ये कला प्रतियोगिता ऐसे ही होनहार,प्रतिभावान कलाकारों के लिए ही रखी गयी है , जिनकी प्रतिभा से हमारे ''कला प्रेमी'' रूबरू हों , यही इस प्रतियोगिता का उद्देश्य है ,कलाकारों की प्रतिभा को लोगों के सामने लाना और आज इस कला प्रतियोगिता में अनेक अद्भुत ,अनूठे कलाकारों ने भाग लेकर अपनी कला का अच्छा प्रदर्शन किया। उससे भी ख़ुशी की बात ये है ,अपने सम्पूर्ण उत्साह के साथ कला प्रेमियों ने भी यहां आकर उनका उत्साहवर्धन किया, उनका मनोबल बढ़ाया। हमें ये कहते हुए बहुत ही हर्ष हो रहा है ,कि इस प्रतियोगिता की शान ये पेंटिंग रही ,जिसका नाम है -''खूबसूरत '' कहते हुए उन्होंने एक पेंटिंग की ओर इशारा किया।
उसे देखकर वो ताली बजाते हैं और कहते हैं -वास्तव में ही इस 'खूबसूरत 'पेंटिग को 'खूबसूरत ''नाम देकर इसके साथ न्याय किया गया है। हमें यह कहते हुए, आज हर्ष हो रहा है ,इस कला प्रतियोगिता की'विनर' भी ये खूबसूरत पेंटिंग ही है। जिसकी कलाकार 'तमन्ना ''जी ने इसको बनाने में अपनी प्रतिभा का बखूबी प्रदर्शन किया है ,जिन्होंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर,हमारा मान बढ़ाया है ,जिसके लिए हम उनका ह्रदय से अभिनंदन करते हैं। ''तमन्ना जी'' आप मंच पर आकर अपने इनाम की'' धनराशि ''और ये'' सम्मान पत्र ''प्राप्त करके हमारा मान बढ़ाइए ! संचालक महोदय ने, जब तमन्ना का नाम पुकारा तो सभी उस कलाकार को एक नजर देखना चाहते थे और सभी की नजरें मंच पर टिक गयीं।
कुछ देर प्रतीक्षा के पश्चात एक लड़की मंच पर आती है और संचालक महोदय के कान में कुछ कहती है , जिसके कारण ,संचालक महोदय थोड़ा परेशान दिखते हैं ,तब वो वहां उपस्थित लोगों की तरफ देखते हुए कहते हैं - हमें इस बात का खेद है कि हम आप लोगों से तमन्ना जी, को नहीं मिलवा पाएंगे ,उन्हें अचानक ही कहीं जाना था इसलिए वे यहाँ से बहुत पहले ही जा चुकी हैं।
संचालक महोदय मुस्कुराते हुए, माइक में बोलते हैं -यदि वह आ जातीं तो हमें भी अच्छा लगता, ख़ैर कोई बात नहीं,आज हम ऐसी प्रतिभवान कलाकार से न मिल सके, इसका हमें ख़ेद रहेगा। उनका इनाम हम उनकी सखी नित्या को देते हैं। सभी लोग,' तमन्ना को एक झलक देखना चाहते थे किंतु तमन्ना की जगह उसकी सहेली नित्या मंच पर जाकर उसका इनाम ले जाती है। तमन्ना को देखने की सभी के मन में, उसकी एक झलक पाने की इच्छा थी, सबसे ज्यादा उन चारों दोस्तों को थी , जो अभी थोड़ी देर पहले आपस में वार्तालाप कर रहे थे।
यार! उसे ऐसा क्या काम आन पड़ा, जो अपना इनाम लेने भी नहीं आ सकी, इतने लोगों से परिचित होती इतने लोगों में उसकी पहचान होती, उसे आना चाहिए था।
होगा, कोई आवश्यक कार्य, बड़े लोगों की बड़ी बातें।
यह बात तुम लोग भूल रहे हो, अभी उसने एक -दो ही प्रतियोगिताओं में ही भाग लिया है , ज्यादा घमंड भी अच्छा नहीं होता , आगे चलकर देखते हैं यह नाम आगे कब तक दिखता है ,जैसे अंदर ही अंदर उसे विभोर ने चुनौती दी हो।
''तमन्ना'' एक साधारण रूप रंग की लड़की थी, उसका रंग भी गेहुआ था , ना ही उसके नैन-नक्श इतने तीखे थे। देखने में वह एक मामूली लड़की लगती थी, किंतु उसकी सोच, उसकी कला कहीं ऊपर थी। जो भी उसकी बनाई कलाकृतियों को देखता, वही उसका प्रशंसक बन जाता। हर कोई उससे मिलना चाहता।
एक -दो वर्षों में ही, कला की दुनिया में अब वह एक जाना- पहचाना नाम बनती जा रही थी। अक्सर ऐसी प्रतियोगिताओं में और प्रदर्शनियों में वह भाग लेती रहती थी, किंतु कभी भी लोगों की नजरों के सामने नहीं आई।' तमन्ना 'नाम लोगों के जबान पर था, किंतु किसी ने भी तमन्ना को नहीं देखा था, वह जाना भी नहीं चाहती थी क्योंकि उसे मालूम था, जैसा कि लोग सोचते हैं, उनकी अपेक्षाओं पर वह खरी नहीं उतरेगी इसीलिए वह भीड़- भाड़ से बचकर रहती थी। वह स्वयं नहीं मिलती थी, और न ही बोलती थी किंतु उसकी कलाकृतियां बोलती थीं , कुछ कहती हुई नजर आती थीं , उनमें कोई अनजान कहानी, अनजान दर्द, महसूस होता था।
अब तक कुमार उसकी सभी, पेंटिंग्स का प्रशंसक रहा है उसके पास तमन्ना की सभी पेंटिंग्स का संग्रह था। वह अक्सर उन पेंटिंग्स के बीच बैठकर, उनमें जैसे कुछ ढूंढने का प्रयास करता, या पहचानने का प्रयास करता और कभी-कभी उनकी गहराइयों में खो जाता। उसके मन में उन पेंटिंग्स को देखकर, तमन्ना की भी एक तस्वीर उभर आती। तीखे नयन -नक्श ,कजरारी आँखें ,लम्बे और घने केशों की गुथी वेणी ,जिनमें खूबसूरत सजे 'मोगरे का गज़रा ' जब गर्दन घुमाकर मुस्कुराकर उसकी तरफ देखती तो कुमार का जैसे दिल ही निकाल लेती। उस कल्पना में इतना खो जाता उसे याद ही नहीं रहता कि वो एक काल्पनिक सपना देख रहा है ,जो उसने स्वयं अपनी सोच से उकेरा है।
तभी जैसे किसी की आवाज ने उसके सपने को तोड़ दिया ,कुमार !यहाँ क्या कर रहा है ?चल आजा !कहीं बाहर घूमने चलते हैं।
कुमार ने आवाज की तरफ अपनी गर्दन घुमाकर देखा ,उसके सामने साहिल खड़ा था। उसको देखते ही ,कुमार जैसे बिफ़र गया और साहिल से बोला -तुम लोगों को, क्या कोई काम नहीं है ?जब देखो !इधर -उधर घूमने के सिवा जीवन में और भी काम है या नहीं।
ओहो !तू कब से काम करने लगा ,क्या अब पढ़ाई छोड़कर कोई व्यापार करना आरम्भ कर दिया है ?उसने दरवाजे पर अपनी चप्पल उतारी और उसके क़रीब गया ,जब वो उसके करीब आया तो उसने देखा ,कुमार के सामने तमन्ना की पेंटिंग्स का संग्रह बिखरा पड़ा है। ओह !तो हमारे मजनू इन पेंटिंगों में अपने दिल का सुकून ढूँढ रहे हैं। जब वो तुमसे मिलना नहीं चाहती, तब तुम उससे उम्मीद क्यों लगाए बैठे हो ?
मुझसे ही नहीं ,वो किसी से भी मिलना नहीं चाहती ,तूने देखा नहीं, उसकी किसी अख़बार या पत्रिका में एक तस्वीर तक नहीं है। जितना वो अपने को छुपाना चाहती है ,उससे मिलने की मेरी चाहत उतनी ही बढ़ती जाती है। तुझे मैंने यह बात बताई भी नहीं किन्तु आज बताता हूँ ,मैंने किसी तरह उसके घर का पता लगाया और उससे मिलने के लिए उसके घर के बाहर घंटों खड़ा रहा।
क्या बात कर रहा है ?आश्चर्य से साहिल ने पूछा और तूने हमें भनक तक नहीं लगने दी ,क्या तू उसे इतना चाहने लगा है ?मेरे यार !किसी को बिना जाने ,बिना मिले इतना चाहना उचित नहीं है। कई बार हमारी अपेक्षाएं बहुत बढ़ जाती हैं। हो सकता है ,वो बला की हसीन हो ,ये भी हो सकता है,उसके विपरीत हो।
जब भी बोलेगा !मुँह से ग़लत ही शब्द निकलेंगे ,क्या कभी तू अच्छा भी बोल सकता है या नहीं।
नहीं ,मैं तो अपनी बात कह रहा था ,मेरा इरादा तेरा दिल दुखाने का नहीं था ,यदि तू उससे प्यार करता है ,उसे इतना चाहता है तो हम, तेरे यार! किसलिए हैं ?तुझे उससे मिलवाकर रहेंगे। तू चिंता क्यों करता है ?आजा चल अब खुश हो जा !चल कहीं बाहर घूमने चलते हैं।