Sahalaya kyon nahin

 तनिक झांको तो..... अपने गिरेबाँ में ,

देखो तो,वो आइना ! जो सच दिखलाता है। 

जरा तोलो तो....... अपने वो पल ,

किसी की नजरों से गिर, चेहरा मुस्कुराता है। 


सोचो ! तो कभी ,उन अल्फाज़ों को ,

चुभोते जो ,ह्रदय का हर तार थे। 

वो तीर ही नहीं ,इक तीख़ी कटार थे। 

तुम कहते हो........ कोई किसी का नहीं ,

तनिक सोचो तो,उन पलों को,

 कब तुम....... , किसी के हुए >

तुम कब, कहाँ ,किसी के हुए ?

जरा सोचो तो सही 🤔तुमने उम्मीदें बहुत लगाईं ,

तुम कब ,किसी की उम्मीद हुए ?

संघर्ष ! हर जीवन से जुड़ा, इक पहलू है ,

उस संघर्ष से कभी ,कुछ सीखा क्यों नहीं ?

अंगुली उठाते किसी की तरफ....... 

 तुमने पहले ''आइना ''देखा क्यों नहीं ?

अल्फ़ाजों से जख़्म हुए ,गहरे बहुत ,

उन जख़्मों को ,कभी ,''सहलाया ''क्यों नहीं ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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