तनिक झांको तो..... अपने गिरेबाँ में ,
देखो तो,वो आइना ! जो सच दिखलाता है।
जरा तोलो तो....... अपने वो पल ,
किसी की नजरों से गिर, चेहरा मुस्कुराता है।
सोचो ! तो कभी ,उन अल्फाज़ों को ,
चुभोते जो ,ह्रदय का हर तार थे।
वो तीर ही नहीं ,इक तीख़ी कटार थे।
तुम कहते हो........ कोई किसी का नहीं ,
तनिक सोचो तो,उन पलों को,
कब तुम....... , किसी के हुए >
तुम कब, कहाँ ,किसी के हुए ?
जरा सोचो तो सही 🤔तुमने उम्मीदें बहुत लगाईं ,
तुम कब ,किसी की उम्मीद हुए ?
संघर्ष ! हर जीवन से जुड़ा, इक पहलू है ,
उस संघर्ष से कभी ,कुछ सीखा क्यों नहीं ?
अंगुली उठाते किसी की तरफ.......
तुमने पहले ''आइना ''देखा क्यों नहीं ?
अल्फ़ाजों से जख़्म हुए ,गहरे बहुत ,
उन जख़्मों को ,कभी ,''सहलाया ''क्यों नहीं ?