शाम काम पर आती  हूं, अब मेरे पीछे क्या हुआ, मैं यह कैसे बता सकती हूं ? 

ठीक है, कहते हुए इंस्पेक्टर उठा, और जावेरी प्रसाद जी के पास गया और बोला -हमारा पूरा प्रयास रहेगा, हम आपकी पत्नी को, ढूंढने में आपकी सहायता करेंगे। फोन लगाते रहिए, हो सकता है ,कभी लग जाए। अगर ऐसा कुछ होता है ,तो हमें सूचित कीजिएगा। 

थाने में पहुंचकर, इंस्पेक्टर विकास खन्ना सोचता है, यह कितना बड़ा संयोग है ? उनके बेटे की बहू कल्पना भी, हरिद्वार की है, और वह स्वयं भी हरिद्वार की है किंतु दोनों ही एक दूसरे को नहीं जानतीं। जानती नहीं हैं  या मेरे सामने अनजान बनने का प्रयास किया। यह बात तो अवश्य है, पंद्रह  दिनों से वह घर नहीं आई है, फोन भी नहीं लग रहा है ,अवश्य ही ,कोई दुर्घटना तो हुई है। कैसे इस केस की छानबीन की जाए ? मन में अनेक विचार आ जा रहे थे। हो सकता है, वह कम उम्र थी, उसे कोई हमउम्र मिल गया हो , उसके साथ भाग गई हो।  जावेरी प्रसाद से पीछा छुड़ाने के लिए, उसने ऐसा ही कुछ किया हो। हो सकता है, सास -बहू में बनती न हो, इसी क्रोध में अपने घर चली गई हो।  उसके घर वालों से भी बात करनी होगी, तभी वह हवलदार,रामदीन से कहता है -उनके अड़ोस -पड़ोस में भी पता लगाओ ! हो सकता है ,वहां से कोई ख़बर मिले। 

रामदीन जाने के लिए तैयार होता है, तभी इंस्पेक्टर खन्ना कहता है -चलो, मैं भी तुम्हारे संग ही चलता हूं। तब वे आस -पास पूछते हुए, उनके  पड़ोसियों से पूछताछ करते  हुए , मिसेज़ खन्ना के घर पहुंच जाते हैं। 

जी कहिये !

हम लोग ,मिसेज़' चांदनी' के विषय में छानबीन कर रहे हैं। 

क्यों, उन्हें क्या हुआ ?

क्या आप , नहीं जानती हैं ?आपकी पड़ोसन चांदनी जी ,अपने घर से, पंद्रह दिनों से लापता हैं। 

ये आप क्या कह रहे हैं ?चौंकते हुए मिसेज़ खन्ना बोलीं -तभी मैं सोचूं , वो आजकल दिख क्यों नहीं रही हैं  ?

उन्हीं  के विषय में हम लोग, आपसे बात करने आये हैं। 

दुर्गा ! जरा चाय लाना,कहते हुए कुर्सी पर बैठती है और इत्मीनान से कहती है -पूछिए ,क्या पूछना चाहते हैं ?

चाय की कोई आवश्यकता नहीं है ,हम ड्यूटी पर हैं, मुझे पहले आप ये बताइये !आप चांदनी जी को कब से जानती हैं ?

जबसे वो विवाह करके ''जावेरी प्रसाद ''जी के घर आईं । 

आप हमें उनके विषय में ,उनसे जुडी कोई विशेष बात बताइये !जो आपको लगता है, इसकी जानकारी हमें होनी चाहिए। उनके परिवार या व्यवहार से आपको  कुछ भी अलग लगा हो।

 मेरा अंदाजा है, वह गरीब परिवार से थी। जावेरी प्रसाद जी से उसने पैसे के लिए शादी की थी, जिस उम्र में जावेरी प्रसाद जी को अपने बेटे की शादी करनी चाहिए, वह खुद विवाह करके अपने बेटे के लिए दूसरी मम्मी ले आए थे। यहां लाकर उन्होंने ,चांदनी को पूरा मान -सम्मान भी दिया किंतु उनका यह रिश्ता उनके बेटे को पसंद नहीं आया। 

इतनी बात तो, हम भी जानते हैं, किंतु आपको,कुछ भी अलग लगा हो उनके गायब होने से पहले या उनके बेटे के आने के पश्चात !

जो भी मुझे जानकारी है, वही मैं आपको बतला रही हूं। पैसा मिलने के बाद, उसने जिंदगी को, खूब अच्छे से जिया जो बात उसके बेटे को पसंद नहीं आई और वह अलग हो गया। इस बीच, एक महिला उससे नौकरी मांगने आई थी किंतु उस महिला को नीचा दिखाने के लिए, चांदनी ने उस महिला को मेरे पास भेज दिया था।

आपने जानना नहीं चाहा कि वो ऐसा क्यों कर रही हैं ? उन दोनों में क्या संबंध था ? 

पता नहीं, किसी बात को लेकर,दोनों ही , एक- दूसरे को नीचा दिखाती थी। वह महिला मेरे यहां नौकरी करने लगी हालांकि शुरू में मैंने उसे तंग करने के उद्देश्य से ही, नौकरी पर रखा था किंतु उसकी बात से मुझे कुछ भी गलत नहीं लगा, लेकिन चांदनी उससे बहुत चिढ़ी  हुई थी, उस महिला के व्यवहार से लगता था, कि वह भी उसे नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं रखेगी। उसकी बातों से लगता था, जैसे वह चांदनी के विषय में बहुत कुछ जानती है और मुझसे छुपाए हुए हैं। 

क्या आपने जानने का प्रयास नहीं किया ? कि उन दोनों में किस बात पर अनबन है,और क्यों? एक दूसरे को नीचा दिखा रही हैं। चांदनी तो कुछ नहीं बताती, इसीलिए मैंने, उस' नीलिमा सक्सेना' पर विश्वास करके उससे ही पूछना चाहा। 

इस नाम को सुनते ही इंस्पेक्टर विकास एकदम से चौंक गया और बोला- अभी आपने क्या नाम लिया ?

नीलिमा सक्सेना ! वही तो मेरे यहां नौकर बनकर रह रही थी, पहले वह चांदनी के घर पर नौकर बनकर जाना चाहती थी किंतु चांदनी ने उसे मेरे यहां भेज दिया, अच्छी व्यावहारिक लेडी थी। 

तब आगे क्या हुआ ?

इंस्पेक्टर साहब ! आगे क्या होना था, कुछ दिन पश्चात नीलिमा सक्सेना ने आना बंद कर दिया जबकि मैं चाहती थी कि वह मेरे घर आए और मैं चांदनी के विषय में भी जानना चाहती थी या फिर वह चांदनी के विषय में क्या जानती है ? कुछ दिनों पश्चात मुझे पता चला, कि उसकी बेटी का विवाह तुषार के साथ हो रहा है। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, जो महिला,'' नीलिमा सक्सेना'' को देखना भी पसंद नहीं करती थी। वह उसकी बेटी की सास बन गई। 

मिसेज खन्ना की बात सुनकर, इंस्पेक्टर विकास खन्ना कुर्सी से उछलकर उठ खड़ा हुआ और बोला -क्या ?जावेरी प्रसाद जी के बेटे की बहू 'नीलिमा सक्सेना' की बेटी है। 

जी...... वही तो मेरे लिए आश्चर्य चकित कर देने वाली बात थी। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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