Kahun ya n kahun

क्यों नहीं, समझ पाते हो ? मेरे जज्बातों को ,

क्यों नहीं, समझ पाए ?आंखों के इशारों को,

क्यों नहीं, समझ पाते हो? मौन की भाषा को ,

क्या, कहना ही......... , सब कुछ होता है ? 

क्यों नहीं, समझ पाए ? मेरे मौन निमंत्रण को , 

क्यों नहीं, समझ पाए ? हृदय की चंचलता  को,

क्यों समझ, नहीं पाए ? अधरों के कंम्पन को, 

यह' चंचल मन' ,बहुत कुछ कहना चाहता है।


क्यों नहीं झांकते ? वीरान होते स्थल  में ,

पास हूँ , क्या होता नहीं ? पत्थर दिल में, 

सोचती हूं ,तुमसे कुछ '' कहूं या ना कहूं !

क्या तुम सुन पाओगे?भावों की भाषा को !


शब्दों में बांध लूँ , इस उमड़ते तूफान को ,

क्या समझ पाओगे ? भावों की गहराई को ,

वक़्त से परे ,समझोगे वक़्त की नज़ाकत को ,

सोचती हूँ ,'कहूँ या न कहूँ'दिल  के हालातों को 


रुक जाती हूँ -

 कुछ बातें कहना चाहती हूं।

 मेरे लिए, वह पल चाहती हूं। 

 मैं, तुम  संग जीना चाहती हूं।  

 ''कहते-कहते'' रुक जाती हूं।

 

करीब से जानना  चाहती हूं। 

जब ठहरकर देखती हूं, तुम्हें,

क्योंकर ,सपनों में आते हो ?

दिल में सोये अरमान जगाते हो।

  

क्या, कभी, तुम समझ पाओगे ?

क्या ,ह्रदय से रूह छू जाओगे ?

मेरे मौन को कभी पढ़ पाओगे।

ह्रदय की गहराई में उतर पाओगे।

 

देख तुम्हें,उमड़ आये जज़्बात सभी ,

आज कह दूंगी ,दिल की बात सभी।

आगे ''बढ़ते -बढ़ते'' रुक जाती हूँ। 

तुम मेरे कहते -कहते रुक जाती हूँ। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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