भाव मेरे ,लिखती हूं ,बोलती कलम है।
बेपनाह दर्द औ इश्क़ में, डूबती कलम है।
छनाक !से टूटे दिलों पर लेपती मरहम है।
एहसासों को अंजाम तक पहुंचाती कलम है।
मौन होकर भी, बहुत कुछ लिखती कलम है।
एहसासों को बुलंदियों तक पहुंचाती कलम है।
छुपे एहसासों को अपने अंदर समेटती कलम है।
इक -दूजे तक एहसासों को ,पहुंचाती कलम है।
बेचैन ,परेशां ,सच बोलती कलम है।
दिल से दिल को ,राहत देती क़लम है।
विचारों पर, 'धारा प्रवाह' दौड़ती कलम है।
सीने पर पड़े बोझ को ,हल्का करती क़लम है।
दिवस देखे ना रात्रि, हमेशा चलती कलम है।
ह्रदय में उठते उदगारों पर मचलती क़लम है।
भाषा या देश ,विषय कोई हो ,बोलती क़लम है।
अंतस्थ में झाँकने को विवश कर देती,क़लम है।
आज भी क़लम में ,बहुत दम है।
मजबूत ,संघर्षशील ,यह क़लम है।
बिन ख़ंजर के वार करती क़लम है।
ह्रदयों को झिंझोड़ती यही क़लम है।
लेख ,कहानी, कविता किसी भी विधा पर ''बोलती क़लम'' है।