Zindgi ka safar

जिंदगी के सफर में....... ,

कुछ रिश्ते......  अनमोल हुए । 

अपने होकर भी, अपने न हुए। 

कुछ गैर  होकर भी,अपने हुए। 


कुछ उड़ान !अपने हिस्से की,

कुछ उड़ान ! थी , अपनों  की ,

 मंजिलों की उड़ान है, जिंदगी !

अधूरे ख्वाबों की पहचान है, जिंदगी!

जिंदगी का सफर....... 

अपने -पराये की पहचान कराता। 

सुख -दुःख की मिसाल है ज़िंदगी !

जीवन में ,रंगत भरने की चाहत !

 पूर्ण करने की भागमभाग है,ज़िंदगी !


कुछ तितली सी ,उड़ती आशाएं !

उम्मीदों के धागों से बंधी ये ज़िंदगी !

सफ़र को कब ? खुशनुमा बनाती ,

सफ़र ! को कब उलझाती ?ज़िंदगी !

 समय की रेत पर फिसलती जाती। 

सफ़र ज़िंदगी का यूँ ही ,कटता रहा। 

  पहचान ! अपनी  से बेखबर...... 

 सफर ज़िंदगी का..... भटकता रहा। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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