अतरी ताई से ,सरस्वती के पड़ोस की लड़की मिलती है। ताईजी उससे जानना चाहती थीं कि लड़केवालों ने सरस्वती के लिए क्या जबाब दिया ?बातों ही बातों में ,ताईजी को अपनी बेटी की चिंता होने लगी और वो बोलीं -न जाने हमरी बिट्टो का क्या होगा ? कौन उसे पसंद करेगा ?
ताई जी ! बिट्टो, तो अभी बहुत छोटी है ,उसका भी समय आयेगा। अच्छा !अब मैं चलती हूँ ,घर में माँ प्रतीक्षा में होगी।
रामखिलावन और उसकी पत्नी ने दोनों बहन -भाइयों को रोकना चाहा था कि तुम दोनों एक -दो दिनों के लिए यहीं रुक जाओ ! जब तक कोई जवाब न आए , तब तक यही रहना किंतु सरस्वती बोली -प्रेम ,यही रुक सकता है , किंतु मेरी नौकरी का सवाल है , इस तरह अपनी इच्छा से छुट्टी नहीं ले सकती वरना मेरा वेतन कट जाएगा।
बेटा ! हम तुम्हें वहां कमाने के लिए नहीं छोड़ रहे हैं, बल्कि यह सोचकर छोड़ रहे हैं -'कि पढ़ी लिखी हो तो तरक्की करो ,घर बैठकर क्या करोगे ?और आजकल लड़के वाले भी लड़की नौकरी वाली ही देखते हैं वरना हमें पैसों की कोई तंगी नहीं है कि हम तुम्हें मजबूरी में तुमसे नौकरी करवा रहे हैं। प्रेम तुम कुछ दिन के लिए रहना चाहो ,तो सकते हो। तुम जाना ही चाहती हो तो, चली जाओ ! उधर से कोई जवाब आएगा तो हम तुम्हें फोन पर बता देंगे, ऐसा कहकर रामखिलावन ने उन दोनों की तरफ देखा।
नहीं, मैं भी दीदी ,के साथ जाऊंगा। वह रुक जाना तो चाहता था., किंतु घरवालों को 'अरशद' के विषय में कुछ नहीं पता था और अरशद के कारण ही वह, सरस्वती के साथ आया। अब उसे सरस्वती पर एक पल के लिए भी, विश्वास नहीं था। मन ही मन प्रसन्न हो रहा था, यह रिश्ता तय हो जाए तो मेरी जिम्मेदारी भी समाप्त हो जाए। मेरे लिए तो अच्छी चौकीदारी हो गई है। दीदी ,सही -सलामत अपनी ससुराल चली जाए, समाज में बेइज्जती होने से बच जाएगी मन ही मन अरशद सोच रहा था।
न जाने ,कैसे रामखिलावन और उसकी पत्नी के 2 दिन बीते ? सरस्वती की मां को तो बेचैनी हो रही थी।
तब वह रामखिलावन से कहती है -आप फोन करके पूछ लीजिए ? लड़के वाले क्या जवाब देते हैं ?
रामखिलावन चाहता तो यही था, कि वे लोग स्वयं ही फोन करके उन्हें सूचित करें ,कि उन्हें लड़की पसंद है किंतु पत्नी के बार-बार कहने पर उसने उन्हें फोन कर ही दिया।
हेलो ! उधर से आवाज आई।
जी, भाई साहब ! मैं रामखिलावन बोल रहा हूं। आप बिटिया को देखने आए थे, हम तो उम्मीद लगाए बैठे थे कि आप तुरंत ही जवाब देंगे कि हमारी बेटी आपको पसंद आई या नहीं ,फिर हमने सोचा शायद आप लोग ,सोच -समझकर जवाब देंगे, दो दिन हो गए आपका कोई फोन नहीं आया इसलिए मैंने सोचा -मैं ही फोन करके पूछ लेता हूं आपको और आपके बेटे को ,हमारी बिटिया पसंद तो है।
यह आप क्या बात कर रहे हैं ? क्या आपकी बिटिया ने आपको कुछ भी नहीं बताया ? उल्टे उन्होंने ही, उस से प्रश्न पूछ लिया।
क्या ,आपने हमारी बिटिया को जवाब दिया था ? उसने तो हमें कुछ नहीं बताया।
हमने जवाब नहीं दिया था ,बल्कि आपकी बिटिया ने ही ,हमारे बेटे से विवाह करने से इनकार कर दिया था अब ऐसे में हम अपमानित होकर आप लोगों को क्या जवाब देते ? पहले आपको अपनी बेटी से ही पूछ लेना चाहिए था कि वह विवाह करना चाहती भी है या नहीं।
यह आप क्या कह रहे हैं ? हमारी बिटिया ने मना कर दिया, किंतु हमारी तो घर में ऐसी कोई बात नहीं हुई।यह सुनते ही रामखिलावन सर पकड़कर बैठ गया। रामखिलावन को लगा -जैसे उसके मुंह पर किसी ने बहुत तेजी से तमाचा मारा हो। घर में ही कांड हो गया और उसे पता ही नहीं , वह अपने को अपमानित महसूस कर रहा था। चार लोगों को पता चल गया, कि बिटिया को देखने आए हैं और लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं कि लड़के वाले क्या जवाब देंगे ? अब मैं किस-किससे क्या कहूंगा? कि बेटी ने ही विवाह करने से मना कर दिया और यदि विवाह करने से मना भी कर दिया तो उसका कारण क्या है ? रामखिलावन के हाथ से फोन छूट गया।
उसकी पत्नी बड़ी देर से, उसके जवाब की प्रतीक्षा में थी,वह जब रसोई से बाहर आई , रामखिलावन के चेहरे को देखकर, वह भी परेशान हो उठी और किसी अनिष्ट की आशंका से, उसने रामखिलावन से पूछा -क्या हुआ जी ! क्या उन लोगों ने हमारी बिटिया को पसंद नहीं किया, विवाह से इनकार कर दिया। रामखि लावन उसका चेहरा देख रहा था ,इसे कुछ मालूम है या नहीं। मन ही मन सोचा-' यदि इसे कुछ मालूम होता तो यह लड़केवालों से पूछने के लिए ,इतना दबाब नहीं बनाती।'तब वह बोला -रिश्ते के लिए मना हो गई।
अपने पति की परेशानी को देखकर, उसे समझाते हुए बोली-इसमें परेशान होने की क्या बात है ? यह तो अपनी- अपनी पसंद है ,हम किसी से जबरदस्ती तो नहीं कर सकते। हो सकता है ,उन्हें हमारी बिटिया पसंद न आई हो ,हम कोई और लड़का देख लेंगे।
रामखिलावन को तो कोई जवाब ही नहीं सूझ रहा था कि वह अपनी पत्नी से क्या कहें ? रामखिलावन की हालत को देखकर ,वह गिलास में पानी लेकर आई , रामखिलावन पानी पीकर, उसे जैसे थोड़ा सांस आया, उसकी तो सांस ही अटक गई थी। तब वह बोला -क्या तुम जानती हो ? तुम्हारी बेटी ने ही, उस लड़के को नापसंद कर दिया।
आप, यह क्या कह रहे हैं ?भला हमारी बेटी ऐसा क्यों करेगी ?अविश्वास से वो बोली।
क्या तुम्हारी उससे कोई बात हुई थी ? क्या, वह विवाह करने से मना कर रही थी ?
याद करते हुए वह बोली -'कह तो रही थी कि अभी मुझे विवाह नहीं करना है,' तब मैंने पूछा -क्यों नहीं करना है ?तो उसके पास कोई जवाब नहीं था, इसीलिए मैंने सोचा -जब विवाह की बात चलती है ,लड़की को थोड़ा डर ही लगता है ,इसीलिए मैंने उससे दुबारा पूछा भी था -कि तुम विवाह क्यों नहीं करना चाहती हो ?तुम पढ़ -लिख ली हो, नौकरी भी कर रही हो अब और क्या करना है ? तो उसने कोई जवाब नहीं दिया था। घबराते हुए बोली -अब क्या होगा?जी ! मोहल्ले -पड़ोस के पूछेंगे तो क्या जवाब देंगे ?
अभी ,फोन करके पूछता हूं, कि आखिर सरस्वती ने ऐसा क्यों किया ?तैश में आते हुए रामखिलावन बोला।
पूछना ही क्या है? बहुत दिनों से बच्चे ,हमसे दूर रह रहे हैं, अब तो अलग घर भी ले लिया है, अब हॉस्टल में भी नहीं रहते हैं , तो क्यों न हम दोनों ही, उनसे मिल भी लेंगे। बेटे को थोड़ा खाने -पीने का सामान भी ले जाऊंगी और वहीं पूछ और देख भी लेंगे,कि वे लोग कैसे और कहाँ रह रहे हैं ? सरस्वती की मां , रामखि लावन को अपनी योजना बताती है।