जिंदगी के सफर में....... ,
कुछ रिश्ते...... अनमोल हुए ।
अपने होकर भी, अपने न हुए।
कुछ गैर होकर भी,अपने हुए।
कुछ उड़ान !अपने हिस्से की,
कुछ उड़ान ! थी , अपनों की ,
मंजिलों की उड़ान है, जिंदगी !
अधूरे ख्वाबों की पहचान है, जिंदगी!
जिंदगी का सफर.......
अपने -पराये की पहचान कराता।
सुख -दुःख की मिसाल है ज़िंदगी !
जीवन में ,रंगत भरने की चाहत !
पूर्ण करने की भागमभाग है,ज़िंदगी !
कुछ तितली सी ,उड़ती आशाएं !
उम्मीदों के धागों से बंधी ये ज़िंदगी !
सफ़र को कब ? खुशनुमा बनाती ,
सफ़र ! को कब उलझाती ?ज़िंदगी !
समय की रेत पर फिसलती जाती।
सफ़र ज़िंदगी का यूँ ही ,कटता रहा।
पहचान ! अपनी से बेखबर......
सफर ज़िंदगी का..... भटकता रहा।